श्री गंगा चालीसा श्री गंगा चालीसा... सनातन धर्म के अनुसार गंगा नदी को भारत की नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही गंगा नदी को माँ गंगा या माँ गंगे के नाम से सम्मानित किया जाता है। पतित-पावनी माँ गंगे लोगों को पाप से मुक्त करने वाली है। सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठानो में गंगा के जल का प्रयोग अत्यंत ही विशेष महत्व रखता है। मान्यता अनुसार गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। मनुष्य के मरने बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग गंगा में राख विसर्जित करते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा भी रखते हैं। माँ गंगा की गंगा चालीसा का पाठ का पाठ सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक से करें। || श्री गंगा चालीसा || ॥ दोहा ॥ जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जननी हराना अघखानी । आनंद करनी गंगा महारानी ॥१॥ जय भगीरथी सुरसरि माता । कलिमल मूल डालिनी विख्याता ॥२॥ जय जय जहानु सुता अघ हनानी । भीष्म की माता जगा जननी ॥३॥ धवल कमल दल मम तनु सज
जीवने यत् प्राप्तम् तदर्थं कृतज्ञतां धारयतु, यत् न प्राप्तम् तदर्थं धैर्यं धारयतु।