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Maa lakshmi\Shri Lakshmi Sahastranam

श्री लक्ष्मी सहस्त्रनाम

श्री लक्ष्मी सहस्त्रनाम...

श्री लक्ष्मी धन की देवी हैं, लक्ष्मी पूजन के अवसर पर "श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम" सुनें और श्री लक्ष्मी से आशीर्वाद लें। यहां लक्ष्मी के 1008 नाम की सूचि।
卐 श्री लक्ष्मी सहस्त्रनाम 卐
ॐ नित्यागतायै नमः।
ॐ अनन्तनित्यायै नमः।
ॐ नन्दिन्यै नमः।
ॐ जनरञ्जन्यै नमः।
ॐ नित्यप्रकाशिन्यै नमः।
ॐ स्वप्रकाशस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ महाकाल्यै नमः।
ॐ महाकन्यायै नमः।
ॐ सरस्वत्यै नमः।
ॐ भोगवैभवसन्धात्र्यै नमः।
ॐ भक्तानुग्रहकारिण्यै नमः।
ॐ ईशावास्यायै नमः।
ॐ महामायायै नमः।
ॐ महादेव्यै नमः।
ॐ महेश्वर्यै नमः।
ॐ हृल्लेखायै नमः।
ॐ परमायै नमः।
ॐ शक्त्यै नमः।
ॐ मातृकाबीजरूपिण्यै नमः।
ॐ नित्यानन्दायै नमः।
ॐ नित्यबोधायै नमः।
ॐ नादिन्यै नमः।
ॐ जन्मोदिन्यै नमः।
ॐ सत्यप्रत्ययिन्यै नमः।
ॐ स्वप्रकाशात्मरूपिण्यै नमः।
ॐ त्रिपुरायै नमः।
ॐ भैरव्यै नमः।
ॐ विद्यायै नमः।
ॐ हंसायै नमः।
ॐ वागीश्वर्यै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ वाग्देव्यै नमः।
ॐ महारात्र्यै नमः।
ॐ कालरात्र्यै नमः।
ॐ त्रिलोचनायै नमः।
ॐ भद्रकाल्यै नमः।
ॐ कराल्यै नमः।
ॐ महाकाल्यै नमः।
ॐ तिलोत्तमायै नमः।
ॐ काल्यै नमः।
ॐ करालवक्त्रान्तायै नमः।
ॐ कामाक्ष्यै नमः।
ॐ कामदायै नमः।
ॐ शुभायै नमः।
ॐ चण्डिकायै नमः।
ॐ चण्डरुपेशायै नमः।
ॐ चामुण्डायै नमः।
ॐ चक्रधारिण्यै नमः।
ॐ त्रैलोक्यजनन्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ त्रैलोक्यविजयोत्तमायै नमः।
ॐ सिद्धलक्ष्म्यै नमः।
ॐ क्रियालक्ष्म्यै नमः।
ॐ मोक्षलक्ष्म्यै नमः।
ॐ प्रसादिन्यै नमः।
ॐ उमायै नमः।
ॐ भगवत्यै नमः।
ॐ दुर्गायै नमः।
ॐ चान्द्र्यै नमः।
ॐ दाक्षायण्यै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ प्रत्यङ्गिरायै नमः।
ॐ धरायै नमः।
ॐ वेलायै नमः।
ॐ लोकमात्रे नमः।
ॐ हरिप्रियायै नमः।
ॐ पार्वत्यै नमः।
ॐ परमायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ ब्रह्मविद्याप्रदायिन्यै नमः।
ॐ अरूपायै नमः।
ॐ बहुरूपायै नमः।
ॐ विरूपायै नमः।
ॐ विश्वरूपिण्यै नमः।
ॐ पञ्चभूतात्मिकायै नमः।
ॐ वाण्यै नमः।
ॐ पञ्चभूतात्मिकायै नमः।
ॐ परायै नमः।
ॐ कालिम्नयै नमः।
ॐ पञ्चिकायै नमः।
ॐ वाग्म्यै नमः।
ॐ हविषे नमः।
ॐ प्रत्यधिदेवतायै नमः।
ॐ देवमात्रे नमः।
ॐ सुरेशानायै नमः।
ॐ वेदगर्भायै नमः।
ॐ अम्बिकायै नमः।
ॐ धृतये नमः।
ॐ सङ्ख्यायै नमः।
ॐ जातये नमः।
ॐ क्रियाशक्त्यै नमः।
ॐ प्रकृत्यै नमः।
ॐ मोहिन्यै नमः।
ॐ मह्यै नमः।
ॐ यज्ञविद्यायै नमः।
ॐ महाविद्यायै नमः।
ॐ गुह्यविद्यायै नमः।
ॐ विभावर्यै नमः।
ॐ ज्योतिष्मत्यै नमः।
ॐ महामात्रे नमः।
ॐ सर्वमन्त्रफलप्रदायै नमः।
ॐ दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ हृदयग्रन्थिभेदिन्यै नमः।
ॐ सहस्रादित्यसङ्काशायै नमः।
ॐ चन्द्रिकायै नमः।
ॐ चन्द्ररूपिण्यै नमः।
ॐ गायत्र्यै नमः।
ॐ सोमसम्भूत्यै नमः।
ॐ सावित्र्यै नमः।
ॐ प्रणवात्मिकायै नमः।
ॐ शाङ्कर्यै नमः।
ॐ वैष्णव्यै नमः।
ॐ ब्राह्मयै नमः।
ॐ सर्वदेवनमस्कृतायै नमः।
ॐ सेव्यदुर्गायै नमः।
ॐ कुबेराक्ष्यै नमः।
ॐ करवीरनिवासिन्यै नमः।
ॐ जयायै नमः।
ॐ विजयायै नमः।
ॐ जयन्त्यै नमः।
ॐ अपराजितायै नमः।
ॐ कुब्जिकायै नमः।
ॐ कालिकायै नमः।
ॐ शास्त्र्यै नमः।
ॐ विनापुस्तकधारिण्यै नमः।
ॐ सर्वज्ञशक्त्यै नमः।
ॐ श्रीशक्त्यै नमः।
ॐ ब्रह्मविष्णुशिवात्मिकायै नमः।
ॐ इडापिङ्गलिकामध्यमृणाली-तन्तुरूपिण्यै नमः।
ॐ यज्ञेशान्यै नमः।
ॐ प्रथायै नमः।
ॐ दीक्षायै नमः।
ॐ दक्षिणायै नमः।
ॐ सर्वमोहिन्यै नमः।
ॐ अष्टाङ्गयोगिन्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ निर्बीजध्यानगोचरायै नमः।
ॐ सर्वतीर्थस्थितायै नमः।
ॐ शुद्धायै नमः।
ॐ सर्वपर्वतवासिन्यै नमः।
ॐ वेदशास्त्रप्रमायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ षडङ्गादिपदक्रमायै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ धात्र्यै नमः।
ॐ शुभानन्दायै नमः।
ॐ यज्ञकर्मस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ व्रतिन्यै नमः।
ॐ मेनकायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ ब्रह्माण्यै नमः।
ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः।
ॐ एकाक्षरपरायै नमः।
ॐ तारायै नमः।
ॐ भवबन्धविनाशिन्यै नमः।
ॐ विश्वम्भरायै नमः।
ॐ धराधारायै नमः।
ॐ निराधारायै नमः।
ॐ अधिकस्वरायै नमः।
ॐ राकायै नमः।
ॐ कुह्वे नमः।
ॐ अमावास्यायै नमः।
ॐ पूर्णिमायै नमः।
ॐ अनुमत्यै नमः।
ॐ द्युत्ये नमः।
ॐ सिनीवाल्यै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ अवश्यायै नमः।
ॐ वैश्वादेव्यै नमः।
ॐ पिशङ्गीलायै नमः।
ॐ पिप्पलायै नमः।
ॐ विशालाक्ष्यै नमः।
ॐ रक्षोघ्नयै नमः।
ॐ वृष्टिकारिण्यै नमः।
ॐ दुष्टविद्राविण्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ सर्वोपद्रवनाशिन्यै नमः।
ॐ शारदायै नमः।
ॐ शरसन्धानायै नमः।
ॐ सर्वशस्त्रस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ युद्धमध्यस्थितायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ सर्वभूतप्रभञ्जन्यै नमः।
ॐ अयुद्धायै नमः।
ॐ युद्धरूपायै नमः।
ॐ शान्तायै नमः।
ॐ शान्तिस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ गङ्गायै नमः।
ॐ सरस्वत्यै नमः।
ॐ वेण्यै नमः।
ॐ यमुनायै नमः।
ॐ नर्मदायै नमः।
ॐ आपगायै नमः।
ॐ समुद्रवसनावासायै नमः।
ॐ ब्रह्माण्डश्रेणिमेखलायै नमः।
ॐ पञ्चवक्त्रायै नमः।
ॐ दशभुजायै नमः।
ॐ शुद्धस्फटिकसन्निभायै नमः।
ॐ रक्तायै नमः।
ॐ कृष्णायै नमः।
ॐ सीतायै नमः।
ॐ पीतायै नमः।
ॐ सर्ववर्णायै नमः।
ॐ निरीश्वर्यै नमः।
ॐ कालिकायै नमः।
ॐ चक्रिकायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ सत्यायै नमः।
ॐ वटुकायै नमः।
ॐ स्थितायै नमः।
ॐ तरुण्यै नमः।
ॐ वारुण्यै नमः।
ॐ नार्यै नमः।
ॐ ज्येष्ठादेव्यै नमः।
ॐ सुरेश्वर्यै नमः।
ॐ विश्वम्भरायै नमः।
ॐ धरायै नमः।
ॐ कर्त्र्यै नमः।
ॐ गलार्गलविभञ्जन्यै नमः।
ॐ सन्ध्यायै नमः।
ॐ रात्रयै नमः।
ॐ दिवे नमः।
ॐ ज्योत्स्नायै नमः।
ॐ कलायै नमः।
ॐ काष्ठायै नमः।
ॐ निमेषिकायै नमः।
ॐ उर्व्यै नमः।
ॐ कात्यायन्यै नमः।
ॐ शुभ्रायै नमः।
ॐ संसारार्णवतारिण्यै नमः।
ॐ कपिलायै नमः।
ॐ कीलिकायै नमः।
ॐ अशोकायै नमः।
ॐ मल्लिकानवमालिकायै नमः।
ॐ देविकायै नमः।
ॐ नन्दिकायै नमः।
ॐ शान्तायै नमः।
ॐ भञ्जिकायै नमः।
ॐ भयभञ्जिकायै नमः।
ॐ कौशिक्यै नमः।
ॐ वैदिक्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ सौर्यै नमः।
ॐ रूपाधिकायै नमः।
ॐ अतिभायै नमः।
ॐ दिग्वस्त्रायै नमः।
ॐ नववस्त्रायै नमः।
ॐ कन्यकायै नमः।
ॐ कमलोद्भवायै नमः।
ॐ श्रियै नमः।
ॐ सौम्यलक्षणायै नमः।
ॐ अतीतदुर्गायै नमः।
ॐ सूत्रप्रबोधिकायै नमः।
ॐ श्रद्धायै नमः।
ॐ मेधायै नमः।
ॐ कृत्ये नमः।
ॐ प्रज्ञायै नमः।
ॐ धारणायै नमः।
ॐ कान्त्यै नमः।
ॐ श्रुतये नमः।
ॐ स्मृतये नमः।
ॐ धृतये नमः।
ॐ धन्यायै नमः।
ॐ भूतये नमः।
ॐ इष्टयै नमः।
ॐ मनीषिण्यै नमः।
ॐ विरक्तये नमः।
ॐ व्यापिन्यै नमः।
ॐ मायायै नमः।
ॐ सर्वमायाप्रभञ्जन्यै नमः।
ॐ माहेन्द्र्यै नमः।
ॐ मन्त्रिण्यै नमः।
ॐ सिंह्यै नमः।
ॐ इन्द्रजालस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ अवस्थात्रयनिर्मुक्तायै नमः।
ॐ गुणत्रयविवर्जितायै नमः।
ॐ ईषणात्रयनिर्मुक्तायै नमः।
ॐ सर्वरोगविवर्जितायै नमः।
ॐ योगिध्यानान्तगम्यायै नमः।
ॐ योगध्यानपरायणायै नमः।
ॐ त्रयीशिखाविशेषज्ञायै नमः।
ॐ वेदान्तज्ञानरूपिण्यै नमः।
ॐ भारत्यै नमः।
ॐ कमलायै नमः।
ॐ भाषायै नमः।
ॐ पद्मायै नमः।
ॐ पद्मवत्यै नमः।
ॐ कृतये नमः।
ॐ गौतम्यै नमः।
ॐ गोमत्यै नमः।
ॐ गौर्यै नमः।
ॐ ईशानायै नमः।
ॐ हंसवाहिन्यै नमः।
ॐ नारायण्यै नमः।
ॐ प्रभाधारायै नमः।
ॐ जाह्नव्यै नमः।
ॐ शङ्करात्मजायै नमः।
ॐ चित्रघण्टायै नमः।
ॐ सुनन्दायै नमः।
ॐ श्रियै नमः।
ॐ मानव्यै नमः।
ॐ मनुसम्भवायै नमः।
ॐ स्तम्भिन्यै नमः।
ॐ क्षोभिण्यै नमः।
ॐ मार्यै नमः।
ॐ भ्रामिण्यै नमः।
ॐ शत्रुमारिण्यै नमः।
ॐ मोहिन्यै नमः।
ॐ द्वेषिण्यै नमः।
ॐ वीरायै नमः।
ॐ अघोरायै नमः।
ॐ रुद्ररूपिण्यै नमः।
ॐ रुद्रैकादशिन्यै नमः।
ॐ पुण्यायै नमः।
ॐ कल्याण्यै नमः।
ॐ लाभकारिण्यै नमः।
ॐ देवदुर्गायै नमः।
ॐ महादुर्गायै नमः।
ॐ स्वप्नदुर्गायै नमः।
ॐ अष्टभैरव्यै नमः।
ॐ सूर्यचन्द्राग्निरूपायै नमः।
ॐ ग्रहनक्षत्ररूपिण्यै नमः।
ॐ बिन्दुनादकलातीतायै नमः।
ॐ बिन्दुनादकलात्मिकायै नमः।
ॐ दशवायुजयाकारायै नमः।
ॐ कलाषोडशसंयुतायै नमः।
ॐ काश्यप्यै नमः।
ॐ कमलायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ नादचक्रनिवासिन्यै नमः।
ॐ मृडाधारायै नमः।
ॐ स्थिरायै नमः।
ॐ गुह्यायै नमः।
ॐ देविकायै नमः।
ॐ चक्ररूपिण्यै नमः।
ॐ अविद्यायै नमः।
ॐ शार्वर्यै नमः।
ॐ भुञ्जायै नमः।
ॐ जम्भासुरनिबर्हिण्यै नमः।
ॐ श्रीकायायै नमः।
ॐ श्रीकलायै नमः।
ॐ शुभ्रायै नमः।
ॐ कर्मनिर्मूलकारिण्यै नमः।
ॐ आदिलक्ष्म्यै नमः।
ॐ गुणाधारायै नमः।
ॐ पञ्चब्रह्मात्मिकायै नमः।
ॐ परायै नमः।
ॐ श्रुतये नमः।
ॐ ब्रह्ममुखावासायै नमः।
ॐ सर्वसम्पत्तिरूपिण्यै नमः।
ॐ मृतसञ्जीविन्यै नमः।
ॐ मैत्र्यै नमः।
ॐ कामिन्यै नमः।
ॐ कामवर्जितायै नमः।
ॐ निर्वाणमार्गदायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ हंसिन्यै नमः।
ॐ काशिकायै नमः।
ॐ क्षमायै नमः।
ॐ सपर्यायै नमः।
ॐ गुणिन्यै नमः।
ॐ भिन्नायै नमः।
ॐ निर्गुणायै नमः।
ॐ अखण्डितायै नमः।
ॐ शुभायै नमः।
ॐ स्वामिन्यै नमः।
ॐ वेदिन्यै नमः।
ॐ शक्यायै नमः।
ॐ शाम्बर्यै नमः।
ॐ चक्रधारिण्यै नमः।
ॐ दण्डिन्यै नमः।
ॐ मुण्डिन्यै नमः।
ॐ व्याघ्र्यै नमः।
ॐ शिखिन्यै नमः।
ॐ सोमसंहतये नमः।
ॐ चिन्तामणये नमः।
ॐ चिदानन्दायै नमः।
ॐ पञ्चबाणप्रबोधिन्यै नमः।
ॐ बाणश्रेणये नमः।
ॐ सहस्राक्ष्यै नमः।
ॐ सहस्रभुजापादुकायै नमः।
ॐ सन्ध्याबलये नमः।
ॐ त्रिसन्ध्याख्यायै नमः।
ॐ ब्रह्माण्डमणिभूषणायै नमः।
ॐ वासव्यै नमः।
ॐ वारुणीसेनायै नमः।
ॐ कुलिकायै नमः।
ॐ मन्त्ररञ्जिन्यै नमः।
ॐ जिताप्राणस्वरूपायै नमः।
ॐ कान्तायै नमः।
ॐ काम्यवरप्रदायै नमः।
ॐ मन्त्रब्राह्मणविद्यार्थायै नमः।
ॐ नादरूपायै नमः।
ॐ हविष्मत्यै नमः।
ॐ आथर्वणीश्रुतये नमः।
ॐ शून्यायै नमः।
ॐ कल्पनावर्जितायै नमः।
ॐ सत्यै नमः।
ॐ सत्ताजातये नमः।
ॐ प्रमायै नमः।
ॐ अमेयायै नमः।
ॐ अप्रमित्यै नमः।
ॐ प्राणदायै नमः।
ॐ गतये नमः।
ॐ अवर्णायै नमः।
ॐ पञ्चवर्णायै नमः।
ॐ सर्वदायै नमः।
ॐ भुवनेश्वर्यै नमः।
ॐ त्रैलोक्यमोहिन्यै नमः।
ॐ विद्यायै नमः।
ॐ सर्वभर्त्यै नमः।
ॐ क्षरायै नमः।
ॐ अक्षरायै नमः।
ॐ हिरण्यवर्णायै नमः।
ॐ हरिण्यै नमः।
ॐ सर्वोपद्रवनाशिन्यै नमः।
ॐ कैवल्यपदवीरेखायै नमः।
ॐ सूर्यमण्डलसंस्थितायै नमः।
ॐ सोममण्डलमध्यस्थायै नमः।
ॐ वह्निमण्डलसंस्थितायै नमः।
ॐ वायुमण्डलमध्यस्थायै नमः।
ॐ व्योममण्डलसंस्थितायै नमः।
ॐ चक्रिकायै नमः।
ॐ चक्रमध्यस्थायै नमः।
ॐ चक्रमार्गप्रवर्तिन्यै नमः।
ॐ कोकिलाकुलचक्राशायै नमः।
ॐ पक्षतये नमः।
ॐ पङ्क्तिपावनायै नमः।
ॐ सर्वसिद्धान्तमार्गस्थायै नमः।
ॐ षड्वर्णायै नमः।
ॐ वर्णवर्जितायै नमः।
ॐ शतरुद्रहरायै नमः।
ॐ हन्त्र्यै नमः।
ॐ सर्वसंहारकारिण्यै नमः।
ॐ पुरुषायै नमः।
ॐ पौरुष्यै नमः।
ॐ तुष्टये नमः।
ॐ सर्वतन्त्रप्रसूतिकायै नमः।
ॐ अर्धनारीश्वर्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ सर्वविद्याप्रदायिन्यै नमः।
ॐ भार्गव्यै नमः।
ॐ भूजुषीविद्यायै नमः।
ॐ सर्वोपनिषदास्थितायै नमः।
ॐ व्योमकेशायै नमः।
ॐ अखिलप्राणायै नमः।
ॐ पञ्चकोशविलक्षणायै नमः।
ॐ पञ्चकोषात्मिकायै नमः।
ॐ प्रत्यक्यै नमः।
ॐ पञ्चब्रह्मात्मिकायै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ जगज्जराजनित्र्यै नमः।
ॐ पञ्चकर्मप्रसूतिकायै नमः।
ॐ वाग्देव्यै नमः।
ॐ आभरणाकारायै नमः।
ॐ सर्वकाम्यस्थितायै नमः।
ॐ स्थित्यै नमः।
ॐ अष्टादशचतुष्षष्टिपीठिकायै नमः।
ॐ विद्यायुतायै नमः।
ॐ कालिकायै नमः।
ॐ कर्षण्यै नमः।
ॐ शयामायै नमः।
ॐ यक्षिण्यै नमः।
ॐ किन्नरेश्वर्यै नमः।
ॐ केतक्यै नमः।
ॐ मल्लिकायै नमः।
ॐ अशोकायै नमः।
ॐ वाराह्यै नमः।
ॐ धरण्यै नमः।
ॐ ध्रुवायै नमः।
ॐ नारसिंह्यै नमः।
ॐ महोग्रास्यायै नमः।
ॐ भक्तानामार्तिनाशिन्यै नमः।
ॐ अन्तर्बलायै नमः।
ॐ स्थिरायै नमः।
ॐ लक्ष्म्यै नमः।
ॐ जरामरणनाशिन्यै नमः।
ॐ श्रीरञ्जितायै नमः।
ॐ महामायायै नमः।
ॐ सोमसुर्याग्निलोचनायै नमः।
ॐ अदितये नमः।
ॐ देवमात्रे नमः।
ॐ अष्टपुत्रायै नमः।
ॐ अष्टयोगिन्यै नमः।
ॐ अष्टप्रकृतये नमः।
ॐ अष्टाष्टविभ्राजद्विकृताकृतये नमः।
ॐ दुर्बिक्षध्वंसिन्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ सीतायै नमः।
ॐ सत्यायै नमः।
ॐ रुक्मिण्यै नमः।
ॐ ख्यातिजायै नमः।
ॐ भार्गव्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ देवयोनये नमः।
ॐ तपस्विन्यै नमः।
ॐ शाकम्भर्यै नमः।
ॐ महाशोणायै नमः।
ॐ गरुडोपरिसंस्थितायै नमः।
ॐ सिंहगायै नमः।
ॐ व्याघ्रगायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ वायुगायै नमः।
ॐ महाद्रिगायै नमः।
ॐ आकारादिक्षकारांतायै नमः।
ॐ सर्वविद्याधिदेवतायै नमः।
ॐ मन्त्रव्याख्याननिपुणायै नमः।
ॐ ज्योतिश्शास्त्रैकलोचनायै नमः।
ॐ इडापिङ्गलिकामध्यसुषुम्नायै नमः।
ॐ ग्रन्थिभेदिन्यै नमः।
ॐ कालचक्राश्रयोपेतायै नमः।
ॐ कालचक्रस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ वैशारद्यै नमः।
ॐ मतिश्रेष्ठायै नमः।
ॐ वरिष्ठायै नमः।
ॐ सर्वदीपिकायै नमः।
ॐ वैनायक्यै नमः।
ॐ वरारोहायै नमः।
ॐ श्रोणिवेलायै नमः।
ॐ बहिर्वलये नमः।
ॐ जम्भिन्यै नमः।
ॐ जृम्भिण्यै नमः।
ॐ जृम्भकारिण्यै नमः।
ॐ गणकारिकायै नमः।
ॐ शरण्यै नमः।
ॐ चक्रिकायै नमः।
ॐ अनन्तायै नमः।
ॐ सर्वव्याधिचिकित्सक्यै नमः।
ॐ देवक्यै नमः।
ॐ देवसङ्काशायै नमः।
ॐ वारिधये नमः।
ॐ करुणाकरायै नमः।
ॐ शर्वर्यै नमः।
ॐ सर्वसम्पन्नायै नमः।
ॐ सर्वपापप्रभञ्जन्यै नमः।
ॐ एकमात्रायै नमः।
ॐ द्विमात्रायै नमः।
ॐ त्रिमात्रायै नमः।
ॐ अपरायै नमः।
ॐ अर्धमात्रायै नमः।
ॐ परायै नमः।
ॐ सूक्ष्मायै नमः।
ॐ सूक्ष्मार्थार्थपरायै नमः।
ॐ अपरायै नमः।
ॐ एकवीरायै नमः।
ॐ विषेशाख्यायै नमः।
ॐ षष्ठ्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ मनस्विन्यै नमः।
ॐ नैष्कर्म्यायै नमः।
ॐ निष्कलालोकायै नमः।
ॐ ज्ञानकर्माधिकायै नमः।
ॐ गुणायै नमः।
ॐ सबन्ध्वानन्दसन्दोहायै नमः।
ॐ व्योमाकारायै नमः।
ॐ निरूपितायै नमः।
ॐ गद्यपद्यात्मिकायै नमः।
ॐ वाण्यै नमः।
ॐ सर्वालङ्कारसंयुतायै नमः।
ॐ साधुबन्धपदन्यासायै नमः।
ॐ सर्वोकसे नमः।
ॐ घटिकावलये नमः।
ॐ षट्कर्मिण्यै नमः।
ॐ कर्कशाकारायै नमः।
ॐ सर्वकर्मविवर्जितायै नमः।
ॐ आदित्यवर्णायै नमः।
ॐ अपर्णायै नमः।
ॐ कामिन्यै नमः।
ॐ वररूपिण्यै नमः।
ॐ ब्रह्माण्यै नमः।
ॐ ब्रह्मसन्तानायै नमः।
ॐ वेदवाचे नमः।
ॐ ईश्वर्यै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ पुराणन्यायमीमांसा-धर्मशास्त्रागमश्रुतायै नमः।
ॐ सद्योवेदवत्यै नमः।
ॐ सर्वायै नमः।
ॐ हंस्यै नमः।
ॐ विद्याधिदेवतायै नमः।
ॐ विश्वेश्वर्यै नमः।
ॐ जगद्धात्र्यै नमः।
ॐ विश्वनिर्माणकारिण्यै नमः।
ॐ वैदिक्यै नमः।
ॐ वेदरूपायै नमः।
ॐ कालिकायै नमः।
ॐ कालरूपिण्यै नमः।
ॐ नारायण्यै नमः।
ॐ महादेव्यै नमः।
ॐ सर्वतत्त्वप्रवर्तिन्यै नमः।
ॐ हिरण्यवर्णरूपायै नमः।
ॐ हिरण्यपदसम्भवायै नमः।
ॐ कैवल्यपदव्यै नमः।
ॐ पुण्यायै नमः।
ॐ कैवल्यज्ञानलक्षितायै नमः।
ॐ ब्रह्मसम्पत्तिरूपायै नमः।
ॐ ब्रह्मसम्पत्तिकारिण्यै नमः।
ॐ वारुण्यै नमः।
ॐ वरुणाराध्यायै नमः।
ॐ सर्वकर्मप्रवतिन्यै नमः।
ॐ एकाक्षरपरायै नमः।
ॐ युक्तायै नमः।
ॐ सर्वदारिद्र्यभञ्जिन्यै नमः।
ॐ पाशाङ्कुशान्वितायै नमः।
ॐ दिव्यायै नमः।
ॐ वीणाव्याख्याक्षसूत्रभृते नमः।
ॐ एकमूर्तये नमः।
ॐ त्रयीमूर्तये नमः।
ॐ मधुकैटभभञ्जिन्यै नमः।
ॐ साङ्ख्यायै नमः।
ॐ साङ्ख्यवत्यै नमः।
ॐ ज्वालायै नमः।
ॐ ज्वलन्त्यै नमः।
ॐ कामरूपिण्यै नमः।
ॐ जाग्रत्यै नमः।
ॐ सर्वसम्पत्तये नमः।
ॐ सुषुप्तायै नमः।
ॐ स्वेष्टदायिन्यै नमः।
ॐ कपालिन्यै नमः।
ॐ महादंष्ट्रायै नमः।
ॐ भ्रुकुटीकुटिलाननायै नमः।
ॐ सर्वावासायै नमः।
ॐ सुवासायै नमः।
ॐ बृहत्यै नमः।
ॐ अष्टये नमः।
ॐ शक्वर्यै नमः।
ॐ छन्दोगणप्रतीकाशायै नमः।
ॐ कल्माष्यै नमः।
ॐ करुणात्मिकायै नमः।
ॐ चक्षुष्मत्यै नमः।
ॐ महाघोषायै नमः।
ॐ खङ्गचर्मधरायै नमः।
ॐ अशनये नमः।
ॐ शिल्पवैचित्र्यविद्योतायै नमः।
ॐ सर्वतोभद्रवासिन्यै नमः।
ॐ अचिन्त्यलक्षणाकारायै नमः।
ॐ सूत्रभाष्यनिबन्धनायै नमः।
ॐ सर्ववेदान्तसम्पत्तये नमः।
ॐ सर्वशास्त्रार्थमातृकायै नमः।
ॐ अकारादिक्षकारान्त-सर्ववर्णकृतस्थलायै नमः।
ॐ सर्वलक्ष्म्यै नमः।
ॐ सादानन्दायै नमः।
ॐ सारविद्यायै नमः।
ॐ सदाशिवायै नमः।
ॐ सर्वज्ञायै नमः।
ॐ सर्वशक्त्यै नमः।
ॐ खेचरीरूपगायै नमः।
ॐ उच्छितायै नमः।
ॐ अणिमादिगुणोपेतायै नमः।
ॐ परायै नमः।
ॐ काष्ठायै नमः।
ॐ परागतये नमः।
ॐ हंसयुक्तविमानस्थायै नमः।
ॐ हंसारूढायै नमः।
ॐ शशिप्रभायै नमः।
ॐ भवान्यै नमः।
ॐ वासनाशक्तये नमः।
ॐ आकृतिस्थायै नमः।
ॐ खिलायै नमः।
ॐ अखिलायै नमः।
ॐ तन्त्रहेतवे नमः।
ॐ विचित्राङ्ग्यै नमः।
ॐ व्योमगङ्गाविनोदिन्यै नमः।
ॐ वर्षायै नमः।
ॐ वर्षिकायै नमः।
ॐ ऋग्यजुस्सामरूपिण्यै नमः।
ॐ महानद्यै नमः।
ॐ नदीपुण्यायै नमः।
ॐ अगण्यपुण्यगुणक्रियायै नमः।
ॐ समाधिगतलभ्यायै नमः।
ॐ अर्थायै नमः।
ॐ श्रोतव्यायै नमः।
ॐ स्वप्रियायै नमः।
ॐ घृणायै नमः।
ॐ नामाक्षरपरायै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ उपसर्गनखाञ्चितायै नमः।
ॐ निपातोरुद्व्यायै नमः।
ॐ जङ्घामातृकायै नमः।
ॐ मन्त्ररूपिण्यै नमः।
ॐ आसीनायै नमः।
ॐ शयानायै नमः।
ॐ तिष्ठन्त्यै नमः।
ॐ धावनाधिकायै नमः।
ॐ लक्ष्यलक्षणयोगाढ्यायै नमः।
ॐ ताद्रूपगणनाकृतये नमः।
ॐ एकरूपायै नमः।
ॐ अनैकरूपायै नमः।
ॐ तस्यै नमः।
ॐ इन्दुरूपायै नमः।
ॐ तदाकृतये नमः।
ॐ समासतद्धिताकारायै नमः।
ॐ विभक्तिवचनात्मिकायै नमः।
ॐ स्वाहाकारायै नमः।
ॐ स्वधाकारायै नमः।
ॐ श्रीपत्यर्धाङ्गनन्दिन्यै नमः।
ॐ गम्भीरायै नमः।
ॐ गहनायै नमः।
ॐ गुह्यायै नमः।
ॐ योनिलिङ्गार्धधारिण्यै नमः।
ॐ शेषवासुकिसंसेव्यायै नमः।
ॐ चपलायै नमः।
ॐ वरवर्णिन्यै नमः।
ॐ कारुण्याकारसम्पत्तये नमः।
ॐ कीलकृते नमः।
ॐ मन्त्रकीलिकायै नमः।
ॐ शक्तिबीजात्मिकायै नमः।
ॐ सर्वमन्त्रेष्टायै नमः।
ॐ अक्षयकामनायै नमः।
ॐ आग्नेय्यै नमः।
ॐ पार्थिवायै नमः।
ॐ आप्यायै नमः।
ॐ वायव्यायै नमः।
ॐ व्योमकेतनायै नमः।
ॐ सत्यज्ञानात्मिकायै नमः।
ॐ नन्दायै नमः।
ॐ ब्राह्म्यै नमः।
ॐ ब्रह्मणे नमः।
ॐ सनातन्यै नमः।
ॐ अविद्यावासनायै नमः।
ॐ मायायै नमः।
ॐ प्रकृत्यै नमः।
ॐ सर्वमोहिन्यै नमः।
ॐ शक्तये नमः।
ॐ धारणशक्तयेयोगिन्यै नमः।
ॐ चिदचिच्छक्त्यै नमः।
ॐ वक्त्रायै नमः।
ॐ अरुणायै नमः।
ॐ महामायायै नमः।
ॐ मरीचये नमः।
ॐ मदमर्दिन्यै नमः।
ॐ विराजे नमः।
ॐ स्वाहायै नमः।
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ॐ शुद्धायै नमः।
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ॐ सुभक्तिगायै नमः।
ॐ निरूपिताद्व्य्यै नमः।
ॐ विद्यायै नमः।
ॐ नित्यानित्यस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ वैराजमार्गसञ्चारायै नमः।
ॐ सर्वसत्पथदर्शिन्यै नमः।
ॐ जालन्धर्यै नमः।
ॐ मृडान्यै नमः।
ॐ भवान्यै नमः।
ॐ भवभञ्जिन्यै नमः।
ॐ त्रैकालिकज्ञानतन्तवे नमः।
ॐ त्रिकालज्ञानदायिन्यै नमः।
ॐ नादातीतायै नमः।
ॐ स्मृतये नमः।
ॐ प्रज्ञायै नमः।
ॐ धात्रीरूपायै नमः।
ॐ त्रिपुष्करायै नमः।
ॐ पराजितायै नमः।
ॐ विधानज्ञायै नमः।
ॐ विशेषितगुणात्मिकायै नमः।
ॐ हिरण्यकेशिन्यै नमः।
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ॐ ज्योतिर्विदे नमः।
ॐ मतिजीविकायै नमः।
ॐ ब्रह्माण्डगर्भिण्यै नमः।
ॐ बालायै नमः।
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ॐ कुमारकुशलोदयायै नमः।
ॐ बगलायै नमः।
ॐ भ्रमराम्बायै नमः।
ॐ शिवदूत्यै नमः।
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ॐ मेरुविन्ध्यान्त संस्थानायै नमः।
ॐ काश्मीरपुरवासिन्यै नमः।
ॐ योगनिद्रायै नमः।
ॐ महानिद्रायै नमः।
ॐ विनिद्रायै नमः।
ॐ राक्षसाश्रितायै नमः।
ॐ सुवर्णदायै नमः।
ॐ महागङ्गायै नमः।
ॐ पञ्चाख्यायै नमः।
ॐ पञ्चसंहत्यै नमः।
ॐ सुप्रजातायै नमः।
ॐ सुवीरायै नमः।
ॐ सुपोषायै नमः।
ॐ सुपतये नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ सुगृह्यै नमः।
ॐ रक्तबीजान्तायै नमः।
ॐ हतकन्दर्पजीविकायै नमः।
ॐ समुद्रव्योममध्यस्थायै नमः।
ॐ समबिन्दुसमाश्रयायै नमः।
ॐ सौभाग्यरसजीवातवे नमः।
ॐ सारासारविवेकदृशे नमः।
ॐ त्रिवल्यादिसुपुष्टाङ्गायै नमः।
ॐ भारत्यै नमः।
ॐ भरताश्रितायै नमः।
ॐ नादब्रह्ममयीविद्यायै नमः।
ॐ ज्ञानब्रह्ममयीपरायै नमः।
ॐ ब्रह्मनाड्यै नमः।
ॐ निरुक्तये नमः।
ॐ ब्रह्मकैवल्यसाधनायै नमः।
ॐ कालिकेयमहोदारवीर्य-विक्रमरूपिण्यै नमः।
ॐ बडबाग्निशिखावक्त्रायै नमः।
ॐ महाकबलतर्पणायै नमः।
ॐ महाभूतायै नमः।
ॐ महादर्पायै नमः।
ॐ महासारायै नमः।
ॐ महाक्रतवे नमः।
ॐ पञ्चभूतमहाग्रासायै नमः।
ॐ पञ्चभूताधिदेवतायै नमः।
ॐ सर्वप्रमाणायै नमः।
ॐ सम्पत्तये नमः।
ॐ सर्वरोगप्रतिक्रियायै नमः।
ॐ ब्रह्माण्डान्तर्बहिर्व्याप्तायै नमः।
ॐ विष्णुवक्षोविभूषिण्यै नमः।
ॐ शाङ्कर्यै नमः।
ॐ विधिवक्त्रस्थायै नमः।
ॐ प्रवरायै नमः।
ॐ वरहेतुक्यै नमः।
ॐ हेममालायै नमः।
ॐ शिखामालायै नमः।
ॐ त्रिशिखायै नमः।
ॐ पञ्चलोचनायै नमः।
ॐ सर्वागमसदाचारमर्यादायै नमः।
ॐ यातुभञ्जन्यै नमः।
ॐ पुण्यश्लोकप्रबन्धाढ्यायै नमः।
ॐ सर्वान्तर्यामिरूपिण्यै नमः।
ॐ सामगानसमाराध्यायै नमः।
ॐ श्रोतृकर्णरसायनायै नमः।
ॐ जीवलोकैकजीवात्मने नमः।
ॐ भद्रोदारविलोकनायै नमः।
ॐ तडित्कोटिलसत्कान्त्यै नमः।
ॐ तरुण्यै नमः।
ॐ हरिसुन्दर्यै नमः।
ॐ मीननेत्रायै नमः।
ॐ इन्द्राक्ष्यै नमः।
ॐ विशालाक्ष्यै नमः।
ॐ सुमङ्गलायै नमः।
ॐ सर्वमङ्गलसम्पन्नायै नमः।
ॐ साक्षान्मङ्गलदेवतायै नमः।
ॐ देहिहृद्दीपिकायै नमः।
ॐ दीप्तये नमः।
ॐ जिह्मपापप्रनाशिन्यै नमः।
ॐ अर्धचन्द्रोल्लसद्धंष्ट्रायै नमः।
ॐ यज्ञवाटीविलासिन्यै नमः।
ॐ महादुर्गायै नमः।
ॐ महोत्साहायै नमः।
ॐ महादेवबलोदयायै नमः।
ॐ डाकिनीड्यायै नमः।
ॐ शाकिनीड्यायै नमः।
ॐ साकिनीड्यायै नमः।
ॐ समस्तजुषे नमः।
ॐ निरङ्कुशायै नमः।
ॐ नाकिवन्द्यायै नमः।
ॐ षडाधाराधिदेवतायै नमः।
ॐ भुवनज्ञाननिश्रेणये नमः।
ॐ भुवनाकारवल्लर्यै नमः।
ॐ शाश्वत्यै नमः।
ॐ शाश्वताकारायै नमः।
ॐ लोकानुग्रहकारिण्यै नमः।
ॐ सारस्यै नमः।
ॐ मानस्यै नमः।
ॐ हंस्यै नमः।
ॐ हंसलोकप्रदायिन्यै नमः।
ॐ चिन्मुद्रालङ्कृतकरायै नमः।
ॐ कोटिसूर्यसमप्रभायै नमः।
ॐ सुखप्राणिशिरोरेखायै नमः।
ॐ सददृष्टप्रदायिन्यै नमः।
ॐ सर्वसाङ्कर्यदोषघ्नयै नमः।
ॐ ग्रहोपद्रवनाशिन्यै नमः।
ॐ क्षुद्रजन्तुभयघ्नयै नमः।
ॐ विषरोगादिभञ्जन्यै नमः।
ॐ सदाशान्तायै नमः।
ॐ सदाशुद्धायै नमः।
ॐ गृहच्छिद्रनिवारिण्यै नमः।
ॐ कलिदोषप्रशमन्यै नमः।
ॐ कोलाहलपुरस्थितायै नमः।
ॐ गौर्यै नमः।
ॐ लाक्षणिक्यै नमः।
ॐ मुख्यायै नमः।
ॐ जघन्याकृतिवर्जितायै नमः।
ॐ मायायै नमः।
ॐ विद्यायै नमः।
ॐ मूलभूतायै नमः।
ॐ वासव्यै नमः।
ॐ विष्णुचेतनायै नमः।
ॐ वादिन्यै नमः।
ॐ वसुरूपायै नमः।
ॐ वसुरत्नपरिच्छदायै नमः।
ॐ छांदस्यै नमः।
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ॐ वनमालायै नमः।
ॐ वैजयन्त्यै नमः।
ॐ पञ्चदिव्यायुधात्मिकायै नमः।
ॐ पीताम्बरमय्यै नमः।
ॐ चञ्चत्कौस्तुभायै नमः।
ॐ हरिकामिन्यै नमः।
ॐ नित्यायै नमः।
ॐ तथ्यायै नमः।
ॐ रमायै नमः।
ॐ रामायै नमः।
ॐ रमण्यै नमः।
ॐ मृत्युभञ्जन्यै नमः।
ॐ ज्येष्ठायै नमः।
ॐ काष्ठायै नमः।
ॐ धनिष्ठान्तायै नमः।
ॐ शराङ्ग्यै नमः।
ॐ निर्गुणप्रियायै नमः।
ॐ मैत्रेयायै नमः।
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ॐ शेष्यशेषकलाशयायै नमः।
ॐ वाराणसीवासलभ्यायै नमः।
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ॐ दोषवर्जितायै नमः।
ॐ जगल्लक्ष्म्यै नमः।
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ॐ परमव्योमनायक्यै नमः।
ॐ नाकपृष्ठगताराध्यायै नमः।
ॐ विष्णुलोकविलासिन्यै नमः।
ॐ वैकुण्ठराजमहिष्यै नमः।
ॐ श्रीरङ्गनगराश्रित्यै नमः।
ॐ रङ्गनायक्यै नमः।
ॐ भूपुत्र्यै नमः।
ॐ कृष्णायै नमः।
ॐ वरदवल्लभायै नमः।
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ॐ फलायै नमः।
ॐ श्रीमन्त्रराजराज्ञ्यै नमः।
ॐ श्रीविद्यायै नमः।
ॐ क्षेमकारिण्यै नमः।
ॐ श्रीम्बीजजपसन्तुष्टायै नमः।
ॐ ऐं ह्रिं श्रीं बीजपालिकायै नमः।
ॐ प्रपत्तिमार्गसुलभायै नमः।
ॐ विष्णुप्रथमकिङ्कर्यै नमः।
ॐ क्लीङ्कारार्थसवित्र्यै नमः।
ॐ सौमङ्गल्याधिदेवतायै नमः।
ॐ श्रीषोडशाक्षरीविद्यायै नमः।
ॐ श्रीयन्त्रपुरवासिन्यै नमः।
ॐ सर्वमङ्गलमाङ्गल्यायै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ सर्वार्थसाधिकायै नमः।
ॐ शरण्यायै नमः।
ॐ त्र्यम्बकायै नमः।
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Shri Shiv-stuti - नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी।

श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

jhaankee - झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ।

भगवान शिव की आरती | BHAKTI GYAN भगवान शिव की आरती... ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: भगवान शिव की पूजा के समय मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव की आरती से हम भगवान भोलेनाथ के चरणों में अपने स्तुति रूपी श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका कृपा प्रसाद पा सकते हैं। ॥ झांकी ॥ झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ। नैनो के पात्र में सुधा, भर भर के मैं पिया करूँ॥ वाराणसी का वास हो, और न कोई पास हो। गिरजापति के नाम का, सुमिरण भजन किया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जयति जय महेश हे, जयति जय नन्द केश हे। जयति जय उमेश हे, प्रेम से मै जपा करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... अम्बा कही श्रमित न हो, सेवा का भार मुझको दो। जी भर के तुम पिया करो, घोट के मैं दिया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जी मै तुम्हारी है लगन, खीचते है उधर व्यसन। हरदम चलायमान हे मन, इसका उपाय क्या करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... भिक्षा में नाथ दीजिए, सेवा में मै रहा करूँ। बेकल हु नाथ रात दिन चैन

Sri Shiva\Rudrashtakam\Shri Rudrashtakam Stotram

श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! भगवान शिव शंकर जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि भक्त श्रद्धा पूर्वक एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। 'श्री शिव रुद्राष्टकम' अपने आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था। ॥ श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र ॥ नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भज

Dwadash Jyotirlinga - सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। द्वादश ज्योतिर्लिंग... हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥१॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्। सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥२॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥३॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥४॥ Related Pages: श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् चिन्तामणि षट्पदी स्तोत्र गणपतितालम् श्री कालभैरव अष्टकम् अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी देवी भजन- इंद्राक्षी स्तोत्रम् श्री शिव प्रातः स्मरणस्तोत्रम् 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग राम रक्षा स्तोत्र संकटमोचन हनुमानाष्टक संस्कृत में मारुति स्तो

Lingashtakam\Shiv\lingashtakam stotram-लिङ्गाष्टकम्

श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग

Mata Chamunda Devi Chalisa - नमस्कार चामुंडा माता, तीनो लोक मई मई विख्याता

चामुण्डा देवी की चालीसा | BHAKTI GYAN चामुण्डा देवी की चालीसा... हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति स्वरूपा माना गया है। भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है, जिनमे से एक चामुण्‍डा देवी मंदिर शक्ति पीठ भी है। चामुण्डा देवी का मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है, जो कि शक्ति और संहार की देवी है। पुराणों के अनुसार धरती पर जब कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवो का संहार किया है। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुण्डा पड़ा। श्री चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील में पालमपुर शहर से 19 K.M दूर स्थित है। जो माता दुर्गा के एक रूप श्री चामुंडा देवी को समर्पित है। || चालीसा || ।। दोहा ।। नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड, दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ । मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत, मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।। ।। चौपाई ।। नमस्कार चामुंडा माता, तीनो लोक मई मई विख्याता । हिमाल्या मई पवितरा धाम है, महाशक्ति तुमको प्रडम है ।।1।।

Temples List\India’s Famous Temple Names in Hindi

भारत के प्रमुख मंदिरो की सूची भारत के प्रमुख मंदिरो की सूची... भारतीय सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है एवं सनातन काल से यहां मंदिरो की विशेष मान्यताये है। भारत के हर राज्य में कई प्रसिद्ध मंदिर है। ऐसे मंदिर भी है जिनमे की वर्ष भर आने वाले श्रद्धालुओ का तांता ही लगा रहता है, जो आमतौर पर अपने विस्तृत वास्त़ुकला और समृद्ध इतिहास के लिए जाने जाते हैं। भारत के कुछ प्रमुख मंदिरो के नाम यहां हमने सूचीबद्ध किये है। भारत के प्रमुख मंदिर सूची क्र. संख्या प्रसिद्द मंदिर स्थान 1 बद्रीनाथ मंदिर बद्रीनाथ, उत्तराखंड 2 केदारनाथ मंदिर केदारनाथ, उत्तराखंड 3 यमुनोत्री मंदिर उत्तरकाशी, उत्तराखंड 4 गंगोत्री मंदिर गंगोत्री, उत्तराखंड 5 हिडिम्बा देवी मंदिर मनाली, हिमाचल प्रदेश 6 अमरनाथ मंदिर पहलगाम, जम्मू कश्मीर 7 माता वैष्णो देवी मंदिर कटरा, जम्मू कश्मीर 8 मार्तण्ड सूर्य मंदिर अनंतनाग, कश्मीर 9 काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश 10 प्रेम मंदिर मथुरा, उत्तरप्रदेश