श्री चंद्र चालीसा "चंद्र चालीसा" भगवान चन्द्रप्रभु (चंद्र प्रभु स्वामी)... "चंद्र चालीसा" एक भक्ति-रस से परिपूर्ण स्तुति है जो भगवान चन्द्रप्रभु स्वामी, जैन धर्म के अष्टम तीर्थंकर की महिमा, जीवन कथा, और चमत्कारी घटनाओं का वर्णन करती है। || चंद्र चालीसा || शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम। उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।। सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर। चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।। चौपाई जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा। तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।। वेश दिगम्बर कहलाता है, सब जग के मन भाता है। नासा पर है द्रष्टि तुम्हारी, मोहनि मूरति कितनी प्यारी।। तीन लोक की बातें जानो, तीन काल क्षण में पहचानो। नाम तुम्हारा कितना प्यारा , भूत प्रेत सब करें निवारा।। तुम जग में सर्वज्ञ कहाओ, अष्टम तीर्थंकर कहलाओ।। महासेन जो पिता तुम्हारे, लक्ष्मणा के दिल के प्यारे।। तज वैजंत विमान सिधाये , लक्ष्मणा के उर में आये। पोष वदी एकादश नामी , जन्म लिया चन्दा प्रभ...
जीवने यत् प्राप्तम् तदर्थं कृतज्ञतां धारयतु, यत् न प्राप्तम् तदर्थं धैर्यं धारयतु।