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Shiv-Shankar-Stuti-Shiva-praise/शिव शंकर स्तुति

शिव शंकर स्तुति शिव शंकर स्तुति... भक्ति-भाव से परिपूर्ण भोलेनाथ शिव शंकर जी की स्तुति, जिसे आप ध्यान, पूजन और जप के समय श्रद्धापूर्वक गा या पढ़ सकते हैं। ॥ शिव शंकर स्तुति ॥ (ध्यान, पूजन और आत्म-शुद्धि हेतु) ॐ नमः शिवाय। शिवाय शर्वाय नमः शिवाय, शान्ताय शीघ्रं वरदाय नित्यं। शम्भो महेशान शिव त्रिनेत्र, करुणासिन्धो मम दीनबन्धो॥ गौरीपते गंगाधर त्रिनेत्र, भूताधिप नन्दी गणनायक। वृषवाहन करुणामय रूद्र, प्रलयंकर दीनानाथ शंभो॥ शूलधारी डमरूवाले, त्रिपुण्डधारी नागफन वाले। चन्द्रमौले जटाधारी, कालविनाशक भयहारी॥ महाकाल हो दया के सागर, नमन करूँ मैं बारम्बार। भवभय हरन कृपालु शिव, दया करो मुझ पर अपार॥ जप करूँ 'ॐ नमः शिवाय', मन में तेरा ध्यान लाऊँ। हर ले पाप दुख सब मेरे, तेरी शरण सदा मैं आऊँ॥ शिव मंत्र जप: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ (महामृत्युंजय मंत्र – जीवन, स्वास्थ्य व मोक्ष हेतु) भावार्थ: यह स्तुति भगवान शिव की दया, शक्ति, तप और विनाशक रूप की ...

Sadashivashtakam-shiva-ashtakam-stotra-in-Sanskrit/सदाशिवाष्टकम्

"सदाशिवाष्टकम्" सदाशिवाष्टकम् का संपूर्ण संस्कृत पाठ... "सदाशिवाष्टकम्" जो पतञ्जलि मुनि द्वारा रचित माना जाता है, यह अत्यंत सुंदर और भक्तिपूर्ण स्तुति है और हालास्यमाहात्म्य (मंदिर या क्षेत्र महिमा) से जुड़ा हुआ है। यह भगवान सदाशिव (शिव के श्रेष्ठतम स्वरूप) की दिव्यता, शक्ति, सौंदर्य और कृपा को समर्पित है। हालास्यमाहात्म्ये पतञ्जलिकृतं सदाशिवाष्टकम् (हालास्य = मदुरै के श्री मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मंदिर से संबद्ध) ॥ सदाशिवाष्टकम् ॥ (पतञ्जलि मुनि कृतम्) सुवर्णपद्मिनी-तटान्त-दिव्य-हर्म्य-वासिने। सुपर्णवाहन-प्रियाय सूर्यकोटि-तेजसे॥ अपर्णया विहारिणे फणाधरेन्द्र-धारिणे। सदा नमः शिवाय ते सदाशिवाय शम्भवे॥ सतुङ्गभङ्ग-जह्नुजा-सुधांशु-खण्ड-मौलये। पतङ्ग-पङ्कजासुहृत्-कृपीट-योनिचक्षुषे॥ भुजङ्गराज-मण्डलाय पुण्यशालि-बन्धवे। सदा नमः शिवाय ते सदाशिवाय शम्भवे॥ चतुर्मुखाननारविन्द-वेदगीत-भूतये। चतुर्भुजानुजा-शरीर-शोभमान-मूर्तये॥ चतुर्विधार्थदान-शौण्ड-ताण्डव-स्वरूपिणे। सदा नमः शिवाय ते सदाशिवाय शम्भवे॥ शरन्निशाकरप्रकाश-मन्दहास-मञ्ज...

Mangal-Chalisa-Mangal-Dev-Bhaum-Chalisa/श्री मंगल चालीसा

श्री मंगल चालीसा श्री मंगल चालीसा... श्री मंगल चालीसा, भगवान मंगल देव (भौम) की स्तुति में रचित है। मंगल ग्रह को नवग्रहों में पराक्रम, साहस, ऊर्जा और युद्ध के कारक देवता माना गया है। जिनकी कुंडली में मंगल दोष, मंगलीक दोष, वैवाहिक विलंब, रक्त विकार, दुर्घटना या क्रोध की समस्या होती है, उनके लिए श्री मंगल चालीसा का नियमित पाठ अत्यंत फलदायी होता है।मंगल ग्रह को नवग्रहों में पराक्रम, साहस, ऊर्जा और युद्ध के कारक देवता माना गया है। जिनकी कुंडली में मंगल दोष, मंगलीक दोष, वैवाहिक विलंब, रक्त विकार, दुर्घटना या क्रोध की समस्या होती है, उनके लिए श्री मंगल चालीसा का नियमित पाठ अत्यंत फलदायी होता है। || श्री मंगल चालीसा || (श्री मंगल देव को समर्पित चालीसा – मंगल ग्रह की शांति हेतु) ॥ दोहा ॥ जय जय मंगल देव तू, नवग्रहों में श्रेष्ठ। तेरी भक्ति जो करे, मिटे संकट क्लेश॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय मंगल बलि वीर। रक्तवर्ण धारण गंभीर॥ रथ में बैठ लाल प्रतापी। शक्ति भुजंग समान अनापी॥ भौम कहावत नाम तुम्हारा। धरणि पुत्र कहलाए प्यारा॥ क्रोध, साहस, पराक्रम धारा। शत्रु नाशक त...

Ashutosh-Shashank-Shekhar-Shiv Stuti- शिव स्तुति

शिव स्तुति: "आशुतोष शशांक शेखर" शिव स्तुति: "आशुतोष शशांक शेखर"... अत्यंत मनोहर और भक्तिपूर्ण शिव स्तुति जिसका प्रारंभ इन दिव्य नामों से होता है "आशुतोष", "शशांक शेखर", "त्रिलोचन", "नीलकंठ" आदि — जो भगवान शिव के स्वरूप, गुण और कृपा को दर्शाते हैं। शिव स्तुति एक अत्यंत शक्तिशाली, मधुर और काव्यात्मक रचना है, जिसमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों, गुणों और स्वरूपों का भावपूर्ण वर्णन किया गया है। ॥ शिव स्तुति ॥ (श्रद्धा से समर्पित शिव जी को) आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥ निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव, जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥ निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा, दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥ शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी, जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा ॥ नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम, महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा ॥ जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेर...

Jaleshwar Mahadev Chalisa-Mahadev Chalisa/श्री जलेश्वर महादेव चालीसा

श्री जलेश्वर महादेव चालीसा श्री जलेश्वर महादेव चालीसा... भगवान शिव के जलेश्वर महादेव रूप को समर्पित एक भक्तिपूर्ण और सुंदर "श्री जलेश्वर महादेव चालीसा" का पाठ। जलेश्वर महादेव जल स्वरूप में प्रतिष्ठित शिव का रूप है, जिनकी पूजा से शांति, आरोग्य, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। || श्री जलेश्वर महादेव चालीसा || (भक्ति और श्रद्धा से अर्पित) ॥ दोहा ॥ जय जय शिव जलेश्वर, जल में बसे भगवान। भव से पार उतारते, करते पापों का त्राण॥ ॥ चौपाई ॥ जय श्री शिव जलेश्वर दानी, त्रिपुरारी त्रिनयन भवानी॥ गंगा-जटाजूट में वासी, सदा करहु भक्तन पर कृपा ऐसी॥ जलेश्वर रूप में जल में वासे, भक्तों के सब संकट नाशे॥ नीलकंठ शिव शशिधर प्यारे, दुष्ट दलन औ दुख बिसारे॥ शिवलिंग रूप धरे जलमाया, देखत भाव बढ़े मन छाया॥ नंदी-बैल तव वाहन स्वामी, भस्म विभूषित गात ललामी॥ तुम हो आदि अनादि विभूति, सुर-मुनिजन पूजत वंदन-पूत॥ कैलासपति तुम रूद्र स्वरूपा, सृष्टि-धारक शिव संकल्पा॥ जलेश्वर जो भाव से ध्यावे, मनवांछित फल सहज ही पावे॥ जल में स्थित शिवलिंग प्यारा, मंगलकारी, संकट ...

Narmada Chalisa-Shri-Narmada-Chalisa-Paath/श्री नर्मदा चालीसा

श्री नर्मदा चालीसा श्री नर्मदा चालीसा... श्री नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पूर्ण पाठ, जो नर्मदा मैया की महिमा, कृपा और शक्ति को समर्पित है। नर्मदा जी को जीवित तीर्थ, मुक्तिदायिनी और कल्याणी माँ माना गया है। उनका स्मरण समस्त पापों का नाश करता है। || श्री नर्मदा चालीसा || (मुक्तिदायिनी, पापहारिणी, कल्याणकारिणी माँ नर्मदा की जय!) ॥ दोहा ॥ जय नर्मदा मैया! करुणा की तुम धार। स्मरण मात्र से मिटे, संकट, क्लेश, विकार॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय नर्मदे भवानी। त्रैलोक्य तारिणी कल्याणी॥ शिव जटा से तू प्रगटी, माता। पावन करती पापी नाता॥ रेवा रूपा सदा सुखदाई। भवसागर से तू तरवाई॥ जो जन सच्चे भाव से ध्यावे। निश्चय ही भवबन्ध छुड़ावे॥ नर्मदाके तीर बसे जो। धन्य-धन्य वह जीवन हो॥ तेरा जल है अमृत समान। छूते ही हो जाए कल्याण॥ शिव की प्रिया, शक्ति अविनाशी। हरती भय और दीन उदासी॥ जो तेरी आरती को गावे। सकल मनोरथ सिद्धि पावे॥ तेरी परिक्रमा है न्यारी। सकल सिद्धि की तू अधिकारी॥ भक्ति भाव से जो जन ध्याता। नर्मदा माँ सदा सुख दाता॥ तेरी लहरें देतीं जीवन। करतीं...

Radha Chalisa-Shri Radha Chalisa/श्री राधा चालीसा

श्री राधा चालीसा श्री राधा चालीसा... भक्तों की आराध्या श्री राधा रानी को समर्पित पूर्ण श्री राधा चालीसा (Radha Chalisa) (भक्ति, प्रेम और आत्मिक शुद्धि का स्रोत) का पाठ, जो प्रेम, भक्ति और दिव्य माधुर्य से परिपूर्ण है, श्री राधा रानी को प्रेम की देवी, भक्ति की मूर्तिमान शक्ति, और श्रीकृष्ण की आध्यात्मिक शक्ति माना जाता है। उनकी स्तुति में रचित श्री राधा चालीसा का पाठ भक्त को शुद्ध प्रेम, मानसिक शांति और भगवत कृपा प्रदान करता है। राधा चालीसा का पाठ सच्चे प्रेम का मार्ग खोलता है, जिसमें कोई मोह, स्वार्थ या शर्त नहीं होती। यह राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को हृदय में स्थापित करता है। शास्त्रों में कहा गया है- "राधा-कृष्ण एक आत्मा दो देह" || श्री राधा चालीसा || (समर्पित राधा रानी को, प्रेम स्वरूपा को) ॥ दोहा ॥ राधा नाम अनंत है, राधा बिन श्रीश्याम। राधा के दरशन बिना, अधूरा है धाम॥ ॥ चौपाई ॥ जय राधे, राधे जय राधे, भज ले नाम सदा मन साचे॥ वृंदावन की रानी प्यारी, श्याम मोहिनी प्रेम विचारी॥ ब्रज की शोभा राधा नाम, श्रीकृष्ण संग रचे सुखधाम। प्या...