श्री जाहरवीर चालीसा - गोगाजी - गोगा पीर - जाहरवीर - गोगा देव - गुग्गा वीर श्री जाहरवीर चालीसा... श्री जाहरवीर बाबा, जिन्हें गोगा पीर, गोगाजी, जाहरवीर, या गोगादेव के नाम से जाना जाता है, उनके भक्तों के लिए चालीसा पाठ एक शक्तिशाली साधना है। विशेष रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत में गोगा जी के प्रति गहरी श्रद्धा है। जाहरवीर की भक्ति में विश्वास रखने वालों के लिए यह दृढ़ आस्था है कि— "गोगा पीर के दर्शन मात्र से सभी दुःख दूर हो जाते हैं।" || श्री जाहरवीर चालीसा || (लोकदेवता गोगाजी / गोगा पीर / जाहरवीर / गोगा देव / गुग्गा वीर) ॥ दोहा ॥ सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर। बन्दौं सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर ॥ जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप। अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा। गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी। गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट घुंघराले बाला। कांधे धनुष गले तुलसी माला, कमर कृपान रक्षा को डाला। जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार ...
जीवने यत् प्राप्तम् तदर्थं कृतज्ञतां धारयतु, यत् न प्राप्तम् तदर्थं धैर्यं धारयतु।