श्री रविदास चालीसा श्री रविदास चालीसा... श्री रविदास चालीसा (Shri Ravidas Chalisa) संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी की महिमा का वर्णन करने वाला एक चालीस चौपाइयों का स्तोत्र है। रविदास चालीसा का पाठ करने से मन को शांति, आत्मा को शुद्धि और जीवन को दिव्यता प्राप्त होती है। यह चालीसा न केवल संत रविदास जी की महिमा का गान करती है, बल्कि उनके द्वारा दिए गए सामाजिक, आध्यात्मिक और नैतिक उपदेशों को भी उजागर करती है। || श्री रविदास चालीसा || ॥ दोहा ॥ बन्दौं वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान। पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान॥ मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास। ताते आयों शरण में, पुरवहु जन की आस॥ ॥ चौपाई ॥ जै होवै रविदास तुम्हारी, कृपा करहु हरिजन हितकारी। राहू भक्त तुम्हारे ताता, कर्मा नाम तुम्हारी माता। काशी ढिंग माडुर स्थाना, वर्ण अछूत करत गुजराना। द्वादश वर्ष उम्र जब आई, तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई। रामानन्द के शिष्य कहाये, पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये। शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों, ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों। गंग मातु के भक्त अपारा, कौड़ी ...
जीवने यत् प्राप्तम् तदर्थं कृतज्ञतां धारयतु, यत् न प्राप्तम् तदर्थं धैर्यं धारयतु।