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Showing posts from March, 2023

Kal Bhairav\Kaal Bhairav Ashtakam in Sanskrit

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र | BHAKTI GYAN कालभैरव अष्टक... ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय कालभैरव अष्टकम एक संस्कृत अष्टकम है, जिसे आदि शंकराचार्य ने लिखा है। भैरव भगवान शिव के स्वरूप हैं। इन्हें कलियुग की बाधाओं का शीघ्र निवारण करने वाले देव मानते हैं। खासतौर से प्रेत व तांत्रिक बाधा के दोष उनके पूजन से दूर हो जाते हैं। संतान की दीर्घायु हो या गृहस्वामी का स्वास्थ्य, भगवान भैरव स्मरण और पूजन मात्र से उनके कष्टों को दूर कर देते हैं। भगवान भैरव के पूजन से राहु-केतु शांत हो जाते हैं। उनके पूजन में भैरव अष्टक और भैरव कवच का पाठ जरूर करना, इससे शीघ्र फल मिलता है। साथ ही तांत्रिक व प्रेत बाधा का संकट टल जाता है। यह स्तोत्र समय को नष्ट करने वाले काशी के कालभैरव (भैरव के नाम से भी जाना जाता है) को समर्पित है। ॥ कालभैरवाष्टकम् ॥ देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् । नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥ भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

Shiv Stotra\Daridra Dahan Shiv Stotra in Hindi

दरिद्रता दहन शिव स्तोत्र | BHAKTI GYAN ऋषि वशिष्ठ द्वारा रचित दारिद्रय दहन शिव स्त्रोत... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! सनातन धर्म-ग्रंथो में कई ऐसे उपाय बताये गए हैं जिनसे आप अपने जीवन से दुःख और दरिद्रता को दूर कर सकतें हैं, दारिद्रय दहन शिव स्त्रोत उनमें से एक है। चाहे अत्यंत प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिल रही हो, घोर रूप से आर्थिक संकट में हो या फिर किसी प्रकार की बीमारी से जूझ रहें हों तो भगवान् शिव के इस दारिद्रय दहन स्त्रोत का पाठ अवश्य करें। दरिद्रय दहन शिव स्तोत्र की रचना भगवान् श्री राम के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने की है। बहुत से लोग गरीबी को गरीबी समझते हैं, लेकिन गरीबी विनाश है। इस दारिद्रय दहन शिव स्त्रोत का नित्य पाठ जीवन के सभी 8 प्रकार के वैभव को प्रदान करने वाला है। अगर अपने जीवन से दुःख, दरिद्रता, अशिक्षा और बेरोजगारी को दूर रखना चाहतें हैं तो इस शिव स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से प्रदोष काल (सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक) में नित्य रूप से करें। ॥ दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् ॥

Shri Ganesha\Mantra\Shi Ganesh Stotra

श्री गणेश स्तोत्र | BHAKTI GYAN श्री गणेश स्तोत्र... श्री गणेश स्तोत्र का नियमित रुप से पाठ करने से मनोकामना भी पूर्ण होती है। और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, डर दूर रहता है साथ ही गणेश जी की पूजा करने से आयु, यश, बल, बुदि और ज्ञान में वृद्धि होती है। याद रखे इस श्रीगणेश प्रातः स्मरणम् स्तोत्र पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे। इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है, साथ ही उसकी इच्छा की भी पूर्ति होती है। 卐 श्री गणेश स्तोत्र 卐 श्री गणेश स्तोत्र ॥ श्री गणेशाय नमः ॥ प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम । भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥ १॥ प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम । तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥ २॥ लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥ ३॥ नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥ ४॥ द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: । न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥ ५॥ विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्

Shri Ganesha\Mantra\Sriganeshamantrastotram

श्री गणेश मंत्र स्तोत्र | BHAKTI GYAN श्री गणेश मंत्र स्तोत्र... श्रीगणेशमन्त्रस्तोत्रम् का नियमित रुप से पाठ करने से मनोकामना भी पूर्ण होती है। और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, डर दूर रहता है साथ ही गणेश जी की पूजा करने से आयु, यश, बल, बुदि और ज्ञान में वृद्धि होती है। याद रखे इस श्रीगणेश प्रातः स्मरणम् स्तोत्र पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे। इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है, साथ ही उसकी इच्छा की भी पूर्ति होती है। 卐 श्री गणेश मंत्र स्तोत्र 卐 श्रीगणेशमन्त्रस्तोत्रम् ॥ श्री गणेशाय नमः ॥ उद्दालक उवाच। शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् । येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥ १॥ चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते । विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥ २॥ तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः । साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥ ३॥ चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता । सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥ ४॥ अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक । तेन त्व

Kashi Vishwanath\Shri Kashi Vishvanaath Mangal Stotra

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र | BHAKTI GYAN श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र... ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम संस्कृत में रचित एक दिव्य स्तोत्र है, जो कि भगवान शिव के काशी विश्वनाथ स्वरूप को समर्पित है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से गम्भीर से गम्भीर रोगों से मुक्ति मिलती है। अगर सम्पूर्ण भक्ति-भाव से शिवलिंग के समक्ष इस स्त्रोत का पाठ करने से भगवान् विश्वनाथ की कृपा प्राप्त होती है। इसके प्रभाव से सभी समस्याओं का निदान होता है, और सन्तान सुख, शत्रुओं पर विजय व धन-धान्य की प्राप्ति होती है। ।। अथ श्रीविश्वनाथमङ्गलस्तोत्रम् ।। गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी- रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम् । भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या- दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये ॥ १॥ भावार्थ:- गंगा एवं बाल चन्द्र को धारण करने वाले, त्रिलोक की रक्षा करने वाले,मस्तक पर चन्द्रमा एवं त्रिधार (गंगा) - को धारण करने वाले, भस्म का उद्धूलन करने वाले तथा पार्वती को दिव्य दृष्टि से देखने वाले, वरदाता भगवान शंकर की मैं शरण में हूँ ॥ १