माँ गंगा अष्टोत्तर शतनामावली...
माँ गंगा अष्टोत्तर शतनामावली- माँ गंगा के १०८ नाम हैं। जो भक्त सूर्योदय काल में गंगा स्नान के समय अत्यंत श्रद्धा भाव से, एकनिष्ठ होकर उनके १०८ नामों का जप करता हैं वह तीक्ष्ण बुद्धि, धन-धान्य, ऐश्वर्य, मान-सम्मान, विद्या तथा मनोवांछित फल को शीघ्र ही प्राप्त कर लेता है, साथ ही उसकी इच्छा की भी पूर्ति होती है। हर कामना पूर्ण होती है।
|| माँ गंगा अष्टोत्तर शतनामावली ||
ॐ गङ्गायै नमः।
ॐ त्रिपथगादेव्यै नमः।
ॐ शम्भुमौलिविहारिण्यै नमः।
ॐ जाह्नव्यै नमः।
ॐ पापहन्त्र्यै नमः।
ॐ महापातकनाशिन्यै नमः।
ॐ पतितोद्धारिण्यै नमः।
ॐ स्रोतस्वत्यै नमः।
ॐ परमवेगिन्यै नमः। ९
ॐ विष्णुपादाब्जसम्भूतायै नमः।
ॐ विष्णुदेहकृतालयायै नमः।
ॐ स्वर्गाब्धिनिलयायै नमः।
ॐ साध्व्यै नमः।
ॐ स्वर्णद्यै नमः।
ॐ सुरनिम्नगायै नमः।
ॐ मन्दाकिन्यै नमः।
ॐ महावेगायै नमः।
ॐ स्वर्णशृङ्गप्रभेदिन्यै नमः। १८
ॐ देवपूज्यतमायै नमः।
ॐ दिव्यायै नमः।
ॐ दिव्यस्थाननिवासिन्यै नमः।
ॐ सुचारुनीररुचिरायै नमः।
ॐ महापर्वतभेदिन्यै नमः।
ॐ भागीरथ्यै नमः।
ॐ भगवत्यै नमः।
ॐ महामोक्षप्रदायिन्यै नमः।
ॐ सिन्धुसङ्गगतायै नमः। २७
ॐ शुद्धायै नमः।
ॐ रसातलनिवासिन्यै नमः।
ॐ महाभोगायै नमः।
ॐ भोगवत्यै नमः।
ॐ सुभगानन्ददायिन्यै नमः।
ॐ महापापहरायै नमः।
ॐ पुण्यायै नमः।
ॐ परमाह्लाददायिन्यै नमः।
ॐ पार्वत्यै नमः। ३६
ॐ शिवपत्न्यै नमः।
ॐ शिवशीर्षगतालयायै नमः।
ॐ शम्भोर्जटामध्यगतायै नमः।
ॐ निर्मलायै नमः।
ॐ निर्मलाननायै नमः।
ॐ महाकलुषहन्त्र्यै नमः।
ॐ जह्नुपुत्र्यै नमः।
ॐ जगत्प्रियायै नमः।
ॐ त्रैलोक्यपावन्यै नमः। ४५
ॐ पूर्णायै नमः।
ॐ पूर्णब्रह्मस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ जगत्पूज्यतमायै नमः।
ॐ चारुरूपिण्यै नमः।
ॐ जगदम्बिकायै नमः।
ॐ लोकानुग्रहकर्त्र्यै नमः।
ॐ सर्वलोकदयापरायै नमः।
ॐ याम्यभीतिहरायै नमः।
ॐ तारायै नमः। ५४
ॐ पारायै नमः।
ॐ संसारतारिण्यै नमः।
ॐ ब्रह्माण्डभेदिन्यै नमः।
ॐ ब्रह्मकमण्डलुकृतालयायै नमः।
ॐ सौभाग्यदायिन्यै नमः।
ॐ पुंसां निर्वाणपददायिन्यै नमः।
ॐ अचिन्त्यचरितायै नमः।
ॐ चारुरुचिरातिमनोहरायै नमः।
ॐ मर्त्यस्थायै नमः। ६३
ॐ मृत्युभयहायै नमः।
ॐ स्वर्गमोक्षप्रदायिन्यै नमः।
ॐ पापापहारिण्यै नमः।
ॐ दूरचारिण्यै नमः।
ॐ वीचिधारिण्यै नमः।
ॐ कारुण्यपूर्णायै नमः।
ॐ करुणामय्यै नमः।
ॐ दुरितनाशिन्यै नमः।
ॐ गिरिराजसुतायै नमः। ७२
ॐ गौरीभगिन्यै नमः।
ॐ गिरिशप्रियायै नमः।
ॐ मेनकागर्भसम्भूतायै नमः।
ॐ मैनाकभगिनीप्रियायै नमः।
ॐ आद्यायै नमः।
ॐ त्रिलोकजनन्यै नमः।
ॐ त्रैलोक्यपरिपालिन्यै नमः।
ॐ तीर्थश्रेष्ठतमायै नमः।
ॐ श्रेष्ठायै नमः। ८१
ॐ सर्वतीर्थमय्यै नमः।
ॐ शुभायै नमः।
ॐ चतुर्वेदमय्यै नमः।
ॐ सर्वायै नमः।
ॐ पितृसन्तृप्तिदायिन्यै नमः।
ॐ शिवदायै नमः।
ॐ शिवसायुज्यदायिन्यै नमः।
ॐ शिववल्लभायै नमः।
ॐ तेजस्विन्यै नमः। ९०
ॐ त्रिनयनायै नमः।
ॐ त्रिलोचनमनोरमायै नमः।
ॐ सप्तधारायै नमः।
ॐ शतमुख्यै नमः।
ॐ सगरान्वयतारिण्यै नमः।
ॐ मुनिसेव्यायै नमः।
ॐ मुनिसुतायै नमः।
ॐ जह्नुजानुप्रभेदिन्यै नमः।
ॐ मकरस्थायै नमः। ९९
ॐ सर्वगतायै नमः।
ॐ सर्वाशुभनिवारिण्यै नमः।
ॐ सुदृश्यायै नमः।
ॐ चाक्षुषीतृप्तिदायिन्यै नमः।
ॐ मकरालयायै नमः।
ॐ सदानन्दमय्यै नमः।
ॐ नित्यानन्ददायै नमः।
ॐ नगपूजितायै नमः।
ॐ सर्वदेवाधिदेवैः परिपूज्यपदाम्बुजायै नमः। १०८
|| इति गंगा अष्टोत्तर शतनामावली संपूर्ण ||
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