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Showing posts from April, 2023

Maa\Ganga\Shri Ganga Chalisa - गंगा चालीस

श्री गंगा चालीसा श्री गंगा चालीसा... सनातन धर्म के अनुसार गंगा नदी को भारत की नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही गंगा नदी को माँ गंगा या माँ गंगे के नाम से सम्मानित किया जाता है। पतित-पावनी माँ गंगे लोगों को पाप से मुक्त करने वाली है। सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठानो में गंगा के जल का प्रयोग अत्यंत ही विशेष महत्व रखता है। मान्यता अनुसार गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। मनुष्य के मरने बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग गंगा में राख विसर्जित करते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा भी रखते हैं। माँ गंगा की गंगा चालीसा का पाठ का पाठ सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक से करें। || श्री गंगा चालीसा || ॥ दोहा ॥ जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जननी हराना अघखानी । आनंद करनी गंगा महारानी ॥१॥ जय भगीरथी सुरसरि माता । कलिमल मूल डालिनी विख्याता ॥२॥ जय जय जहानु सुता अघ हनानी । भीष्म की माता जगा जननी ॥३॥ धवल कमल दल मम तनु सज

Maa Dhumavati\Stuti\Sri Saubhagya Dhumavati Kalpokta Dhumavati Kavacham\Dhumavati Ashtottara Shatanam Stotra

श्री सौभाग्यधूमावतीकल्पोक्त धूमावतीकवचम् माँ धूमावती... माँ धूमावती १० महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति हैं, धूमावती माता पार्वती का एक रूप है। यदि सब पूजा पाठ तंत्र मंत्र यन्त्र विफल हो जाएं या कोई काम ना आये तो धूमावती की शरण लें ये अंतिम उपाय है अंत मे ही करें, देवी की स्तुति से देवी की अमोघ कृपा प्राप्त होती है।... || माँ धूमावती || स्तुति: विवर्णा चंचला दुष्टा दीर्घा च मलिनाम्बरा, विवरणकुण्डला रूक्षा विधवा विरलद्विजा, काकध्वजरथारूढा विलम्बित पयोधरा, सूर्यहस्तातिरुक्षाक्षी धृतहस्ता वरान्विता, प्रवृद्वघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा, क्षुतपिपासार्दिता नित्यं भयदा कलहप्रिया. ॥ सौभाग्यदात्री धूमावती कवचम् ॥ धूमावती मुखं पातु धूं धूं स्वाहास्वरूपिणी । ललाटे विजया पातु मालिनी नित्यसुन्दरी ॥१॥ कल्याणी ह्रदयपातु हसरीं नाभि देशके । सर्वांग पातु देवेशी निष्कला भगमालिना ॥२॥ सुपुण्यं कवचं दिव्यं यः पठेदभक्ति संयुतः । सौभाग्यमतुलं प्राप्य जाते देविपुरं ययौ ॥३॥ ॥ श्री सौभाग्यधूमावतीकल्पोक्त धूमावतीकवचम् ॥ ।।श्री धूमावती अष्टो

Sri\Lakshmi\Mahalakshmi Chaturvimsati Nama Stotram

<b>महालक्ष्मीचतुर्विंशतिनामस्तोत्रम्</b> महालक्ष्मी चतुर्विंशति नाम स्तोत्रम्... यह देवी महालक्ष्मी के चौबीस नाम हैं – महालक्ष्मीचतुर्विंशतिनामस्तोत्रम् का पाठ सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक से करें... || महालक्ष्मीचतुर्विंशतिनामस्तोत्रम् || नमःश्रियै लोकधात्र्यै ब्रह्ममात्रे नमो नमः । नमस्ते पद्मनेत्रायै पद्ममुख्यै नमो नमः ॥ प्रसन्नमुखपद्मायै पद्मकान्त्यै नमो नमः । नमो बिल्ववनस्थायै विष्णुपत्न्यै नमो नमः ॥ विचित्रक्षौमधारिण्यै पृथुश्रोण्यै नमो नमः । पक्वबिल्वफलापीनतुञ्गस्तन्यै नमो नमः ॥ सुरक्तपद्मपत्राभकरपादतले शुभे । सरत्नाञ्गदकेयूरकाङ्चीनूपुरशोभिते ॥ यक्षकर्दमसंलिप्तसर्वाञ्गे कनकोज्ज्वले । माङ्गल्याभरणैश्चित्रैर्मुक्ताहारैर्विभूषिते ॥ ताटङ्कैरवतंसैश्च शोभमानमुखाम्बुजे । पद्महस्ते नमस्तुभ्यं प्रसीद हरिवल्लभे ॥ ऋग्यजुस्सामरूपायै विद्यायै ते नमो नमः । प्रसीदास्मान् कृपादृष्टिपातैरालोकयाब्धिजे ॥ ये स्थानहीनाः स्वस्थानात् श्रुत्वा स्थानमवाप्नुयुः । इति श्रीवेङ्कटेशमहिषी महालक्ष्मीचतुर्विंशतिनामस्तोत्रम।। महालक्ष्मीचतुरविंशातिनामस्तोत

Batuk Bhairav\Shri Batuk Bhairav Chalisa\श्री बटुक भैरव नाथ

श्री बटुक भैरव चालीसा श्री बटुक भैरव भगवान शिव के ही एक रूप हैं, बटुक भैरव चालीसा... श्री बटुक भैरव चालीसा का पाठ करें, श्री बटुक भैरव को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। बटुक भैरव की साधना थोड़ी कठिन है यदि एक बार बटुक भैरव प्रसन्न हो गए तो साधक का जीवन खुशियों से भर देते है। श्री बटुक भैरव की स्तुति के लिए – श्री बटुक भैरव चालीसा का पाठ सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक से करें... ॥ श्री बटुक भैरव चालीसा ॥ ॥ दोहा ॥ विश्वनाथ को सुमिर मन,धर गणेश का ध्यान। भैरव चालीसा रचूं,कृपा करहु भगवान॥ बटुकनाथ भैरव भजू,श्री काली के लाल। छीतरमल पर कर कृपा,काशी के कुतवाल॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय श्रीकाली के लाला । रहो दास पर सदा दयाला ॥१॥ भैरव भीषण भीम कपाली । क्रोधवन्त लोचन में लाली ॥२॥ कर त्रिशूल है कठिन कराला । गल में प्रभु मुण्डन की माला ॥३॥ कृष्ण रूप तन वर्ण विशाला । पीकर मद रहता मतवाला ॥४॥ रुद्र बटुक भक्तन के संगी । प्रेत नाथ भूतेश भुजंगी ॥५॥ त्रैलतेश है नाम तुम्हारा । चक्र तुण्ड अमरेश पियारा ॥६॥ शेखरचंद्र कपाल बिराजे । स्वान सवारी पै प्रभु गाजे ॥७॥ शिव नकुलेश चण्ड

Sri Krishna\Krishna Sahasranamam Stotram-श्री कृष्ण सहस्त्रनाम स्तोत्रम

श्री कृष्ण सहस्त्रनाम स्तोत्रम श्री कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम्... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! श्री कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम् श्री विष्णु धर्मोत्तर पुराण से लिया गया हैं, श्री कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम् का पाठ श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर किया जाता हैं। श्री कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम् का नियमित रूप से पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण जी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता हैं। श्री कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम् का पाठ आवश्यक करें। ॥ श्रीकृष्णाय नमः ॥ ओं अस्य श्रीकृष्णसहस्रनामस्तोत्रमन्त्रस्य पराशर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीकृष्णः परमात्मा देवता, श्रीकृष्णेति बीजम्, श्रीवल्लभेति शक्तिः, शार्ङ्गीति कीलकं, श्रीकृष्णप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥ न्यासः पराशराय ऋषये नमः इति शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः इति मुखे, गोपालकृष्णदेवतायै नमः इति हृदये, श्रीकृष्णाय बीजाय नमः इति गुह्ये, श्रीवल्लभाय शक्त्यै नमः इति पादयोः, शार्ङ्गधराय कीलकाय नमः इति सर्वाङ्गे ॥ करन्यासः श्रीकृष्ण इत्यारभ्य शूरवंशैकधीरित्यन्तानि अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । शौरिरित्यारभ

Sri Shiva\Rudrashtakam\Shri Rudrashtakam Stotram

श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! भगवान शिव शंकर जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि भक्त श्रद्धा पूर्वक एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। 'श्री शिव रुद्राष्टकम' अपने आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था। ॥ श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र ॥ नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भज