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Showing posts from October, 2020

Shiva Tandava Stotra composed by Ravana

रावण रचित शिव तांडव स्तोत् रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र... शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति है, जिसकी रचना राक्षसराज रावण ने की थी। भगवान शिव की रावण ने अपार शक्ति को महसूस करने के बाद भजन की रचना की, और इसे भगवान की स्तुति में सबसे सुंदर और काव्यात्मक रचनाओं में से एक है। कर्ता करे न कर सके, शिव करे सो होय तीन लोक नौ खंड में, महाकाल से बड़ा न कोय ॐ नमः शिवाय: तांडव स्तोत्र जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥ जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी । विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि । धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥ धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर- स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे । कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥ जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा- कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे । मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभ

Praise lord Hanuman - आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की हनुमान जी महाराज की आरती... श्री हनुमान जी की इस आरती सरलता से पढ़ा व गा सकता है। इस मधुर व दिव्य आरती से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं तथा हनुमत वंदना का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। आरती आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।। अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए। लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई। लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे। पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े। बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे। कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई। लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई। जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै। आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। Related Pages: श्रीहनुमदष्टोत्त

Mahaadevajee kee Aarti - सत्य, सनातन, सुन्दर शिव! सबके स्वामी। अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी।। हर-हर...

हर-हर महादेवजी की आरती | Bhakti Gyan हर-हर महादेवजी की आरती... भगवान भोलेनाथ की आरती से मनुष्य को संपूर्ण गृहस्थ सुख प्राप्त होता है और मनवाँछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान भोलेनाथ की हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बनी रहती है। ||आरती|| सत्य, सनातन, सुन्दर शिव! सबके स्वामी। अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी।। हर-हर... आदि, अनंत, अनामय, अकल कलाधारी। अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी।। हर-हर... ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी। कर्ता, भर्ता, धर्ता तुम ही संहारी।। हर-हर... रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औघरदानी। साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता, अभिमानी।। हर-हर... मणिमय भवन निवासी, अतिभोगी, रागी। सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी।। हर-हर... छाल कपाल, गरल गल, मुण्डमाल, व्याली। चिताभस्म तन, त्रिनयन, अयन महाकाली।। हर-हर... प्रेत पिशाच सुसेवित, पीत जटाधारी। विवसन विकट रूपधर रुद्र प्रलयकारी।। हर-हर... शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी। अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मनहारी।। हर-हर... निर्गुण, सगुण, निरंजन, जगमय, नित्य प्रभो। कालरूप केवल हर! कालातीत विभो।। हर

Panchmukhi Hanuman Kavach - श्रुणु सर्वांगसुंदर। यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम्

अथ श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचम् श्री पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्र... श्री हनुमान कवच अत्यंत प्रभावशाली कवच: जिसे धारण करने से जातक सर्वत्र विजयी होता है और मनुष्य के भीतर एक आत्मविश्वास रहता है। किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति उसका अहित नहीं कर सकती। इस कवच को धारण करने से मनुष्य पर किसी भी तांत्रिक प्रभाव, जादू-टोना आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा वह निर्भय होकर प्रत्येक स्थान पर विचरण करता है। श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। 卐 अथ श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचम् 卐 श्री गणेशाय नम:। ओम अस्य श्रीपंचमुख हनुम्त्कवचमंत्रस्य ब्रह्मा रूषि:। गायत्री छंद्:। पंचमुख विराट हनुमान देवता। ह्रीं बीजम्। श्रीं शक्ति:। क्रौ कीलकम्। क्रूं कवचम्। क्रै अस्त्राय फ़ट्। इति दिग्बंध्:। श्री गरूड उवाच्।। अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि। श्रुणु सर्वांगसुंदर। यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत्: प्रियम्।।१।। पंचकक्त्रं महाभीमं त्रिपंचनयनैर्युतम्। बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिध्दिदम्।।२।। पूर्वतु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्। दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटीकुटिलेक्षणम्।।३।। अस्यैव दक्षिणं

Shri Bajrang Baan - जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

बजरंग बाण | BHAKTI GYAN श्री बजरंग बाण... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! बजरंग बाण का जप मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये प्रयोग किया जाता है। कहा जाता है कि बजरंग बाण का पाठ करने से बड़ी से बड़ी परेशानी भी दूर हो जाती है। बजरंग बाण का जप मंगलवार या शनिवार के दिन शुरु करें। इस दिन यथाशक्ति हनुमान कृपा और शनिदेव की प्रसन्नता के लिए व्रत भी रख सकते हैं। बजरंग बाण के नित्य पाठ से व्यक्ति के तन, मन और धन से जुड़े सभी कलह और संताप दूर होते हैं और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती हैं। || बजरंग बाण || दोहा निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ चौपाई जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जा

Bhagavaan Shani Chalisa - जयति जयति शनिदेव दयाला।

हर शनिवार करें शनि चालीसा का पाठ हर शनिवार करें शनि चालीसा का पाठ... श्रीं शनि चालीसा का श्रद्धा पूर्वक पाठ करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। शनि महाराज का आशीर्वाद पाने के लिए शनि चालीसा का पाठ शनिवार के दिन शनि मंदिर में करें। इसे करने से घर में सुख- समृद्धि आती है। साथ ही घर में धन की कमी नहीं होती है। शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है। इस दिन विशेष पूजा करने से शनि देव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए, साथ ही शनि देव से जुड़ी चीजों का दान भी करें। श्रीं शानि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा पाठ करें। श्री शनि चालीसा ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥ ॥ चौपाई ॥ जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥ परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥ कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तन मणि दम

Shri Ganesh Chalisa -जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥

गणेश चालीसा | BHAKTI GYAN श्री गणेश चालीसा... प्रतिदिन सूर्योदय भगवान गणेश जी की आरती और चालीसा का पाठ किया जाए तो भगवान श्री गणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। गणेश चालीसा में भगवान गणेश के जन्म और उनकी शौर्य गाथा का वर्णन है। इसका गुणगान करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं। याद रखे चालीसा का पाठ करने से पूर्व अपनी पवित्रता बनाये रखे। इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है, साथ ही उसकी इच्छा की भी पूर्ति होती है। || श्री गणेश चालीसा || दोहा जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥ चौपाई जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥ जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥ वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥ राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥ पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥ सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥ धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥ ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाह