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Maa Kali Pratah Smaran Stotram- Maa Kali/श्री काली प्रातः स्मरण स्तोत्रम्

श्री काली प्रातः स्मरण स्तोत्रम्

श्री काली प्रातः स्मरण स्तोत्रम्...

प्रातः माँ काली को प्रसन्न करने के लिए नियमित इस स्तोत्र का पाठ करें। माँ काली प्रसन्न होकर अपने भक्तजनों के संकट दूर करती है, रक्षा करती है साथ ही उनके सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं। प्रातः माँ काली स्मरण सम्पूर्ण भक्तिभाव से करें...

|| श्री काली प्रातः स्मरण स्तोत्रम् ||

ॐ प्रातर्नमामि मनसा त्रिजगद्-विधात्रीं कल्याणदात्रीं कमलायताक्षीम् ।
कालीं कलानाथ-कलाभिरामां कादम्बिनी-मेचक-काय-कान्तिम् ॥ १॥
जगत्प्रसूते द्रुहिणो यदर्च्चा-प्रसादतः पाति सुरारिहन्ता ।
अन्ते भवो हन्ति भव-प्रशान्त्यै तां कालिकां प्रातरहं भजामि ॥ २॥
शुभाशुभैः कर्म-फलैरनेक-जन्मनि मे सञ्चरतो महेशि ।
माभूत् कदाचिदपि मे पशुभिश्च गोष्ठी दिवानिशं स्यात् कुल-मार्ग-सेवा ॥ ३॥
वामे प्रिया शाम्भव-मार्ग-निष्ठा पात्रं करे स्तोत्रमये मुखाब्जे ।
ध्यानं हृदब्जे गुरु-कौल-सेवा स्युर्मे महाकालि ! तव प्रसादात् ॥ ४॥
श्री कालि, मातः, परमेश्वरि ! त्वां प्रातः समुत्थाय नमामि नित्यम् ।
दीनोऽस्म्यनाथोऽस्मि भवातुरोऽस्मि मां पाहि संसार-समुद्र-मग्नम् ॥ ५॥
प्रातः-स्तवं यः पर-देवतायाः श्रीकालिकायाः शयनावसाने ।
नित्यं पठेत् तस्य मुखावलोकादानन्दकन्दाङ्कुरितं मनस्स्यात् ॥ ६॥
॥ इति श्रीकालीप्रातःस्मरणस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

श्री काली प्रातः स्मरण स्तोत्रम् हिंदी अर्थ:

  • प्रातःकाल मैं उस कमल-नेत्र देवी को प्रणाम करता हूँ जो तीनों लोकों का निर्माण करती है और सभी को सौभाग्य प्रदान करती है। देवी काली, जो सभी कलाओं की स्वामी हैं, अपनी सभी कलाओं में सुंदर हैं। मैं प्रातःकाल मन से नमन करता हूँ ॥ १॥
  • देवी काली संसार को जन्म देती है और जिनकी पूजा से ब्रह्मा जगत की रचना करते हैं। सुबह मैं उस देवी काली की पूजा करता हूं, विष्णु उसका पालन करते हैं और प्रलय-काल में रुद्र नाश करते हैं ॥ २॥
  • हे माता, मैं कई जन्मों में अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल लेकर भटकता रहा हूं। मुझे कभी दिन-रात जानवरों (अज्ञानी) की संगति न करूँ और अपने परिवार के क्रम में सदैव आपकी सेवा करता रहूँ। ॥ ३॥
  • हे महाकाली! आपकी कृपा से, बायीं ओर मन को प्रसन्न करने वाली शक्ति हो, भगवान शिव द्वारा दिखाए गए मार्ग पर विश्वास हो, हाथ में पात्र हो, होठों में स्तुति हो, हृदय में ध्यान हो, गुरु और कौलों की सेवा, आपकी कृपा से ये सब हों ॥ ४॥
  • हे काली! हे माँ! देवी! मैं प्रतिदिन सुबह उठकर आपको प्रणाम करता हूं। मैं दीन और असहाय हूं। मैं आपसे व्यथित हूं। कृपया मुझे संसारिक भवसागर में डूबने से बचाएं। कृपया मेरी रक्षा करें। ॥ ५॥
  • प्रातः जो व्यक्ति नींद से उठकर श्री कालिका का भजन करता है, जो व्यक्ति प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करता है, उसके मुख को देखते ही उसके मन में आनंद जाग उठता है। ॥ ६॥
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