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Ashutosh-Shashank-Shekhar-Shiv Stuti- शिव स्तुति

शिव स्तुति: "आशुतोष शशांक शेखर" शिव स्तुति: "आशुतोष शशांक शेखर"... अत्यंत मनोहर और भक्तिपूर्ण शिव स्तुति जिसका प्रारंभ इन दिव्य नामों से होता है "आशुतोष", "शशांक शेखर", "त्रिलोचन", "नीलकंठ" आदि — जो भगवान शिव के स्वरूप, गुण और कृपा को दर्शाते हैं। शिव स्तुति एक अत्यंत शक्तिशाली, मधुर और काव्यात्मक रचना है, जिसमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों, गुणों और स्वरूपों का भावपूर्ण वर्णन किया गया है। ॥ शिव स्तुति ॥ (श्रद्धा से समर्पित शिव जी को) आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥ निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥ निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥ शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी, जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा ॥ नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम, महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा ॥ जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेर...

Jaleshwar Mahadev Chalisa-Mahadev Chalisa/श्री जलेश्वर महादेव चालीसा

श्री जलेश्वर महादेव चालीसा श्री जलेश्वर महादेव चालीसा... भगवान शिव के जलेश्वर महादेव रूप को समर्पित एक भक्तिपूर्ण और सुंदर "श्री जलेश्वर महादेव चालीसा" का पाठ। जलेश्वर महादेव जल स्वरूप में प्रतिष्ठित शिव का रूप है, जिनकी पूजा से शांति, आरोग्य, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। || श्री जलेश्वर महादेव चालीसा || (भक्ति और श्रद्धा से अर्पित) ॥ दोहा ॥ जय जय शिव जलेश्वर, जल में बसे भगवान। भव से पार उतारते, करते पापों का त्राण॥ ॥ चौपाई ॥ जय श्री शिव जलेश्वर दानी, त्रिपुरारी त्रिनयन भवानी॥ गंगा-जटाजूट में वासी, सदा करहु भक्तन पर कृपा ऐसी॥ जलेश्वर रूप में जल में वासे, भक्तों के सब संकट नाशे॥ नीलकंठ शिव शशिधर प्यारे, दुष्ट दलन औ दुख बिसारे॥ शिवलिंग रूप धरे जलमाया, देखत भाव बढ़े मन छाया॥ नंदी-बैल तव वाहन स्वामी, भस्म विभूषित गात ललामी॥ तुम हो आदि अनादि विभूति, सुर-मुनिजन पूजत वंदन-पूत॥ कैलासपति तुम रूद्र स्वरूपा, सृष्टि-धारक शिव संकल्पा॥ जलेश्वर जो भाव से ध्यावे, मनवांछित फल सहज ही पावे॥ जल में स्थित शिवलिंग प्यारा, मंगलकारी, संकट ...

Narmada Chalisa-Shri-Narmada-Chalisa-Paath/श्री नर्मदा चालीसा

श्री नर्मदा चालीसा श्री नर्मदा चालीसा... श्री नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पूर्ण पाठ, जो नर्मदा मैया की महिमा, कृपा और शक्ति को समर्पित है। नर्मदा जी को जीवित तीर्थ, मुक्तिदायिनी और कल्याणी माँ माना गया है। उनका स्मरण समस्त पापों का नाश करता है। || श्री नर्मदा चालीसा || (मुक्तिदायिनी, पापहारिणी, कल्याणकारिणी माँ नर्मदा की जय!) ॥ दोहा ॥ जय नर्मदा मैया! करुणा की तुम धार। स्मरण मात्र से मिटे, संकट, क्लेश, विकार॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय नर्मदे भवानी। त्रैलोक्य तारिणी कल्याणी॥ शिव जटा से तू प्रगटी, माता। पावन करती पापी नाता॥ रेवा रूपा सदा सुखदाई। भवसागर से तू तरवाई॥ जो जन सच्चे भाव से ध्यावे। निश्चय ही भवबन्ध छुड़ावे॥ नर्मदाके तीर बसे जो। धन्य-धन्य वह जीवन हो॥ तेरा जल है अमृत समान। छूते ही हो जाए कल्याण॥ शिव की प्रिया, शक्ति अविनाशी। हरती भय और दीन उदासी॥ जो तेरी आरती को गावे। सकल मनोरथ सिद्धि पावे॥ तेरी परिक्रमा है न्यारी। सकल सिद्धि की तू अधिकारी॥ भक्ति भाव से जो जन ध्याता। नर्मदा माँ सदा सुख दाता॥ तेरी लहरें देतीं जीवन। करतीं...

Radha Chalisa-Shri Radha Chalisa/श्री राधा चालीसा

श्री राधा चालीसा श्री राधा चालीसा... भक्तों की आराध्या श्री राधा रानी को समर्पित पूर्ण श्री राधा चालीसा (Radha Chalisa) (भक्ति, प्रेम और आत्मिक शुद्धि का स्रोत) का पाठ, जो प्रेम, भक्ति और दिव्य माधुर्य से परिपूर्ण है, श्री राधा रानी को प्रेम की देवी, भक्ति की मूर्तिमान शक्ति, और श्रीकृष्ण की आध्यात्मिक शक्ति माना जाता है। उनकी स्तुति में रचित श्री राधा चालीसा का पाठ भक्त को शुद्ध प्रेम, मानसिक शांति और भगवत कृपा प्रदान करता है। राधा चालीसा का पाठ सच्चे प्रेम का मार्ग खोलता है, जिसमें कोई मोह, स्वार्थ या शर्त नहीं होती। यह राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को हृदय में स्थापित करता है। शास्त्रों में कहा गया है- "राधा-कृष्ण एक आत्मा दो देह" || श्री राधा चालीसा || (समर्पित राधा रानी को, प्रेम स्वरूपा को) ॥ दोहा ॥ राधा नाम अनंत है, राधा बिन श्रीश्याम। राधा के दरशन बिना, अधूरा है धाम॥ ॥ चौपाई ॥ जय राधे, राधे जय राधे, भज ले नाम सदा मन साचे॥ वृंदावन की रानी प्यारी, श्याम मोहिनी प्रेम विचारी॥ ब्रज की शोभा राधा नाम, श्रीकृष्ण संग रचे सुखधाम। प्या...

Jaharveer Chalisa-Gogaji-Goga Peer-Jaharveer-Goga Dev-Gugga Veer-जाहरवीर चालीसा

श्री जाहरवीर चालीसा - गोगाजी - गोगा पीर - जाहरवीर - गोगा देव - गुग्गा वीर श्री जाहरवीर चालीसा... श्री जाहरवीर बाबा, जिन्हें गोगा पीर, गोगाजी, जाहरवीर, या गोगादेव के नाम से जाना जाता है, उनके भक्तों के लिए चालीसा पाठ एक शक्तिशाली साधना है। विशेष रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत में गोगा जी के प्रति गहरी श्रद्धा है। जाहरवीर की भक्ति में विश्वास रखने वालों के लिए यह दृढ़ आस्था है कि— "गोगा पीर के दर्शन मात्र से सभी दुःख दूर हो जाते हैं।" || श्री जाहरवीर चालीसा || (लोकदेवता गोगाजी | गोगा पीर | जाहरवीर | गोगा देव | गुग्गा वीर) ॥ दोहा ॥ सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर। बन्दौं सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर ॥ जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप। अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा। गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी। गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट घुंघराले बाला। कांधे धनुष गले तुलसी माला, कमर कृपान रक्षा को डाला। जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार ...

Gayatri-Chalisa-Vedamata-Gayatri-Chalisa/श्री गायत्री चालीसा

श्री गायत्री चालीसा श्री गायत्री चालीसा... गायत्री माता को वेदमाता, संवित स्वरूपिणी (ज्ञान की साक्षात् चेतना), और सर्वदेवस्वरूपा शक्ति (सभी देवी-देवताओं की आदिशक्ति) के रूप में पूजा जाता है। उनकी स्तुति में रचित यह चालीसा बुद्धि, ज्ञान, तेज, और शांति प्रदान करती है। || श्री गायत्री चालीसा || ॥ दोहा ॥ जय गायत्री माता, मुनिजन-मन की प्रीत। बुद्धि-प्रदाता शक्ति तुम, नमुं सदा मन जीत॥ ॥ चालीसा ॥ जय गायत्री माता, त्रिभुवन की त्राता। वेदों की जननी, भवभय विनाशिनी दाता॥ पाँच मुखों में तेज विराजे, ज्ञान-ज्योति फैलाय। शुद्ध विचारों से जीवन में, हर मन ज्योति जगाय॥ सावित्री सुरसुन्दरी, ब्रह्मा की हो धारा। सत्व-रज-तम से परे, साक्षात् शक्ति अपारा॥ जिनका रूप अनूप सुहावन, सदा सजीव प्रकाश। गायत्री माँ शरण में आवे, मिटे तमस हरि-हास॥ ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः, मंत्रों की अधिष्ठात्री। ब्रह्मज्ञान से जो प्रकाशित, भव-सागर की नात्री॥ हृदय में जो ध्यावै तेरा, निर्मल हो विचार। ज्ञान, विवेक, बुद्धि मिले, मिटे अज्ञान अंधार॥ सप्तर्षि, देव, ऋषिगण सारे, तव गुणगान करें। ग...

Dhoop Mantra-Nath Panthi-Agni–Dhoop Samarpan Stotra/धूप मंत्र

नाथ संप्रदाय का अग्नि–धूप समर्पण स्तोत्र नाथ संप्रदाय का अग्नि–धूप समर्पण स्तोत्र... "धूप मंत्र" एक अत्यंत पवित्र, शक्तिशाली और परंपरागत नाथ संप्रदाय का अग्नि–धूप समर्पण स्तोत्र है। यह मंत्र धूप ध्यान, होम, और गुरु आराधना के समय बोला जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध हो, देवताओं का आह्वान हो, और साधना सफल हो। || धूप मंत्र – भावार्थ सहित || ॐ नमो आदेश। गुरुजीं को आदेश। ॐ गुरुजी। भावार्थ: यह मंत्र नाथ परंपरा का अभिवादन है। "आदेश" का अर्थ है – ईश्वर में तुम्हें नमस्कार है। पानी का बुंद, पवन का थंभ, जहाँ उपजा कल्पवृक्ष का कंध। भावार्थ: जल की बूँद और वायु के स्तंभ से जहाँ दिव्य कल्पवृक्ष प्रकट हुआ। कल्पवृक्ष की छाया, जिसमें गुग्गुल धूप उपाया। भावार्थ: उस कल्पवृक्ष की छाया में शुभ धूप प्रज्वलित की जाती है। जहाँ हुआ धूप का प्रकाश, जौ, तिल, घृत लेके किया वास। भावार्थ: धूप, घृत (घी), जौ, तिल आदि समर्पण से दिव्यता प्रकट होती है। धुनि धूपाया, अग्नि चढ़ाया, सिद्ध का मारक विरले पाया। भावार्थ: धूप से धूनी दी गई, अग्नि में चढ़ाया गया — सि...