वृंदावन की मधुर भक्ति — श्री बांकेबिहारी की आरती...
भजन — शब्द
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे ।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी ।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
श्री हरीदास के प्यारे तुम हो ।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं ।
संक्षेप में भावार्थ / महिमा:
यह भजन श्री बांकेबिहारी (श्याम/कृष्ण) की आरती का मधुर स्तुतिगान है। भजन में— श्रद्धा-भाव से यह आरती पढ़ना/गाना मन को शुद्ध करता और भक्ति-रस से भर देता है।
- प्रभु के साज-सज्जा (मुकुट, बंसी) का सुंदर वर्णन है।
- भक्त अपने प्रभु के चरणों की महिमा बताकर समर्पण व्यक्त करता है—उनके दर्शन की तीव्र कामना है।
- भजन में यह भी कहा गया है कि बांकेबिहारी दीनों के साथी हैं और जीवन के सुख-दुःख में साथ देते हैं।
इसे आप सुबह या मंदिर/घर की आरती में गा सकते हैं, भजन समारोह में शामिल कर सकते हैं, या अपने ब्लॉग/भक्ति पृष्ठ पर प्रकाशित कर सकते हैं।
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