श्री मंगल चालीसा...
श्री मंगल चालीसा, भगवान मंगल देव (भौम) की स्तुति में रचित है। मंगल ग्रह को नवग्रहों में पराक्रम, साहस, ऊर्जा और युद्ध के कारक देवता माना गया है। जिनकी कुंडली में मंगल दोष, मंगलीक दोष, वैवाहिक विलंब, रक्त विकार, दुर्घटना या क्रोध की समस्या होती है, उनके लिए श्री मंगल चालीसा का नियमित पाठ अत्यंत फलदायी होता है।मंगल ग्रह को नवग्रहों में पराक्रम, साहस, ऊर्जा और युद्ध के कारक देवता माना गया है। जिनकी कुंडली में मंगल दोष, मंगलीक दोष, वैवाहिक विलंब, रक्त विकार, दुर्घटना या क्रोध की समस्या होती है, उनके लिए श्री मंगल चालीसा का नियमित पाठ अत्यंत फलदायी होता है।
|| श्री मंगल चालीसा ||
(श्री मंगल देव को समर्पित चालीसा – मंगल ग्रह की शांति हेतु)
॥ दोहा ॥
जय जय मंगल देव तू, नवग्रहों में श्रेष्ठ।
तेरी भक्ति जो करे, मिटे संकट क्लेश॥
॥ चौपाई ॥
जय जय मंगल बलि वीर।
रक्तवर्ण धारण गंभीर॥
रथ में बैठ लाल प्रतापी।
शक्ति भुजंग समान अनापी॥
भौम कहावत नाम तुम्हारा।
धरणि पुत्र कहलाए प्यारा॥
क्रोध, साहस, पराक्रम धारा।
शत्रु नाशक तेज तुम्हारा॥
विपत्ति, रोग, रक्त विकारा।
करे दूर मंगल दु:ख सारा॥
शिव आराधक मंगल राजा।
ध्यान करे जो संकट भाजा॥
लाल पुष्प, लाल चंदन लाओ।
मंगल देव को प्रसन्न बनाओ॥
मंगलवार का व्रत जो साधे।
कष्ट सभी के दूर वो बाधे॥
कुंडली में दोष अगर भारी।
मंगल पाठ करे नर नारी॥
मंगली दोष मिटे तुरंता।
देव कृपा हो दूर क्लंता॥
सेना वीर, भूमि अधिपति।
लाल पताका हो समर्थति॥
शिव कृपा से जन्म तुम्हारा।
मंगल मंगल करो हमारा॥
कर्ज मुक्ति हो मंगल पूजा।
धन-धान्य दे सुख समृद्धि दूजा॥
भक्त सदा मंगल गुण गावैं।
मन वांछित फल सफल पावैं॥
॥ दोहा ॥
जो कोई पढ़े चालीसा, मंगल ध्यान लगाय।
उस पर कृपा करो भौम, संकट सब टल जाय॥
श्री मंगल चालीसा के पाठ से लाभ:
श्री मंगल चालीसा पाठ विधि:
विशेष रूप से लाभकारी कब है?
चालीसा पढ़ते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
अतिरिक्त सुझाव:
भावपूर्ण समर्पण:
मंगलम भवन्तु! मंगलकारी मंगलदेवाय नमः!
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