श्री दुर्गा कवचम् का सारांश एवं लाभ...
श्री दुर्गा कवचम् देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) का एक अत्यंत प्रभावशाली एवं पवित्र अंग है। यह कवच माँ दुर्गा की नौ स्वरूपों की स्तुति और साधक की सम्पूर्ण देह की रक्षा के लिए रचा गया है। इसमें देवी के विभिन्न रूपों द्वारा शरीर के अंगों की सुरक्षा की प्रार्थना की गई है — सिर से लेकर पाद तक। यह कवच साधक को भय, रोग, शत्रु, जादू-टोना, ग्रह-बाधा और सभी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखता है।
॥ श्री दुर्गा कवचम् ॥
॥ पूर्व-पीठिका ॥
शृणु देवि! प्रवक्ष्यामि, कवचं सर्व सिद्धिदम् ।
पठित्वा धारयित्वा च नरो मुच्यते सङ्कटात् ॥ १ ॥
भावार्थ: हे देवि! सब सिद्धियों के देनेवाले ‘कवच’ को कहूँगा, सुनो। इसको पढ़कर एवं धारण कर मनुष्य संकट से छूट जाता है।
अज्ञात्वा कवचं देवि!, दुर्गा-मन्त्रं च यो जपेत् ।
स नाप्नोति फलं तस्य, परे च नरकं व्रजेत् ॥ २ ॥
भावार्थ: हे देवि! इस ‘कवच’ को जाने बिना जो दुर्गा मन्त्र का जप करता है, वह उस जप का फल नहीं पाता और अन्त में नरक में वास करता है।
इदं गुह्यतमं देवि!, कवचं तव कथ्यते ।
गोपनीयं प्रयत्नेन, सावधानावधारय ॥ ३ ॥
भावार्थ: हे देवि! यह अत्यन्त गुप्त ‘कवच’ तुमसे कहता हूँ। इसे यत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए। ध्यान देकर सुनो।
॥ मूल पाठ ॥
उमा देवी शिरः पातु, ललाटं शूल-धारिणी ।
चक्षुषी खेचरी पातु, कर्णौ चत्वरवासिनी ॥ १ ॥
भावार्थ: ‘उमा’ देवी शिर की, ‘शूल-धारिणी’ ललाट की रक्षा करें। ‘खेचरी’ दोनों आँखों की, ‘चत्वर-वासिनी’ दोनों कानों की रक्षा करें।
सुगन्धा नासिकां पातु, वदनं सर्व-साधिनी ।
जिह्वां च चण्डिका पातु, ग्रीवां सौभद्रिका तथा ॥ २ ॥
भावार्थ: ‘सुगन्धा’ नासिका की, ‘सर्व-साधिनी’ मुख की रक्षा करें। ‘चण्डिका’ जिह्वा की और ‘सौभद्रिका’ ग्रीवा की रक्षा करें।
अशोकवासिनी चेतो, द्वौ बाहू वज्रधारिणी ।
कण्ठं पातु महा-वाणी, जगन्माता स्तन-द्वयम् ॥ ३ ॥
भावार्थ: ‘अशोकवासिनी’ बुद्धि की, ‘वज्रधारिणी’ दोनों भुजाओं की रक्षा करें। ‘महा-वाणी’ कण्ठ की और ‘जगन्माता’ दोनों स्तनों की रक्षा करें।
हृदयं ललिता देवी, उदरं सिंहवाहिनी ।
कटिं भगवती देवी, द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ॥ ४ ॥
भावार्थ: ‘ललिता’ देवी हृदय की, ‘सिंहवाहिनी’ उदर की रक्षा करें। ‘भगवती’ देवी कटि (कमर) की और ‘विन्ध्यवासिनी’ दोनों उरुओं की रक्षा करें।
महा-बला च जङ्घे द्वे, पादौ भू-तल-वासिनी ।
एवं स्थिताऽसि देवि! त्वं, त्रैलोक्य-रक्षणात्मिके ।
रक्ष मां सर्वगात्रेषु, दुर्गे देवि! नमोऽस्तु ते ॥ ५ ॥
भावार्थ: ‘महा-बला’ दोनों जाँघों की और ‘भू-तल-वासिनी’ दोनों पैरों की रक्षा करें। तीनों लोकों की रक्षिका स्वरूपिणी हे देवि! सब अंगों में मेरी रक्षा करो। हे दुर्गे! तुम्हें नमस्कार है।
॥ फलश्रुति ॥
इत्येतत् कवचं देवि!, महा-विद्या-फल-प्रदम् ।
यः पठेत् प्रातरुत्थाय, सर्व-तीर्थ-फलं लभेत् ॥ १ ॥
भावार्थ: हे देवि! परम ज्ञान के फल को देनेवाला यह ‘कवच’ है। जो प्रातः काल उठकर इसे पढ़ता है, वह सब तीर्थों का फल प्राप्त करता है।
यो न्यसेत् कवचं देहे, तस्य विघ्नं न कुत्रचित् ।
भूत-प्रेत-पिशाचेभ्यो, भयस्तस्य न विद्यते ॥ २ ॥
भावार्थ: जो इस ‘कवच’ का अपने शरीर में न्यास करता है, उसे कहीं विघ्न नहीं होता। भूत-प्रेत-पिशाचों से उसे भय नहीं रहता।
रणे राजकुले वापि, सर्वत्र विजयी भवेत् ।
सर्वत्र पूजामाप्नोति, देवी-पुत्र इव क्षितौ ॥ ३ ॥
भावार्थ: युद्ध या राज-दरबार में वह सदा विजयी होता है और सभी स्थानों पर पूजनीय बनता है, जैसे देवी का पुत्र।
॥ कुब्जिका तन्त्रे श्री दुर्गा कवचम् ॥
श्री दुर्गा कवच के लाभ:
- संकट निवारण : दुर्गा कवच का नित्य पाठ करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
- रोग और भय से रक्षा : देवी के कवच से साधक को अदृश्य भय, रोग और मानसिक क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
- शत्रु-विजय : जो व्यक्ति दुर्गा कवच धारण या पाठ करता है, वह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
- आध्यात्मिक शक्ति : यह कवच आत्मविश्वास, धैर्य और दिव्य शक्ति का संचार करता है।
- भूत-प्रेत बाधा निवारण : देवी का यह कवच नकारात्मक ऊर्जाओं और अदृश्य शक्तियों से रक्षा करता है।
- राजकीय एवं सामाजिक सफलता : इसका पाठ करने से राजकुल, कार्यक्षेत्र और समाज में सम्मान मिलता है।
- सर्व-सिद्धि प्राप्ति : यह कवच साधक को देवी की कृपा से सभी प्रकार की सिद्धि और समृद्धि देता है।
पाठ-विधि :
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। शक्ति पीठ, दुर्गा मंदिर या घर के पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाकर देवी का स्मरण करें। “ॐ दुं दुर्गायै नमः” बीज मंत्र का जप करें और तत्पश्चात श्री दुर्गा कवचम् का पाठ करें। अमावस्या, नवरात्रि या शुक्रवार के दिन पाठ विशेष फलदायी होता है।
निष्कर्ष :
श्री दुर्गा कवचम् मात्र एक स्तोत्र नहीं बल्कि देवी दुर्गा की दिव्य सुरक्षा कवच है। जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करता है, वह देवी माँ की कृपा से हर संकट, भय और दोष से मुक्त होकर जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

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