अथ त्रिपुरसुन्दरी अष्टकम् अथ त्रिपुरसुन्दरी अष्टकम्... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! माँ त्रिपुरसुन्दरी अष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी त्रिपुरसुन्दरी की स्तुति में है। जिसमें त्रिपुर सुंदरी से संबंधित आठ श्लोक हैं, यह स्तोत्र देवी की सुंदरता, शक्ति और करुणा का वर्णन करता है। माँ त्रिपुरसुन्दरी, जो ईश्वर के रूप में संसार पर शासन करती हैं, लेकिन वह कोई और नहीं बल्कि हमारे भीतर निवास करने वाली आत्मा हैं और जो हम सभी में व्याप्त हैं। ॥ अथ त्रिपुरसुन्दरी अष्टकम्॥ कदम्बवनचारिणीं मुनिकदम्बकादम्बिनीं नितम्बजितभूधरां सुरनितम्बिनीसेविताम् । नवाम्बुरुहलोचनां अभिनवाम्बुदश्यामलां त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुन्दरीमाश्रये ॥ १॥ कदम्बवनवासिनीं कनकवल्लकीधारिणीं महार्हमणिहारिणीं मुखसमुल्लसद्वारुणीम् । दयाविभवकारिणीं विशदलोचनीं चारिणीं त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुन्दरीमाश्रये ॥ २॥ कदम्बवनशालया कुचमरोल्लसन्मालया कुचोपमितशैलया गुरुकृपालसद्वेलया । मदारुणकपोलया...
जीवने यत् प्राप्तम् तदर्थं कृतज्ञतां धारयतु, यत् न प्राप्तम् तदर्थं धैर्यं धारयतु।