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Shani Sahasranamavali in Hindi - 1000 names of Shani Dev

शनि सहस्रनामावली

शनि सहस्रनामावली...

शनि सहस्रनामावली, शनि देव के 1000 नामों का एक अत्यधिक दिव्य संग्रह है। इसके नित्य जाप से जातक जीवन में शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। इसके श्रवण से शनि देव के प्रसन्न होने पर विभिन्न प्रकार के संकटों से बचा जा सकता है। शनि देव को सूर्य पुत्र के रूप में जाना जाता है। वह एक अत्यन्त ही न्यायप्रिय देव हैं। अतः वह सभी के कर्मों के अनुसार उनका न्याय करते हैं। पूर्ण श्रद्धा से शनि सहस्रनामावली जाप करें, तथा शनि देव के कारण उत्पन्न होने वाली समस्यों से अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं।

शनि सहस्त्रनामावली

ॐ ॥
ॐ अमिताभाषिणे नमः ।
ॐ अघहराय नमः ।
ॐ अशेषदुरितापहाय नमः ।
ॐ अघोररूपाय नमः ।
ॐ अतिदीर्घकायाय नमः ।
ॐ अशेषभयानकाय नमः । ॥ १॥
ॐ अनन्ताय नमः ।
ॐ अन्नदात्रे नमः ।
ॐ अश्वत्थमूलजपप्रियाय नमः ।
ॐ अतिसम्पत्प्रदाय नमः । १०
ॐ अमोघाय नमः ।
ॐ अन्यस्तुत्याप्रकोपिताय नमः । ॥ २॥
ॐ अपराजिताय नमः ।
ॐ अद्वितीयाय नमः ।
ॐ अतितेजसे नमः ।
ॐ अभयप्रदाय नमः ।
ॐ अष्टमस्थाय नमः ।
ॐ अञ्जननिभाय नमः ।
ॐ अखिलात्मने नमः ।
ॐ अर्कनन्दनाय नमः । ॥ ३॥ २०
ॐ अतिदारुणाय नमः ।
ॐ अक्षोभ्याय नमः ।
ॐ अप्सरोभिः प्रपूजिताय नमः ।
ॐ अभीष्टफलदाय नमः ।
ॐ अरिष्टमथनाय नमः ।
ॐ अमरपूजिताय नमः । ॥ ४॥
ॐ अनुग्राह्याय नमः ।
ॐ अप्रमेयपराक्रमविभीषणाय नमः ।
ॐ असाध्ययोगाय नमः ।
ॐ अखिलदोषघ्नाय नमः । ३०
ॐ अपराकृताय नमः । ॥ ५॥
ॐ अप्रमेयाय नमः ।
ॐ अतिसुखदाय नमः ।
ॐ अमराधिपपूजिताय नमः ।
ॐ अवलोकात्सर्वनाशाय नमः ।
ॐ अश्वत्थामद्विरायुधाय नमः । ॥ ६॥
ॐ अपराधसहिष्णवे नमः ।
ॐ अश्वत्थामसुपूजिताय नमः ।
ॐ अनन्तपुण्यफलदाय नमः ।
ॐ अतृप्ताय नमः । ४०
ॐ अतिबलाय नमः । ॥ ७॥
ॐ अवलोकात्सर्ववन्द्याय नमः ।
ॐ अक्षीणकरुणानिधये नमः ।
ॐ अविद्यामूलनाशाय नमः ।
ॐ अक्षय्यफलदायकाय नमः । ॥ ८॥
ॐ आनन्दपरिपूर्णाय नमः ।
ॐ आयुष्कारकाय नमः ।
ॐ आश्रितेष्टार्थवरदाय नमः ।
ॐ आधिव्याधिहराय नमः । ॥ ९॥
ॐ आनन्दमयाय नमः । ५०
ॐ आनन्दकराय नमः ।
ॐ आयुधधारकाय नमः ।
ॐ आत्मचक्राधिकारिणे नमः ।
ॐ आत्मस्तुत्यपरायणाय नमः । ॥ १०॥
ॐ आयुष्कराय नमः ।
ॐ आनुपूर्व्याय नमः ।
ॐ आत्मायत्तजगत्त्रयाय नमः ।
ॐ आत्मनामजपप्रीताय नमः ।
ॐ आत्माधिकफलप्रदाय नमः । ॥ ११॥
ॐ आदित्यसंभवाय नमः । ६०
ॐ आर्तिभञ्जनाय नमः ।
ॐ आत्मरक्षकाय नमः ।
ॐ आपद्बान्धवाय नमः ।
ॐ आनन्दरूपाय नमः ।
ॐ आयुःप्रदाय नमः । ॥ १२॥
ॐ आकर्णपूर्णचापाय नमः ।
ॐ आत्मोद्दिष्टद्विजप्रदाय नमः ।
ॐ आनुकूल्याय नमः ।
ॐ आत्मरूपप्रतिमादानसुप्रियाय नमः । ॥ १३॥
ॐ आत्मारामाय नमः । ७०
ॐ आदिदेवाय नमः ।
ॐ आपन्नार्तिविनाशनाय नमः ।
ॐ इन्दिरार्चितपादाय नमः ।
ॐ इन्द्रभोगफलप्रदाय नमः । ॥ १४॥
ॐ इन्द्रदेवस्वरूपाय नमः ।
ॐ इष्टेष्टवरदायकाय नमः ।
ॐ इष्टापूर्तिप्रदाय नमः ।
ॐ इन्दुमतीष्टवरदायकाय नमः । ॥ १५॥
ॐ इन्दिरारमणप्रीताय नमः ।
ॐ इन्द्रवंशनृपार्चिताय नमः । ८०
ॐ इहामुत्रेष्टफलदाय नमः ।
ॐ इन्दिरारमणार्चिताय नमः । ॥ १६॥
ॐ ईद्रियाय नमः ।
ॐ ईश्वरप्रीताय नमः ।
ॐ ईषणात्रयवर्जिताय नमः ।
ॐ उमास्वरूपाय नमः ।
ॐ उद्बोध्याय नमः ।
ॐ उशनाय नमः ।
ॐ उत्सवप्रियाय नमः । ॥ १७॥
ॐ उमादेव्यर्चनप्रीताय नमः । ९०
ॐ उच्चस्थोच्चफलप्रदाय नमः ।
ॐ उरुप्रकाशाय नमः ।
ॐ उच्चस्थयोगदाय नमः ।
ॐ उरुपराक्रमाय नमः । ॥ १८॥
ॐ ऊर्ध्वलोकादिसञ्चारिणे नमः ।
ॐ ऊर्ध्वलोकादिनायकाय नमः ।
ॐ ऊर्जस्विने नमः ।
ॐ ऊनपादाय नमः ।
ॐ ऋकाराक्षरपूजिताय नमः । ॥ १९॥
ॐ ऋषिप्रोक्तपुराणज्ञाय नमः । १००
ॐ ऋषिभिः परिपूजिताय नमः ।
ॐ ऋग्वेदवन्द्याय नमः ।
ॐ ऋग्रूपिणे नमः ।
ॐ ऋजुमार्गप्रवर्तकाय नमः । ॥ २०॥
ॐ लुळितोद्धारकाय नमः ।
ॐ लूतभवपाश प्रभञ्जनाय नमः ।
ॐ लूकाररूपकाय नमः ।
ॐ लब्धधर्ममार्गप्रवर्तकाय नमः । ॥ २१॥
ॐ एकाधिपत्यसाम्राज्यप्रदाय नमः ।
ॐ एनौघनाशनाय नमः । ११०
ॐ एकपादे नमः ।
ॐ एकस्मै नमः ।
ॐ एकोनविंशतिमासभुक्तिदाय नमः । ॥ २२॥
ॐ एकोनविंशतिवर्षदशाय नमः ।
ॐ एणाङ्कपूजिताय नमः ।
ॐ ऐश्वर्यफलदाय नमः ।
ॐ ऐन्द्राय नमः ।
ॐ ऐरावतसुपूजिताय नमः । ॥ २३॥
ॐ ओंकारजपसुप्रीताय नमः ।
ॐ ओंकारपरिपूजिताय नमः । १२०
ॐ ओंकारबीजाय नमः ।
ॐ औदार्यहस्ताय नमः ।
ॐ औन्नत्यदायकाय नमः । ॥ २४॥
ॐ औदार्यगुणाय नमः ।
ॐ औदार्यशीलाय नमः ।
ॐ औषधकारकाय नमः ।
ॐ करपङ्कजसन्नद्धधनुषे नमः ।
ॐ करुणानिधये नमः । ॥ २५॥
ॐ कालाय नमः ।
ॐ कठिनचित्ताय नमः । १३०
ॐ कालमेघसमप्रभाय नमः ।
ॐ किरीटिने नमः ।
ॐ कर्मकृते नमः ।
ॐ कारयित्रे नमः ।
ॐ कालसहोदराय नमः । ॥ २६॥
ॐ कालाम्बराय नमः ।
ॐ काकवाहाय नमः ।
ॐ कर्मठाय नमः ।
ॐ काश्यपान्वयाय नमः ।
ॐ कालचक्रप्रभेदिने नमः । १४०
ॐ कालरूपिणे नमः ।
ॐ कारणाय नमः । ॥ २७॥
ॐ कारिमूर्तये नमः ।
ॐ कालभर्त्रे नमः ।
ॐ किरीटमकुटोज्ज्वलाय नमः ।
ॐ कार्यकारणकालज्ञाय नमः ।
ॐ काञ्चनाभरथान्विताय नमः । ॥ २८॥
ॐ कालदंष्ट्राय नमः ।
ॐ क्रोधरूपाय नमः ।
ॐ कराळिने नमः । १५०
ॐ कृष्णकेतनाय नमः ।
ॐ कालात्मने नमः ।
ॐ कालकर्त्रे नमः ।
ॐ कृतान्ताय नमः ।
ॐ कृष्णगोप्रियाय नमः । ॥ २९॥

शनि सहस्रनामावली के पाठ से होने वाले लाभ:

  • इसके प्रति दिन पाठ से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
  • इसके श्रवण से कुण्डली में होने वाले शनि दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • शनि सहस्रनामावली का प्रतिदिन पाठ करने से शनि ग्रह प्रबल होता है।
  • शनि की साढेशाती के शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • प्रतिदिन ध्यान धरने से आकस्मिक घटनाओं से बचाव होता है।
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