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Rinamukti Ganesha Stotram/ऋणमुक्ति गणेश स्तोत्रम्

ऋणमुक्ति गणेश स्तोत्रम् ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम्... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की पूजा करना कोई भी शुभ या नवीन कार्य है। इस स्तोत्र में कर्ज मुक्ति के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना की जाती है। ॥ ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम् ॥ ॥ विनियोग ॥ ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः। ॥ स्तोत्र पाठ ॥ ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्। षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥१॥ महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्। एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥२॥ एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्। महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥३॥ शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्। सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥४॥ रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्। रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥५॥ कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्। कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥६॥ पीताम्ब

Krshn Janmaashtamee 2024/08/26 "27

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024 दिनांक: 26 या 27 अगस्त, मथुरा-वृन्दावन में श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी? श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024 दिनांक: 26 या 27 अगस्त, मथुरा-वृन्दावन में श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी? हिंदू धर्मग्रंथों में कहा गया है कि भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके लिए व्रत भी रखा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण धरती पर हुआ था। इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना की जाती है। आइए, कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं- श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त: ज्योतिषीय गणना अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त दिन सोमवार को देर रात 03:39 बजे शुरू होगी और अगले दिन 27 अगस्त को देर रात 02:19 बजे समाप्त होगी। कृष्ण जन्माष्टमी पर मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ है। अतः 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी

Ganesh kee Praarthana\विघ्नेश्‍वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय

गणपति प्रार्थना गणपति प्रार्थना... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय हिंदू मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्य या नया काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। भगवान गणेश को प्रसन्न करने की प्रार्थना करें। ।। ॐ निं निखिलेश्वराय नम:।। "गणपति प्रार्थना" विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।। भक्तार्तिनाशनपराय गणेशाश्वराय सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय। विद्याधराय विकटाय च वामनाय भक्तप्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते।। नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम: नमस्ते रुद्ररुपाय करिरुपाय ते नम:। विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारिणे भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक।। लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।। त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति। विद्याप्रदेत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव।। त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या विश्वस्य बीजं परमासि

Chaamundeshvaree Ashtottar Satanaam Stotram

श्रीचामुण्डेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् श्रीचामुण्डेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! प्रातः जो व्यक्ति देवी श्रीमचमुण्डिका के एक सौ अठारह नामों का पाठ करता है और भक्तिपूर्वक उनकी पूजा करता है। माँ प्रसन्न होकर अपने भक्तजनों के संकट दूर करती है, रक्षा करती है साथ ही उनके सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं। प्रातः माँ श्रीमचमुण्डिका स्मरण सम्पूर्ण भक्तिभाव से करें... || श्रीचामुण्डेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् || श्री चामुण्डा माहामाया श्रीमत्सिंहासनेश्वरी श्रीविद्या वेद्यमहिमा श्रीचक्रपुरवासिनी ॥ १॥ श्रीकण्ठदयित गौरी गिरिजा भुवनेश्वरी महाकाळी महाल्क्ष्मीः माहावाणी मनोन्मणी ॥ २॥ सहस्रशीर्षसंयुक्ता सहस्रकरमण्डिता कौसुम्भवसनोपेता रत्नकञ्चुकधारिणी ॥ ३॥ गणेशस्कन्दजननी जपाकुसुम भासुरा उमा कात्यायनी दुर्गा मन्त्रिणी दण्डिनी जया ॥ ४॥ कराङ्गुळिनखोत्पन्न नारायण दशाकृतिः सचामररमावाणीसव्यदक्षिणसेविता ॥ ५॥ इन्द्राक्षी बगळा बाला चक्रेशी विजयाऽम्बिका पञ्चप्रेतासनारूढा हरिद्राकुङ्कुमप्रिया ॥ ६॥

Shri Hari Stotram - Stotras of Lord Vishnu/श्री हरि स्तोत्रम्

श्री हरि स्तोत्र भगवान विष्णु के लोकप्रिय स्तोत्रों में से एक है। श्री हरि स्तोत्रम्... हरि ॐ| हरि ॐ | हरि ॐ | हरि ॐ | हरि ॐ श्री हरि स्तोत्र भगवान विष्णु के लोकप्रिय स्तोत्रों में से एक है। जो व्यक्ति प्रतिदिन श्री हरि स्तोत्र का स्मरण करता है, उसे निश्चय ही भगवान विष्णु की प्राप्ति होती है और वह पुनर्जन्म के कष्ट से मुक्त हो जाता है। श्री हरि स्तोत्रम् पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य की प्राप्ति कीर्ति में बढ़ोतरी होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में प्रेम और आनंद का संचार होता है। आइए, श्री हरि स्तोत्रम् पढ़ें। ॥ श्री हरि स्तोत्रम् ॥ जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥१॥ सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥२॥ रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥३॥ जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं जगज्जन्महेतुं सुरानी

Sri Rudrashtakam Namamishamishan Nirvanarupam with Hindi _श्रीरुद्राष्टकम्

श्रीरुद्राष्टकम् नमामीशमीशान निर्वाणरूपं हिंदी अर्थ सहित श्रीरुद्राष्टकम् नमामीशमीशान निर्वाणरूपं हिंदी अर्थ सहित... ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय श्रीरुद्राष्टकम् - "नमामीशमीशान निर्वाण रूपम" पाठ शिवजी की स्तुति है। इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करने वालों से भगवान शंभु प्रसन्न होते हैं। यह श्री गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचना की गई है। मानस के अनुसार भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था। इस पाठ के कारण ही उन्हें शिवजी की कृपा से युद्ध में विजयी मिली। ॥ ॐ नमः शिवाय ॥ ॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥ नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ मैं भगवान शिव, परम भगवान, जो निर्वाण के अवतार हैं और जो वेदों के सर्वव्यापी रूप हैं, को प्रणाम करता हूँ। मैं भगवान के उस सर्वोच्च व्यक्तित्व की पूजा करता हूं, जो पारलौकिक है, भौतिक प्रकृति के सभी भौतिक ग

Maa Tripura Bhairavi Sahasranama Stotram\श्रीत्रिपुरभैरवीसहस्रनामस्तोत्रम्

श्रीत्रिपुरभैरवीसहस्रनामस्तोत्रम् श्री त्रिपुरभैरवी सहस्रनाम स्तोत्रम्!... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यह स्तोत्र परम पवित्र और सबका कल्याण करने वाला है। उनके बारे में सुनने मात्र से आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होंगी। प्रातः माँ भैरवी स्मरण सम्पूर्ण भक्तिभाव से करें... || श्रीत्रिपुरभैरवीसहस्रनामस्तोत्रम् || अथ श्रीत्रिपुरभैरवीसहस्रनामस्तोत्रम् महाकालभैरव उवाच अथ वक्ष्ये महेशानि देव्या नामसहस्रकम् । यत्प्रसादान्महादेवि चतुर्वर्गफलल्लभेत् ॥ १ ॥ सर्वरोगप्रशमनं सर्वमृत्युविनाशनम् । सर्वसिद्धिकरं स्तोत्रन्नातः परतः स्तवः ॥ २ ॥ नातः परतरा विद्या तीर्त्थन्नातः परं स्मृतम् । यस्यां सर्वं समुत्पन्नय्यस्यामद्यापि तिष्ठति ॥ ३ ॥ क्षयमेष्यति तत्सर्वं लयकाले महेश्वरि । नमामि त्रिपुरान्देवीम्भैरवीं भयमोचिनीम् । सर्वसिद्धिकरीं साक्षान्महापातकनाशिनीम् ॥ ४ ॥ अस्य श्रीत्रिपुरभैरवीसहस्रनामस्तोत्रस्य भगवान् ऋषिः। पङ्क्तिश्छन्दः। आद्या शक्तिः। भगवती त्रिपुरभैरवी देवता । सर्वकामार्त्थसिद्ध्यर्त्थे जपे विनियोगः ॥ ॐ त्रि