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Showing posts from November, 2020

Shree Maruti Stotra Hanuman JI ka

श्री मारुती स्तोत् श्री मारुती स्तोत्र... मारुति स्तोत्र, पवन पुत्र हनुमान जी को समर्पित है। मारुति स्तोत्रम बेहद ही प्रभावशाली स्तोत्र माना जाता है, इस स्तोत्र के माध्यम से बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जिस के ऊपर अंजनि के लाल हनुमान जी का आशीर्वाद हो तो उसके जीवन में कोई भी संकट नहीं आता है। जो व्यक्ति हनुमान जी का स्मरण सच्चे हृदय से करता है उसके जीवन में आने वाली सारी विपदाएँ दूर हो जाती हैं। उसका जीवन सुखद और निरोगी काया के होता है। ॥ श्री मारुती स्तोत्र ॥ || मारुति स्तोत्रम् || ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय। प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय। प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय। भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय। शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय। ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय। मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय। मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय। व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुख

Somvar Vrat Katha Or Puja Vidhi-सोमवार व्रत कथा

सोमवार व्रत कथा सोमवार व्रत कथा... भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आप भी सोमवार का व्रत कर रहे हैं, तो शिव व्रत कथा को पढ़कर या सुनकर इस उपवास को पूर्ण करें... सोमवार व्रत विधि : पौराणिक ग्रंथो में सोमवार के व्रत की विधि का वर्णन करते हुए बताया गया है। सोमवार व्रत में व्यक्ति को प्रातः स्नान करके शिव जी को जल और बेल पत्र चढ़ाना चाहिए तथा शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए। शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए. इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए। साधारण रूप से सोमवार का व्रत दिन के तीसरे पहर तक होता है, मतलब शाम तक रखा जाता है। सोमवार व्रत तीन प्रकार के होता है- प्रति सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती है। व्रत कथा : बहुत समय पहले, एक नगर में एक साहूकार रहता था. वह बहुत ही धर्मात्मा और भगवान शिव का भक्त था। उसके घर में धन और वैभव की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण से वह बहुत दुखी था। पुत्र की प्राप्ति के लिए वह हर सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भ

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Shree Shani Dev Dashrath Shani Stotra-दशरथकृत शनि स्तोत्र

शनिवार सुबह एवं शाम दशरथकृत शनि स्तोत्र का सिमरन करें शनिवार सुबह एवं शाम दशरथकृत शनि स्तोत्र का सिमरन करें... पौराणिक कथा के अनुसार शनि स्तोत्र के रचियता राजा दशरथ हैं। इस स्तोत्र से उन्होंने शनि देव की स्तुति कर प्रसन्न किया। शनिदेव को न्यायाधीश की उपाधि दी गई है। अगर आप शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति पाना चाहते है तो दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। प्रसन्न हो जाएंगे शनिदेव, हर शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और आप पर शनिदेव की कृपा हमेशा बनी रहेगीं। दशरथकृत शनि स्तोत्र के पाठ से शनि के प्रकोप से मुक्ति होगा। दशरथ उवाच: प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥ रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् । सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥ याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं । एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥ प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा । पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥ ॥ दशरथकृत शनि स्तोत्र ॥ नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण् निभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम

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Maa Annapurna Stotram

माँ अन्नपूर्णा स्तोत्रम् माँ अन्नपूर्णा स्तोत्रम्... 'अन्न' का अर्थ है भोजन या अनाज और 'पूर्णा' का अर्थ है संपूर्ण। देवी अन्नपूर्णा हिंदू धर्म में भोजन और पोषण की देवी हैं। शास्त्रों के अनुसार अगहन पूर्णिमा के दिन पृथ्वीवासियों के कष्टों का नाश करने के लिए अन्न की देवी अन्नपूर्णा देवी का जन्म हुआ था। मां अन्नपूर्णा भगवान शंकर की महान शक्ति देवी पार्वती का अंश अवतार हैं। अन्नपूर्णा स्तोत्र में आदि शंकराचार्य ने मां अन्नपूर्णा से सभी को भोजन उपलब्ध कराने की प्रार्थना की है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि के दिन जो भी व्यक्ति अपने घर में सुबह और शाम दोनों समय रसोई में गाय के घी का दीपक जलाकर इस स्त्रोत का विधिवत पूजन और पाठ करेगा, उससे मां प्रसन्न होकर अपनी शरण में आ जाती हैं। सभी समस्याओं का समाधान होने के साथ-साथ उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। 卐 माँ अन्नपूर्णा स्तोत्रम् 卐 नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौंदर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी । प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्

Aarti Maata Annapurna Ji's

मां अन्नपूर्णा अन्न की देवी  मां अन्नपूर्णा अन्न की देवी जो धन धान्य की देवी है। अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से घर में कभी भी किसी चीज़ की कमी नही होती तथा अन्न के भंडार भरे रहते हैं।   अन्नपूर्णा जंयती का पर्व कब मनाया जाता है ? मां अन्नपूर्णा का पर्व मार्गशीष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। मां अन्नपूर्ण की पूजा करने से घर में कभी धन और धान्य की कमी नही होती। अन्नपूर्ण जयंती के दिन अन्न का दान करने से भी विशेष लाभ मिलता है। अन्नपूर्णा जयन्ती का महत्व किया है ? अन्नपूर्णा जयंती मागर्शीष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इसका का बड़ा महत्व होता है। जब पृथ्वी पर लोगों के पास खाने के लिए कुछ नही था तो मां पार्वती ने अन्नपूर्णा का रुप रखकर पृथ्वी को इस संकट से निकाला था। अन्नपूर्णा जयंती का दिन मनुष्य के जीवन में अन्न के महत्व को दर्शाता है। इस दिन आप सबसे पहले रसोई की सफाई और अन्न का सदुपयोग बहुत जरूरी होता है। इससे घर मे शुधी आती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रसोई की सफाई करने और अन्न का सदुपयोग करने से

Shree Lord Ganesha Bhajan-भगवान गणेश जी का भजन

भगवान गणेश जी का भजन भगवान गणेश जी का भजन... ॥ भजन ॥ भगवान तुम्हारे मन्दिर में, मैं तुम्हें रिझाने आया हूँ। वाणी में तनिक मिठास नहीं, पर विनय सुनाने आया हूँ॥ प्रभु का चरणामृत लेने को, है पास मेरे कोइ पात्र नहीं। आँखों के दोनों प्यालों में, कुछ भीख माँगने आया हूँ ॥ तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ, भगवान आपके चरणों में। मैं भिक्षुक हूँ तुम दाता हो, सम्बन्ध बताने आया हूँ॥ सेवा की वस्तु नहीं कोई, फिर मेरा हृदय देख लेना। हाँ रो कर आज आँसुओं का, मैं हार चढ़ाने आया हूँ॥ Related Pages: श्रीगणेश चालीसा श्री गणेश द्वादश नाम स्तोत्रम् श्री गणेश मानसपूजा चिन्तामणि षट्पदी स्तोत्र गणपतितालम् पंचमुखी हनुमान कवच संकटमोचन हनुमानाष्टक श्री हनुमान चालीसा श्री बालाजी चालीसा माँ लक्ष्मी स्तोत्रम् श्री सूर्य भगवान हृदय स्तोत्र द्वादश ज्योतिर्लिंग रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्रम् माँ अन्नपूर्णा स्तोत्रम् महालक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी के लिए प्रार्थना स्तोत्र संग्रह | चालीसा संग्रह | आरती | इतिहास | कृषि | ख