चिन्तामणि षट्पदी स्तोत्र...
चिंतामणि षट्पदी स्त्रोत भगवान् गणेशःजी की उपासना करने के लिए। तथा भगवान गणेशः से आशीर्वाद, तथा अपने जीवन में सफलता, स्वास्थ्य तथा हर इच्छित वर, देने का अनुरोध किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति सुरक्षित तथा भय मुक्त महसूस करता है साथ ही उसकी इच्छा की भी पूर्ति होती है।
卐 चिंतामणि षट्पदी 卐
द्विरदवदन विषमरद वरद जयेशान शांतवरसदन ।
सदनवसादन दयया कुरु सादनमंतरायस्य ॥ १ ॥
इंदुकला कलितालिक सालिकशुंभत्कपोलपालियुग ।
विकटस्फुटकटधाराधारोऽस्यस्य प्रपंचस्य ॥ २ ॥
वरपरशुपाशपाणे पणितपणायापणायितोऽसि यतः ।
आरूह्य वज्रदंतं आखुं विदधासि विपदंतम् ॥ ३ ॥
लंबोदर दूर्वासन शयधृतसामोदमोदकाशनक ।
शनकैरवलोकय मां यमांतरायापहारिचारुदृशा ॥ ४ ॥
आनंदतुंदिलाखिलवृंदारकवृंदवंदितांघ्रियुग ।
सुखधृतदंडरसालो नागजभालोऽतिभासि विभो ॥ ५ ॥
अगणेयगुणेशात्मज चिंतकचिंतामणे गणेशान ।
स्वचरणशरणं करुणावरुणालय देव पाहि मां दीनम् ॥ ६ ॥
रुचिरवचोऽमृतरावोन्नीता नीता दिवं स्तुतिः स्फीता ।
इति षट्पदी मदीया गणपतिपादांबुजे विशतु ॥ ७ ॥
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