जानें भगवान भोलेनाथ पर चढ़ने वाली भांग के अद्भुत औषधीय गुण...
वैदिक परंपरा और आयुर्वेद दोनों दृष्टियों से — भांग (Cannabis indica) भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली एक प्रमुख पवित्र वस्तु है। शास्त्रों में कहा गया है कि जब समुद्र मंथन हुआ, तो विष के प्रभाव से उत्पन्न उलझन और ताप को कम करने हेतु भगवान शिव ने भांग का सेवन किया और वह "औषधियों के अधिपति" कहलाए।
भांग के पौधे की पत्तियों को पीस कर भांग तैयार की जाती है। भांग "आयुर्वेदिक चिकित्सा" में अहम भूमिका निभाता है, इसका प्रयोग बहुतायत से स्वास्थ्य, हल्के नशे तथा दवाओं के लिए किया जाता है। यदि आप भांग को उबालकर पीते हैं तो फिर इसके फायदे दोगुने बढ़ जाते हैं। भारत में भांग के पौधे अपने आप पैदा हुए और सभी जगह पाये जाते हैं। भांग के पौधे विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाया जाता है। भांग को भगवान शंकर पर भी चढ़ाया जाता है। शिवरात्री में भांग पीकर मस्त होने का मजा सब लेना पसंद करते है। आज हम इस आर्टिकल में भांग के पत्ते आपकी सेहत को कैसे और क्या लाभ पहुंचाते हैं, उसके बारे में बताएंगे।
भांग पीने के बाद ख़ुशी महसूस करते हैं। दरअसल, भांग खाने से डोपामीन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। डोपामीन को 'हैपी हार्मोन' भी कहते हैं, जो हमारे मूड को कंट्रोल करता है और ख़ुशी के स्तर को बढ़ाता है। भांग पीने से आपके सेहत को कई तरह से नुकसान पहुँच सकता है, जो आपके स्वास्थ्य को बेहद गंभीर अवस्था तक ले जा सकती है। इसलिए भांग पीने से पहले इन बातों के तरफ ध्यान दें कि खाली पेट भांग न पियें और साथ में नमकीन स्नैक्स लें भुल कर भी मीठा ना खाये।
भांग लेने के बाद अजीब सी ख़ुशी महसूस होती है। ख़ुशी पाने की बार-बार चाहत में लोग इसके आदी भी होने लगते हैं। भांग को अगर जलाकर सिगरेट या बीड़ी की तरह पीते हैं तो इसका असर कुछ सेकंड में ही होने लगता है। भांग के धुएं को हमारे फेफड़े बहुत जल्द सोखते हैं और ये दिमाग़ तक पहुंच जाते हैं। भांग को आप पीते हैं या खाते हैं तो इसका नशा आने में आधे से एक घंटे का वक़्त लग सकता है। भांग का नसा दिमाग़ को कुछ ज़्यादा ही सक्रिय कर देता है। थोड़े समय के लिए आपका दिमाग़ हाइपर एक्टिव हो जाता है। सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है। आप आसपास की चीज़ों को महसूस नहीं कर पाते हैं। यदि आप भांग इसे-इसे बार और ज़्यादा मात्रा में लिया जाता है तो इससे दिमाग़ के विकास पर असर पड़ता है। अगर भांग बहुत ज़्यादा मात्रा में लेते है तो दिमाग़ ठीक से काम करना बंद कर सकता है। हार्टअटैक की संभावनाएं और ब्लडप्रेशर बढ़ जाती है, आंखें लाल होने लगती है। श्वास लेने की परेशानियां बढ़ सकती है। महिलाओं को गर्भ धारण करने में भी पेरशानी हो सकती है।
शिव और भांग का आध्यात्मिक संबंध:
| भांग के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Bhang) | |
|---|---|
| गुण | लाभ |
| 1. शीतलकारी (Cooling Agent) | भांग शरीर को शीतलता प्रदान करती है, विशेषकर गर्मियों में |
| 2. पाचन शक्ति में वृद्धि | आयुर्वेद में भांग का उपयोग अपच, मंदाग्नि, अजीर्ण के इलाज में किया जाता है |
| 3. मानसिक तनाव से राहत | भांग नियंत्रित मात्रा में मानसिक संतुलन देती है – तनाव, बेचैनी, अनिद्रा में लाभदायक |
| 4. दर्द निवारक (Analgesic) | पुराने जोड़ों के दर्द, गठिया, मांसपेशियों के दर्द में राहत देती है |
| 5. निद्राजनक (Sleep Inducing) | अनिद्रा या बार-बार नींद टूटने की समस्या में यह प्राकृतिक निद्रादायक होती है |
| 6. कामशक्ति में वृद्धि (Aphrodisiac) | आयुर्वेदिक योगों में इसे वृष्य (कामशक्ति बढ़ाने वाला) माना गया है |
| 7. ह्रदय के लिए सहायक | नियंत्रित रूप में यह रक्तचाप और तनाव को कम कर हृदय को शांति देती है |
| 8. मानसिक एकाग्रता | ध्यान, साधना और गहन योग में उपयोग से मन की स्थिरता बढ़ती है |
भांग की पत्ती उबालकर पीने या उपयोग में लाने के फायदे:
भांग का पौधा दवा के रूप में:
आयुर्वेद में भांग का उपयोग!
उपयोग:
भांग के सेवन में सावधानी:
संस्कृत श्लोक में भांग का उल्लेख:
"विजया गुणसम्पन्ना तीव्रा तीक्ष्णा हि शोभना।
शूलार्तिनाशिनी तिक्ता ह्रदि स्निग्धा निरामया॥"
(अर्थ: भांग गुणों में तीव्र, स्निग्ध, शूलनाशक और औषधीय है)

Comments
Post a Comment