गणेश जी के संस्कृत श्लोक श्रीगणेश जी के संस्कृत श्लोक... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! श्री गणेश जी के इन दिव्य मंत्रों का मन में ध्यान करते हुए जप करने से या बोलने से पूजा पूर्ण होती है और गणेश जी भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, साधक के जीवन में सभी श्रेष्ठ कार्यों में सहायक बन जाते हैं। गणेश जी के मंत्र अर्थ सहित जानिए गणपति जी के ऐसे ही खास मंत्र... 卐 भगवान गणेश जी के संस्कृत श्लोक 卐 एकदंताय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात।। भावार्थ: एक दन्त भगवान श्री गणेश का ही नाम हैं, जिन्हे सभी जानते हैं। घुमावदार सूंड वाले भगवान का ध्यान करते हैं। श्री गजानन हमें प्रेरणा प्रदान करते हैं। ऊँ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने। दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥ भावार्थ: सभी सुखों को प्रदान करने वाले सच्चिदानंद स्वरूप भगवन गणेश को नमस्कार। गणपति को नमस्कार, जो सर्वोच्च देवता हैं, हे परमात्मा बुराई और दुर्भाग्य का नाश करने वाले। सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने। मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो
जीवने यत् प्राप्तम् तदर्थं कृतज्ञतां धारयतु, यत् न प्राप्तम् तदर्थं धैर्यं धारयतु।