श्री गायत्री चालीसा...
गायत्री माता को वेदमाता, संवित स्वरूपिणी (ज्ञान की साक्षात् चेतना), और सर्वदेवस्वरूपा शक्ति (सभी देवी-देवताओं की आदिशक्ति) के रूप में पूजा जाता है। उनकी स्तुति में रचित यह चालीसा बुद्धि, ज्ञान, तेज, और शांति प्रदान करती है।
|| श्री गायत्री चालीसा ||
॥ दोहा ॥
जय गायत्री माता, मुनिजन-मन की प्रीत।
बुद्धि-प्रदाता शक्ति तुम, नमुं सदा मन जीत॥
॥ चालीसा ॥
जय गायत्री माता, त्रिभुवन की त्राता।
वेदों की जननी, भवभय विनाशिनी दाता॥
पाँच मुखों में तेज विराजे, ज्ञान-ज्योति फैलाय।
शुद्ध विचारों से जीवन में, हर मन ज्योति जगाय॥
सावित्री सुरसुन्दरी, ब्रह्मा की हो धारा।
सत्व-रज-तम से परे, साक्षात् शक्ति अपारा॥
जिनका रूप अनूप सुहावन, सदा सजीव प्रकाश।
गायत्री माँ शरण में आवे, मिटे तमस हरि-हास॥
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः, मंत्रों की अधिष्ठात्री।
ब्रह्मज्ञान से जो प्रकाशित, भव-सागर की नात्री॥
हृदय में जो ध्यावै तेरा, निर्मल हो विचार।
ज्ञान, विवेक, बुद्धि मिले, मिटे अज्ञान अंधार॥
सप्तर्षि, देव, ऋषिगण सारे, तव गुणगान करें।
गौतम, विश्वामित्र, व्यास – जो तव ध्यान करें॥
विप्र, योगी, तपस्वी जन, तव शक्ति को ध्याय।
माँ तव मंत्र से ही जग में, चेतनता छाय॥
देवी तुम अंतर्यामी, जीवों की तुम माई।
अष्ट लक्ष्मी रूप तुम्हारा, त्रिकालदर्शिनी माई॥
शरण पड़े जो भक्त तेरा, कभी न हो निराश।
नाम तुम्हारा जप कर, मिटे दुखों की प्यास॥
यज्ञ, जप, ध्यान, तप में, तुम्हारा हो वास।
जननी ज्ञानरूपी माता, सदा करो उपवास॥
गायत्री माँ की कृपा से, जीवन हो उजियार।
जो पढ़े चालीसा नित दिन, होवे पारावार॥
ब्रह्ममुहूर्त उठ के जो, पाठ करे मन लाय।
सब बाधा संकट कटे, पावे सुख की छाय॥
पितरों की शांति हेतु, जप जो करे सनेह।
तृप्त हो सब पूर्वज जन, बरसावे शुभ नेह॥
विद्यार्थी जो करे पाठ ये, विद्या बुद्धि पावै।
माँ के शुभ आशीष से, जीवन सफल बनावै॥
स्त्री, पुरुष या बालक हो, माता सबकी एक।
सबको दे शुभबुद्धि माँ, मिटे भीतर का क्लेश॥
पुत्रहीन को संतान दे, निर्धन को धन दे।
रोगी को आरोग्य मिले, असहाय को बल दे॥
जो नारी तव जाप करे, मातृत्व सुख पावै।
जो नर ध्यान लगाए तेरा, कष्टों से तर जावै॥
मंत्र गायत्री जाप से, सब ग्रह दोष मिटाए।
माँ कृपा कर भक्तजन पर, सुख-सागर बरसाए॥
माता तू सर्वशक्ति स्वरूपा, ब्रह्मा भी ना जानै।
जो मन जोति जगावे तव, भवसागर वो तिर जाये॥
॥ दोहा ॥
जो पाठ करे चालीसा, तव चरणन में ध्यान।
गायत्री माता कृपा कर, करे बुद्धि का दान॥
गायत्री जप मंत्र (नित्य उच्चारण के लिए):
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥
गायत्री माता का महत्व: | |
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नाम | गायत्री माता |
स्वरूप | पंचमुखी देवी, वेदों की जननी |
मंत्र | "ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं..." |
रूप | ब्रह्म तेज से युक्त, श्वेत कमल पर विराजमान |
अधिष्ठान | बुद्धि, विवेक, ज्ञान और आत्मप्रकाश |
उपासना का फल | बुद्धि की शुद्धि, आत्मबोध, ग्रहशांति, पितृशांति, ब्रह्मविद्या की प्राप्ति |
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