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Showing posts from February, 2023

Ganesha\Sanskrit Shlokas of Shri Ganesh Bhagwan-101

गणेश जी के संस्कृत श्लोक श्रीगणेश जी के संस्कृत श्लोक... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! श्री गणेश जी के इन दिव्य मंत्रों का मन में ध्यान करते हुए जप करने से या बोलने से पूजा पूर्ण होती है और गणेश जी भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, साधक के जीवन में सभी श्रेष्ठ कार्यों में सहायक बन जाते हैं। गणेश जी के मंत्र अर्थ सहित जानिए गणपति जी के ऐसे ही खास मंत्र... 卐 भगवान गणेश जी के संस्कृत श्लोक 卐 एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात।। भावार्थ: एक दन्त भगवान श्री गणेश का ही नाम हैं, जिन्हे सभी जानते हैं। घुमावदार सूंड वाले भगवान का ध्यान करते हैं। श्री गजानन हमें प्रेरणा प्रदान करते हैं। ऊँ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने। दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥ भावार्थ: सभी सुखों को प्रदान करने वाले सच्चिदानंद स्वरूप भगवन गणेश को नमस्कार। गणपति को नमस्कार, जो सर्वोच्च देवता हैं, हे परमात्मा बुराई और दुर्भाग्य का नाश करने वाले। सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने। मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो

kaalee kavach\Kali Kavach in Hindi-76345687438

माँ काली कवच माँ काली कवच... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! माँ काली कवच को मूल संस्कृत में है और उसका हिन्दी में अर्थ भी दिया है। माँ काली कवच के बारे में विश्वामित्र सहिंता में जानकारी है कि कवच किसी भी तरह की बीमारी को उसके जड़ मूल से समाप्त करने में बहुत प्रभावकारी है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जब भी देवतागण किसी संकट से घिर जाया करते थे तब वे इस कवच का प्रयोग कर अपनी आत्मरक्षा करते थे। यह कवच समस्त बुराइयों का खात्मा करने वाली शक्ति प्रदान करता है। साधक को चाहिए कि पाठ करते समय मूल श्लोक संस्कृत का ही पाठ करें। || माँ काली कवच || || भैरव्युवाच || कालीपूजा श्रुता नाथ भावाश्च विविध: प्रभो । इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं पूर्वसूचितम् ।। त्वमेव शरणं नाथ त्राहि मां दु:खसङ्कटात् । त्वमेव स्त्रष्टा पाता च संहर्ता च त्वमेव हि ।। टीका – भैरवी ने कहा-हे नाथ ! हे प्राणवल्लभे, प्रभो ! मैने कालीपूजा और उसके विविध भाव सुने, अब पूर्व सूचित कवच सुनने की इच्छा हुई है, उसको वर्णन करके दुःख-संकट से मेरी रक्षा कीजिये। आप ही रचना

Shri Ganesha\Pratahsmarana\Ganesh Pratah Smaranam Stotram

श्रीगणेशप्रातःस्मरणम् | BHAKTI GYAN श्री गणेश प्रातः स्मरण स्तोत्र... श्रीगणेश प्रातः स्मरणम् स्तोत्र के पाठ के साथ साथ गणेश चालीसा और गणेश स्तुति का भी पाठ करने से बहुत लाभ मिलता है, नियमित रुप से पाठ करने से मनोकामना भी पूर्ण होती है। और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, डर दूर रहता है साथ ही गणेश जी की पूजा करने से आयु, यश, बल, बुदि और ज्ञान में वृद्धि होती है। याद रखे इस श्रीगणेश प्रातः स्मरणम् स्तोत्र पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे। इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है, साथ ही उसकी इच्छा की भी पूर्ति होती है। 卐 श्रीगणेशप्रातःस्मरणम् 卐 ॥ श्री गणेशाय नमः ॥ उत्तिष्ठोत्तिष्ठ हेरम्ब उत्तिष्ठ ब्रह्मणस्पते । सर्वदा सर्वतः सर्वविघ्नान्मां पाहि विघ्नप ॥ आयुरारोग्यमैश्वर्यं माम् प्रदाय स्वभक्तिमत् । स्वेक्षणाशक्तिराद्या ते दक्षिणा पातु मं सदा ॥ प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम् । उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड-माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ॥ १॥ प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमान-मिच्छानुकूलम

Maa Chhinnamasta\Chhinnamasta Kavach in Hindi -746738863

छिन्नमस्ता कवच | BHAKTI GYAN छिन्नमस्ता कवच... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! माँ छिन्नमस्ता देवी का कवच शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके पाठ करने से साधक की शत्रु से रक्षा होती है तथा मॉ आद्य भवानी की कृपा प्राप्त होती है। माँ भगवती छिन्नमस्ता देवी के भक्तों को सदा इस कवच का पाठ करते रहना चाहिए। जिसे साधक को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। || छिन्नमस्ता कवच || हुं बीजात्मका देवी मुण्डकर्तृधरापरा। हृदय पातु सा देवी वर्णिनी डाकिनीयुता।। श्रीं ह्रीं हुं ऐं चैव देवी पुर्व्वास्यां पातु सर्वदा। सर्व्वांगं मे सदा पातु छिन्नमस्ता महाबला।। वज्रवैरोचनीये हुं फट् बीजसमन्विता। उत्तरस्यां तथाग्नौ च वारुणे नैऋर्तेऽवतु।। इन्द्राक्षी भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी। सर्व्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै।। इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेच्छिन्नमस्तकाम्। न तस्य फलसिद्धिः स्यात्कल्पकोटिशतैरपि।। ।। इति श्रीछिन्नमस्ता कवचम् सम्पूर्णं ।। माँ छिन्नमस्त

Shree Sitaram Geetam -Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram

श्रीसीताराम गीतम् | BHAKTI GYAN श्री सीता राम गीतम्... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! श्रीसीताराम गीतम् - ग्रन्थ स्तुतिमणिमाला (पृ. 84-89) से लिया गया है जिसका संकलन कल्लिदैकुरिची श्री ने किया है। के.एस. रामकृष्ण सस्त्रिगल (1965)। श्रीसीताराम गीतम् कमल लोचनौ राम कांचनाम्बरौ कवचभूषणौ राम कार्मुकान्वितौ । कलुषसंहारौ राम कामितप्रदौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥ १ ॥ मकरकुण्डलौ राम मौलिसेवितौ मणिकिरीटिनौ राम मञ्जुभाषिणौ । मनुकुलोद्भवौ राम मानुषोत्तमौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥ २ ॥ सत्यसम्पन्नौ राम समरभीकरौ सर्वरक्षणौ राम सर्वभूषणौ । सत्यमानसौ राम सर्वपोषितौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥ ३ ॥ धृतशिखण्डिनौ राम दीनरक्षकौ धृतहिमाचलौ राम दिव्यविग्रहौ । विविधपूजितौ राम दीर्घदोर्युगौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥ ४ ॥ भुवनजानुकौ राम पादचारिणौ पृथुशिलीमुकौ राम पापनाङ्घ्रिकौ । परमसात्विकौ राम भक्तवत्सलौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥ ५ ॥ वनविहारिणौ राम वल्कलांबरौ वनफल

Maa Bhuvaneshwari\Bhuvaneshwari Kavach -73543655665

माँ भुवनेश्वरी कवच | BHAKTI GYAN माँ भुवनेश्वरी कवच... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! माँ भुवनेश्वरी - संसार भर के ऐश्वयर् की स्वामिनी आदिशक्ति दुर्गा माता के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप है जिस रूप में इन होने त्रिदेवो को दर्शन दिये थे। माँ भुवनेश्वरी ही शताक्षी और शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात है। माँ भुवनेश्वरी कवच का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। माँ भुवनेश्वरी कवच ह्रीं बीजं मे शिर: पातु भुवनेश्वरी ललाटकम् । ऐं पातु दक्षनेत्रं मे ह्रीं पातु वामलोचनम् ।। श्रीं पातु दक्षकणर्ण मे त्रिवर्णात्मा महेश्वरी । वामकर्ण सदा पातु ऐं घ्राणं पातु मे सदा ।। ह्रीं पातु वदनं देवी ऐं पातु रसनां मम । श्रीं स्कन्धौ पातु नियतं ह्रीं भुजौ पातु सर्वदा ।। क्लीं करौ त्रिपुरेशानी त्रिपुरैश्वर्यदायिनी ।। ॐ पातु ह्रदयं ह्रीं मे मध्यदेशं सदाऽवतु । क्री पातु नाभिदेशं सा त्र्यक्षरी भुवनेश्वरी ।। सर्वबीजप्रदा पृष्ठं पातु सर्ववशंकरी ।

Maa Bhuvaneshwari\Bhuvaneshwari Stotram - 17555467665

माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र | BHAKTI GYAN माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! माँ भुवनेश्वरी - संसार भर के ऐश्वयर् की स्वामिनी आदिशक्ति दुर्गा माता के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप है जिस रूप में इनहोने त्रिदेवो को दर्शन दिये थे। माँ भुवनेश्वरी ही शताक्षी और शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई। माँ भुवनेश्वरी स्तोत् का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ॥ माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र ॥ अष्टसिद्धिरालक्ष्मी अरुणाबहुरुपिणि त्रिशूल भुक्कुरादेवी पाशाकुशविदारिणी ॥१॥ खड्गखेटधरादेवी घण्टनि चक्रधारिणी षोडशी त्रिपुरादेवी त्रिरेखा परमेश्वरी ॥२॥ कौमारी पिंगलाचैव वारीनी जगामोहिनी दुर्गदेवी त्रिगंधाच नमस्ते शिवनायक ॥३॥ एवंचाष्टशतनामंच श्लाके त्रिनयभावितं भक्तये पठेन्नित्यं दारिद्रयं नास्ति निश्चितं ॥४॥ एकः काले पठेन्नित्यं धनधान्य समाकुलं द्विकालेयः पठेन्नित्यं सर्व शत्रुविनाशानं ॥५॥ त्रिकालेयः पठेन्नित्यं सर्व रोग हरम परं