छिन्नमस्ता कवच...
!! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !!माँ छिन्नमस्ता देवी का कवच शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके पाठ करने से साधक की शत्रु से रक्षा होती है तथा मॉ आद्य भवानी की कृपा प्राप्त होती है। माँ भगवती छिन्नमस्ता देवी के भक्तों को सदा इस कवच का पाठ करते रहना चाहिए। जिसे साधक को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
|| छिन्नमस्ता कवच ||
हुं बीजात्मका देवी मुण्डकर्तृधरापरा।
हृदय पातु सा देवी वर्णिनी डाकिनीयुता।।
श्रीं ह्रीं हुं ऐं चैव देवी पुर्व्वास्यां पातु सर्वदा।
सर्व्वांगं मे सदा पातु छिन्नमस्ता महाबला।।
वज्रवैरोचनीये हुं फट् बीजसमन्विता।
उत्तरस्यां तथाग्नौ च वारुणे नैऋर्तेऽवतु।।
इन्द्राक्षी भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्व्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै।।
इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेच्छिन्नमस्तकाम्।
न तस्य फलसिद्धिः स्यात्कल्पकोटिशतैरपि।।
।। इति श्रीछिन्नमस्ता कवचम् सम्पूर्णं ।।
माँ छिन्नमस्ता कवच हिंदी अनुवाद:-
मैं बीज धारण करने वाली देवी मुंडकर्तृधारापारा हूँ।
वह देवी वर्णिणी चुड़ैलों के साथ मेरे दिल की रक्षा करें।
देवी श्री ह्रीं हम् ऐं पूर्व दिशा में सदैव मेरी रक्षा करें।
पराक्रमी छिन्नमस्ता मेरे समस्त अंगों की सदैव रक्षा करें।
‘हूं फट्’ बीज से समन्वित वज्रवैरोचनीये देवी।
उत्तर दिशा में वरुण और उत्तर दिशा में अग्नि में मेरी रक्षा करें।
इन्द्राक्षी भैरवी और वासितांगी संहारक हैं।
देवी दुर्गा अन्य सभी दिशाओं में हमेशा मेरी रक्षा करें।
जो इस कवच को बिना जाने जो साधक जाप करता है।
वह सौ करोड़ कल्प में भी उसका फल प्राप्त नहीं कर पाता है।
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