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Kal Bhairav\Kaal Bhairav Ashtakam in Sanskrit

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र | BHAKTI GYAN

कालभैरव अष्टक...

कालभैरव अष्टकम एक संस्कृत अष्टकम है, जिसे आदि शंकराचार्य ने लिखा है। भैरव भगवान शिव के स्वरूप हैं। इन्हें कलियुग की बाधाओं का शीघ्र निवारण करने वाले देव मानते हैं। खासतौर से प्रेत व तांत्रिक बाधा के दोष उनके पूजन से दूर हो जाते हैं। संतान की दीर्घायु हो या गृहस्वामी का स्वास्थ्य, भगवान भैरव स्मरण और पूजन मात्र से उनके कष्टों को दूर कर देते हैं। भगवान भैरव के पूजन से राहु-केतु शांत हो जाते हैं। उनके पूजन में भैरव अष्टक और भैरव कवच का पाठ जरूर करना, इससे शीघ्र फल मिलता है। साथ ही तांत्रिक व प्रेत बाधा का संकट टल जाता है। यह स्तोत्र समय को नष्ट करने वाले काशी के कालभैरव (भैरव के नाम से भी जाना जाता है) को समर्पित है।

॥ कालभैरवाष्टकम् ॥

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥

॥ फल श्रुति॥

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥

॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥

प्रश्न: कौन हैं कालभैरव?

उत्तर:- कालभैरव भगवान शिव का ही उग्र रूप है। वह शिक्षक है, एक क्रूर अवतार जिसने यह सुनिश्चित करने के लिए रूप ग्रहण किया कि सही किया गया था। भगवान शिव के कई अवतारों में, कालभैरव को समय के रक्षक के रूप में जाना जाता है, जैसा कि उनके नाम से पता चलता है। भैरव का दिव्य वाहन कुत्ता है।

प्रश्न: कालभैरव की कहानी क्या है?

उत्तर:- पुराणों के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच युद्ध में राक्षसों को नष्ट करने के लिए शिव ने कालभैरव की रचना की और फिर अष्टांग भैरवों की रचना हुई। आठ भैरवों ने आठ मातृकाओं से विवाह किया जिनका स्वरूप भयानक है। इन अष्ट भैरवों और अष्ट मातृकाओं से 64 भैरवों और 64 योगिनियों की रचना हुई है।
भगवान कालभैरव सौम्य और दयालु हैं। वह समय का रक्षक है और उन लोगों को आशीर्वाद देता है जो इसका सम्मान करते हैं और रचनात्मक उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करते हैं। कालभैरव अष्टमी भगवान भैरव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन है क्योंकि इसे उनका जन्मदिन माना जाता है।

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