मां अन्नपूर्णा अन्न की देवी
मां अन्नपूर्णा अन्न की देवी जो धन धान्य की देवी है। अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से घर में कभी भी किसी चीज़ की कमी नही होती तथा अन्न के भंडार भरे रहते हैं।
अन्नपूर्णा जंयती का पर्व कब मनाया जाता है ?
मां अन्नपूर्णा का पर्व मार्गशीष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। मां अन्नपूर्ण की पूजा करने से घर में कभी धन और धान्य की कमी नही होती। अन्नपूर्ण जयंती के दिन अन्न का दान करने से भी विशेष लाभ मिलता है।
अन्नपूर्णा जयन्ती का महत्व किया है ?
अन्नपूर्णा जयंती मागर्शीष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इसका का बड़ा महत्व होता है। जब पृथ्वी पर लोगों के पास खाने के लिए कुछ नही था तो मां पार्वती ने अन्नपूर्णा का रुप रखकर पृथ्वी को इस संकट से निकाला था। अन्नपूर्णा जयंती का दिन मनुष्य के जीवन में अन्न के महत्व को दर्शाता है।
इस दिन आप सबसे पहले रसोई की सफाई और अन्न का सदुपयोग बहुत जरूरी होता है। इससे घर मे शुधी आती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रसोई की सफाई करने और अन्न का सदुपयोग करने से मनुष्य के जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी नही होती।
आरती माँ अन्नपूर्णा जी की
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥
॥ इति आरती देवी अन्नपूर्णा सम्पूर्णम ॥
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