श्री अर्गला स्तोत्रम्: रूप, जय, यश और सर्व बाधा निवारण का अचूक पाठ श्री अर्गला स्तोत्रम्: शक्ति और सौभाग्य का अचूक मार्ग... श्री अर्गला स्तोत्रम् श्री दुर्गा सप्तशती का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावी अंग है। "अर्गला" का शाब्दिक अर्थ बाधा या ताला होता है। इस स्तोत्र के पाठ का मूल उद्देश्य माँ भगवती से प्रार्थना करना है कि वह हमारे जीवन के मोक्ष, सुख और सफलता के मार्ग में लगे सभी तालों (बाधाओं) को खोल दें। यह स्तोत्र मात्र पूजा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में साधक को पूर्णता प्रदान करने वाला एक शक्तिशाली बीज मंत्र समूह है। ॥ अर्गला स्तोत्रम् ॥ ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीमन्नवार्णवे सप्तशतीपाठार्थे जपे विनियोगः॥ ॐ नमश्चण्डिकायै॥ ...
जीवने यत् प्राप्तम् तदर्थं कृतज्ञतां धारयतु, यत् न प्राप्तम् तदर्थं धैर्यं धारयतु।