श्री बुध स्तोत्र...
"श्री बुध स्तोत्र" एक वैदिक स्तोत्र है जो बुध ग्रह (Mercury) की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से बुध ग्रह के दोष (Budh Dosh) से मुक्ति, बुद्धि, वाणी, लेखन, व्यापार, शिक्षा और संवाद कौशल में वृद्धि हेतु अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
गणपति जगवंदन स्तुति
(भक्त तुलसीदास जी द्वारा रचित यह स्तुति भगवान गणेश की सुंदर वंदना है। यह स्तोत्र बुध स्तोत्र या अन्य किसी शुभ कार्य के आरंभ में गाया जाता है।)
"गाइए गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
सिद्धि सदन गजवदन विनायक ।
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक ॥
गाइए गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
मोदक प्रिय मुद मंगलदाता ।
विद्या बारिधि बुद्धिविधाता ॥
गाइए गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
मांगत तुलसीदास कर जोरे ।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
गाइए गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥"
|| श्री बुध स्तोत्र ||
(बुध ग्रह को प्रसन्न करने हेतु श्रेष्ठ स्तोत्र – बुध दोष से मुक्ति और बुद्धि, व्यापार, वाणी में सफलता के लिए)
पीताम्बरः पीतवपुः किरीटी
चतुर्भुजः देवदुःखापहर्ता।
धर्मस्य धृक् सोमसुतः सदा मे
सिंहाधिरूढो वरदो बुधश्च॥
प्रियङ्गुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम्॥
सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्यः सौम्यगुणान्वितः।
सदा शान्तः सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम्॥
उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:।
सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुधः॥
शिरीषपुष्पसङ्काशं कपिलीशो युवा पुनः।
सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु॥
श्यामः शिरालश्च कलाविधिज्ञः
कौतूहली कोमलवाग्विलासी।
रजोधिको मध्यमरूपधृक् स्यात्
आताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्रः॥
अहो चन्द्रासुत श्रीमान् मागधर्मासमुद्भवः।
अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहुः खड्गखेटकधारकः॥
गदाधरो नृसिंहस्थः स्वर्णनाभसमन्वितः।
केतकीद्रुमपत्राभः इन्द्रविष्णुप्रपूजितः॥
ज्ञेयो बुधः पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमजः।
कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दनः॥
गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा।
सौम्यः सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रदः॥
एतानि बुधनामानि प्रातःकाले पठेन्नरः।
बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते॥
बुध ग्रह की कृपा से जीवन में मिलते हैं ये अद्भुत लाभ:
बुध स्तोत्र भगवान बुध की स्तुति करता है, जिससे साधक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं।
बुध स्तोत्र पढ़ने के अन्य नियम:
वैदिक शास्त्रों में उल्लेख:
बुध स्तोत्र पढ़ने के अन्य नियम:
बुधवार व्रत की विधि (संपूर्ण नियम):
बुध ग्रह की पूजा विधि (पूजा में करें):
बुधवार व्रत की विधि (संपूर्ण नियम):
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः
कुंडली में बुध दोष के लक्षण:
यदि आपकी जन्मकुंडली में बुध अशुभ या पीड़ित हो (राहु/केतु/शनि से युक्त या दृष्ट), तो इन लक्षणों के रूप में असर दिख सकता है:
वाणी में कठोरता या हकलाहट,
निर्णय लेने में भ्रम और चंचलता,
पढ़ाई में रुकावट या एकाग्रता की कमी,
व्यापार में घाटा या लेन-देन में समस्या,
वाद-विवाद, कोर्ट केस में पराजय,
मानसिक असंतुलन, झूठ बोलने की प्रवृत्ति।
बुध ग्रह शांति के लिए प्रभावी उपाय:
– उपवास रखें या फलाहार करें।
– हरे वस्त्र पहनें, हरी चीज़ें ग्रहण करें।
– श्री बुध चालीसा या बुध ग्रह स्तोत्र का पाठ करें।
– “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
– बुध दोष शांति के लिए ये दान करें।
– हरी मूंग (मंगलवार रात भिगोकर बुधवार को दान करें)।
– हरे वस्त्र।
– तांबे का सिक्का या पात्र।
– हरा फल (जैसे अमरूद, मूली या पत्ता गोभी)।
– गौशाला में हरा चारा (हरा धनिया, हरी घास) दान करें।
– घर के पूजा स्थान में श्री बुध यंत्र स्थापित करें।
– तांबे या भोजपत्र पर अंकित यंत्र।
– प्रतिदिन जल, फूल और दीप अर्पित करें।
– यदि ज्योतिषीय रूप से अनुकूल हो तो।
– पंचधातु या सोने में जड़ा हुआ पन्ना रत्न।
– बुधवार को सुबह पहनें (अनामिका या छोटी उंगली में)।
– रत्न धारण से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श करें।
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