माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र...
माँ भुवनेश्वरी- संसार भर के ऐश्वयर् की स्वामिनी आदिशक्ति दुर्गा माता के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप है जिस रूप में इनहोने त्रिदेवो को दर्शन दिये थे। माँ भुवनेश्वरी ही शताक्षी और शाकंभरी देवी के नाम से विख्यात हुई। माँ भुवनेश्वरी स्तोत् का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
॥ माँ भुवनेश्वरी स्तोत्र ॥
अष्टसिद्धिरालक्ष्मी अरुणाबहुरुपिणि
त्रिशूल भुक्कुरादेवी पाशाकुशविदारिणी ॥१॥
खड्गखेटधरादेवी घण्टनि चक्रधारिणी
षोडशी त्रिपुरादेवी त्रिरेखा परमेश्वरी ॥२॥
कौमारी पिंगलाचैव वारीनी जगामोहिनी
दुर्गदेवी त्रिगंधाच नमस्ते शिवनायक ॥३॥
एवंचाष्टशतनामंच श्लाके त्रिनयभावितं
भक्तये पठेन्नित्यं दारिद्रयं नास्ति निश्चितं ॥४॥
एकः काले पठेन्नित्यं धनधान्य समाकुलं
द्विकालेयः पठेन्नित्यं सर्व शत्रुविनाशानं ॥५॥
त्रिकालेयः पठेन्नित्यं सर्व रोग हरम परं
चतुःकाले पठेन्नित्यं प्रसन्नं भुवनेश्वरी ॥६॥
इति श्री रुद्रयावले ईश्वरपार्वति संवादे
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