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Showing posts from August, 2025

Ganesha-Shri Ganapatyatharvashirsha/श्री गणपत्यर्थवर्धशीर्षम्

श्री गणपत्यर्थवर्धशीर्षम् | गणपति अथर्वशीर्ष का महत्व और लाभ श्री गणपत्यर्थवर्धशीर्षम् (गणपति अथर्वशीर्ष)... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय श्री गणपत्यर्थवर्धशीर्षम् अथवा गणपति अथर्वशीर्ष उपनिषद का एक अद्वितीय ग्रंथ है। इसे अथर्ववेद का अंग माना गया है और इसमें गणपति को सर्वश्रेष्ठ ब्रह्म स्वरूप घोषित किया गया है। गणेश जी केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि ज्ञान, विज्ञान, आत्मबोध और मोक्ष के दाता माने गए हैं। इस उपनिषद का पाठ करने से साधक के जीवन में विघ्न दूर होते हैं, बुद्धि की वृद्धि होती है और परमात्मा के प्रति अडिग श्रद्धा जागृत होती है। ।। श्रीगणपत्यथर्वशीर्षम् ।। "मूल श्लोक" सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहे। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहे। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि। त्वमेव केवलं कर्ताऽसि। त्वमेव केवलं धर्ताऽसि। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि। त्वं साक्षादात्माऽसि नित्यम् ॥ १ ॥ ऋतं वच्मि। सत्यं...

Chalisa-Rahu-Shree Rahu Chalisa/श्री राहु चालीसा

राहु ग्रह को समर्पित चालीसा — शांति, कृपा और कल्याण राहु ग्रह को समर्पित चालीसा... राहु ग्रह को समर्पित यह चालीसा उनके अशुभ प्रभावों को शांत करने, कालसर्प दोष का निवारण करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का सशक्त साधन है। राहु ग्रह ज्योतिष में एक छाया ग्रह माने जाते हैं। ये ग्रह जीवन में अचानक परिवर्तन, भौतिक सुख-सुविधाएँ, इच्छाएँ, बाधाएँ और मानसिक अशांति से जुड़े होते हैं। यदि राहु की स्थिति कुंडली में अशुभ हो, तो यह कालसर्प दोष, पितृ दोष, आर्थिक संकट, मानसिक तनाव और शत्रु बाधाओं जैसी समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसे में राहु चालीसा का नियमित पाठ अत्यंत लाभकारी होता है। ॥ श्री राहु चालीसा ॥ ॥ दोहा ॥ नमो नमः श्री राहु सुखकारी। कष्ट हरन, कृपा करन, भक्त-हित उन्मुख भारी॥ जयति जयति प्रभु राहु महाराज। भव-बंधन हरि, करहु सेवक का काज॥ ॥ चौपाई ॥ जयति जयति श्री राहु दयाला। सदा भक्तन के संकट हारा॥ सर्पाकार, फणी धर शेषा। राहु देव, स...

bhakti-bhajan-Achyutam Keshavam Krishna Damodaram/अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं — भक्तिपूर्ण भजन, लिरिक्स और अर्थ अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं — एक भक्तिपूर्ण भजन... "अच्युतम् केशवं कृष्ण दामोदरम्" एक बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय भक्ति भजन है, जो भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों और लीलाओं की स्तुति करता है। यह भजन कृष्ण भक्ति में प्रेम, माधुर्य और आनंद का अद्भुत संचार करता है। अच्चुतम केशवं — भजन अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम । कौन कहता हे भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं । अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम । कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं । अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम । कौन कहता है भगवान सोते नहीं, माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं । अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम । कौन कह...

Bhajan-Shri Banke Bihari Teri Aarti Gaun/श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं — मधुर भजन, बोल और महिमा वृंदावन की मधुर भक्ति — श्री बांकेबिहारी की आरती... श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं — वृंदावन के ठाकुर जी की भक्ति में लीन यह आरती भक्तों के मन को आनंद और शांति से भर देती है। बांके बिहारी जी, जो राधा-कृष्ण के संयुक्त स्वरूप माने जाते हैं, उनकी आरती गाने से जीवन में प्रेम, भक्ति और सुख-समृद्धि का संचार होता है। भजन — शब्द श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं । आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं, श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं । ॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥ मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे, प्यारी बंसी मेरो मन मोहे । देख छवि बलिहारी मैं जाऊं । ॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥ चरणों से निकली गंगा प्यारी, जिसने सारी दुनिया तारी । मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं । ॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥ दास अनाथ के नाथ आ...

Hanumaan-stuti-Namo-Kesariputra-Mahavir-ko-Shat-Shat-Naman/नमो केसरीपुत्र महावीर को शत-शत नमन

श्री हनुमान जी की स्तुति - संकट, रोग, शत्रु बाधा से मुक्ति | Bhakti Gyan श्री हनुमान जी की स्तुति... नमो केसरीपुत्र महावीर को शत-शत नमन। यह पावन स्तुति साहस, बुद्धि और सभी प्रकार के संकट निवारण का अद्भुत माध्यम है। जय बजरंगबली! हनुमान जी की यह स्तुति मंगलवार और शनिवार को श्रद्धा से पढ़ने पर विशेष फलदायी मानी जाती है। ॥ श्री हनुमान जी की स्तुति ॥ नमो केसरी पूत महावीर वीरं, मंङ्गलागार रणरङ्गधीरं। कपिवेष महेष वीरेश धीरं, नमो राम दूतं स्वयं रघुवीरं। नमो अञ्जनानंदनं धीर वेषं, नमो सुखदाता हर्ता क्लेशं। किए काम भगतों के तुमने सारे, मिटा दुःख दारिद संकट निवारे। सुग्रीव का काज तुमने संवारा, मिला राम से शोक संताप टारा। गये पार वारिधि लंका जलाई, हता पुत्र रावण सिया खोज लाई। सिया का प्रभु को सभी दुःख सुनाया, लखन पर पड़ा कष्ट तुमने मिटाया। सभी काज रघुवर के तुमने संवारे, सभी कष्ट हरना पड़े तेरे द्वारे। कहे दास तेरा तुम्हीं मेरे स्वामी, हरो विघ्न सरे नमामी नमामी। विशेष लाभ: मंगलवार और शनिवार ...

Brihaspati-Chalisa-Devaguru-Brihaspati/श्री बृहस्पति चालीसा

श्री बृहस्पति चालीसा - ज्ञान, शिक्षा और वैवाहिक सुख हेतु दिव्य पाठ श्री बृहस्पति चालीसा... "श्री बृहस्पति चालीसा" एक श्रद्धापूर्ण स्तुति है, जो देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है — वे जो नवग्रहों में ज्ञान, नीति, धर्म और विवेक के प्रतीक माने जाते हैं। यह चालीसा विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए है जो जीवन में बुद्धि, वाणी की मधुरता, व्यापार में सफलता, संतान और विवाह संबंधी समस्याओं से मुक्ति, और संतुलित व धर्मयुक्त जीवन की कामना करते हैं। देवगुरु बृहस्पति का नित्य स्मरण और यह चालीसा पाठ शिक्षा, निर्णय क्षमता, आध्यात्मिक उन्नति, वाणी की शक्ति, और गुरु ग्रह की कृपा को प्राप्त करने का एक प्रभावशाली उपाय है। || श्री बृहस्पति चालीसा || (देवगुरु बृहस्पति को समर्पित) ॥ दोहा ॥ नमन करूँ गुरुवर चरण, बुद्धि, ज्ञान के धाम। दीन-दुखी की सुधि लो सदा, कर दो सबके काम॥ ॥ चौपाई ॥ जय बृहस्पति ज्ञान के दाता। सुर मुनिजन के हो सुखदाता॥ पीताम्बर तन तेज अपारा। रत्न जटित मुकुट सिर प्यारा॥ हाथ कमंडल, माला धारे। करुणा दृष्टि सब पर वारे॥ बुद्धि, विवेक, धर्...

Bageshwar-Chalisa-Shri Baba Bageshwar Chalisa/श्री बाबा बागेश्वर चालीसा

श्री बाबा बागेश्वर चालीसा - संकट, रोग, शत्रु बाधा से मुक्ति श्री बाबा बागेश्वर चालीसा... यह रहा श्री बाबा बागेश्वर चालीसा का एक श्रद्धापूर्वक रचित संस्करण, जो उनके चमत्कारों, श्रद्धा, भक्ति और न्यायप्रिय स्वरूप को समर्पित है। इस चालीसा का पाठ श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से मनोकामनाओं की पूर्ति , रोग , संकट , शत्रु बाधा और दरबार में न्याय प्राप्त करने हेतु अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसे मंगलवार व शनिवार को विशेष रूप से पढ़ना लाभकारी होता है। ॥ श्री बाबा बागेश्वर चालीसा ॥ (हनुमान जी के बागेश्वर धाम स्वरूप की महिमा) ॥ दोहा ॥ जय बागेश्वर धाम के, बाबा संकटमोचन। ध्यान तुम्हारा लेत ही, कटे सकल संताप।। ॥ चौपाई ॥ जय जय बाबा बागेश्वर धारी। संकट मोचन महा बलभारी॥ दीन-दुखी के तुम हितकारी। बोलो ‘जय श्रीराम’ पुकारो प्यारे॥ ध्यान लगाए जो मन लाया। सच्चे भाव से शीश नवाया॥ मनवांछित फल सब पाता। दुख-दरिद्र न उसके पास आता॥ धर्म रचाया तुमने प्यारे। वचन तुम्हारे सत्य हमारे॥ श्रीराम कार्य निरंतर करते। भूत...