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Showing posts from June, 2022

GOVIND DAMODAR STOTRAM - STOTRA IN HINDI गोविन्द दामोदर स्तोत्र

गोविन्द दामोदर स्तोत्र श्री गोविंद दामोदर स्तोत्र... श्रीं राधे कृष्णा | श्रीं राधे कृष्णा | श्रीं राधे कृष्णा | श्रीं राधे कृष्णा | श्रीं राधे कृष्णा श्री गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् की रचना श्रीबिल्वमंगल ठाकुर जी द्वारा की गयी है, जिन्हें ‘श्रीलीलाशुक’ कहा जाता है। विपत्ति के समय श्रद्धाभक्तिपूर्वक इस श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्रम् का पाठ किया जाए तो मनुष्य के सारे दु:ख स्वयं भगवान हर लेते हैं। श्री कृष्ण भगवान के इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से भगवान साधक को भक्ति और आनन्दामृत प्रदान करने के साथ मनुष्य को मोक्ष भी प्रदान करते है। श्रीं कृष्ण भगवान की भक्ति पाने के लिए इसे प्रतिदिन पढ़ें! || गोविन्द दामोदर स्तोत्र || अग्रे कुरूणामथ पाण्डवानां दुःशासनेनाहृतवस्त्रकेशा । कृष्णा तदाक्रोशदनन्यनाथा गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ १॥ श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे । त्रायस्व मां केशव लोकनाथ गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ २॥ विक्रेतुकामा किल गोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्तिः । दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ३॥ उलूखले सम्भृततण्ड

Sri Vindhyeshwari Stotram - Nishumbh Shumbh Garjani, Prachanda Mund Khandini

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्... स्तोत्र के दुवारा माँ विन्ध्येश्वरी से प्रार्थना की जाती है कि देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें। विंध्येश्वरी दो अत्यंत क्रूर राक्षसों की संहारक है। अर्थात् निशुंभुआ और शुंभ। हमारी सुरक्षा के लिए उसके हाथों में हथियार हैं। वह हमारे जीवन से दुख, दरिद्रता और पीड़ा को भी दूर करती है और हमारे जीवन को सुखी, समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाती है। विंधेेश्वरी हमारी रक्षा करने और हमारी मदद करने के लिए हमारे घर आती हैं। इसलिए हम उनसे प्रार्थना करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं। || श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् || निशुम्भशुम्भमर्दिनीं प्रचण्डमुण्डखण्डिनीम्। वने रणे प्रकाशिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्।।१।। त्रिशूलमुण्डधारिणीं धराविघातहारिणीम्। गृहे गृहे निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम।।२।। दरिद्रदु:खहारिणीं सतां विभूतिकारिणीम्। वियोगशोकहारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्।।३।। लसत्सुलोलचनां लतां सदावरप्रदाम्। कपालशूलधारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम्।।४।। करे मुदा गदाधरां शिवां शिवप्रदायिनीम्। वरावराननां शुभां भजामि व