महाकाल स्तोत्र — पूर्ण पाठ और फलश्रुति...
महाकाल स्तोत्र का पूरा पाठ और फलश्रुति। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से भक्ति और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह महाकाल भगवान की स्तुति में रचित शक्तिशाली स्तोत्र है, जो साधक के जीवन में शांति, सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लाता है। महाकाल स्तोत्र का पाठ करने से भय, बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा भगवान महाकाल की कृपा प्राप्त होती है।
॥ महाकाल स्तोत्र ॥
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥
महाकाल महादेव महाकाल महाप्रभो।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोऽस्तुते॥
महाकाल महाज्ञान महाकाल नमोऽस्तुते॥
महाकाल महाकाल महाकाल नमोऽस्तुते॥
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः॥
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नमः॥
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः॥
भीमाय च नमस्तुभ्यं ईशानाय नमो नमः॥
सद्योजात नमस्तुभ्यं शुक्लवर्णाय वै नमः॥
अधः कालाग्नि रुद्राय रुद्ररूपाय वै नमः॥
स्थित्युत्पत्तिलयानां च हेतुरूपाय वै नमः॥
परमेश्वररूपेण नीलं एवं नमोऽस्तुते॥
पवनाय नमस्तुभ्यं हुताशन नमोऽस्तुते॥
सोमरूप नमस्तुभ्यं सूर्यरूप नमोऽस्तुते॥
यजमान नमस्तुभ्यं आकाशाय नमो नमः॥
सर्वरूप नमस्तुभ्यं विश्वरूप नमोऽस्तुते॥
ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं विष्णुरूप नमोऽस्तुते॥
रुद्ररूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोऽस्तुते॥
स्थवराय नमस्तुभ्यं जङ्गमय नमः नमः।
नमः स्थावरजङ्गम्यां शुक्लाय शाश्वताय नमः।
हुँ हुँ डडकार निष्कलाय नमो नमः॥
अनाद्यन्त महाकाल निर्गुणाय नमो नमः॥
प्रसीद मे नमो नित्यं मेघवर्णाय नमो नमः॥
प्रसीद मे महेशानं दिवासाराय नमो नमः॥
ॐ ह्रौं ह्रीं मायास्वरूपाय सच्चिदानन्दते जसे॥
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय सोहं हंसय ते नमः॥
फलश्रुति
इत्येवं देव देवस्य भैरविः कीर्त्तितं पूजनं सम्यक् साधकानां सुखवहम्॥
महाकाल स्तोत्र पाठ विधि:
महाकाल स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और भक्ति भाव से करना चाहिए। इसे प्रातः या संध्या के समय साफ और शांत वातावरण में पढ़ना श्रेष्ठ होता है। पाठ के समय दीपक और धूप का उपयोग करना लाभकारी माना जाता है। साधक चतुर्थांश या पूरे स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट और मननपूर्वक करना चाहिए। नियमित पाठ से मानसिक शांति, एकाग्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास होता है।
फलश्रुति:
महाकाल स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भगवान महाकाल की कृपा प्राप्त होती है। इस स्तोत्र के पाठ से भय, रोग, बाधाएं और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं। साधक के जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके अलावा, भक्त के मन में श्रद्धा और भक्ति भाव में वृद्धि होती है।
स्तोत्र संग्रह | चालीसा संग्रह | आरती | इतिहास | कृषि | खेल | G K

Comments
Post a Comment