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Yamraj-Chalisa-labh-vidhi | श्री यमराज चालीसा पाठ विधि

श्री यमराज चालीसा — परिचय, पाठ, विधि और लाभ

श्री यमराज चालीसा...

श्री यमराज, जिन्हें धर्माधीश और मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है, हमारे कर्मों और धर्म के रक्षक हैं। वे जीवन और मृत्यु के चक्र को नियंत्रित करते हैं तथा धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने वाले भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। यमराज की भक्ति से व्यक्ति को जीवन में सत्य, धर्म, और कर्म की शक्ति का अनुभव होता है।

भक्ति स्तुति का महत्व:

यमराज को समर्पित स्तुति का पाठ करने से मनुष्य के पाप और गलत कर्मों का नाश होता है। यह स्तुति जीवन में उचित निर्णय लेने, कर्तव्यनिष्ठा और आत्मशुद्धि में सहायता करती है। साथ ही, यह मृत्यु के भय को शांत कर आत्मा की शांति प्रदान करती है।

॥ श्री यमराज चालीसा ॥

यमराज धर्माधीश — श्री यमराज को समर्पित भक्ति स्तुति

॥दोहा॥

जय यम धरनीधर महाबल, जय धर्मराज महान ।
भक्तों के रखवाले तुम हो, करहु कृपा भगवान ॥

॥चौपाई॥

जय यमराज धर्म अधीशा, जगत पालक पुण्य प्रतीक्षा ।
कालरूप धरि भय हरणा, पापी जनन का करहु तरणा ॥

महिषवाहन गदा तुम्हारी, करहु दंड जगत दुःख भारी ।
न्याय करो सब जीव समान, देखहु सबके कर्म प्रधान ॥

चित्रगुप्त लेखा बनावें, कर्मानुसार दंड दिलावें ।
पापी नरक भुगतने पावे, पुण्यी वैकुंठ सुखी बनावे ॥

भक्त तुम्हारे शरण में आवें, संकट सब हरि सुख पावें ।
जो श्रद्धा से नाम तुम्हारा, जपे सदा वह हो संसारा ॥

कालचक्र से जग चलता है, कोई न मृत्यु टल पाता है ।
जो सत्य, धर्म का पालन कर, भवसागर से तर जाता है ॥

धर्मपुत्र तुम धर्म निभावो, न्याय धर्म का राज सजावो ।
अकाल मृत्यु दूर करि देवो, भक्ति-भाव को सफल बनावो ॥

जो जन यम चालीसा गावे, भक्ति सहित मन ध्यान लगावे ।
उसका संकट मिटे भारी, पावे आयु सुख संसारी ॥

॥दोहा॥

यमराज चालीसा भजे, श्रद्धा सहित जो कोई ।
अकाल मृत्यु दूर हो, सुख संपत्ति पावे सोई ॥

|| इति संपूर्णंम् ||

श्री यमराज चालीसा पाठ विधि:

1. समय और स्थान

  • पाठ के लिए प्रातःकाल या संध्या का समय उत्तम है।
  • शांत, स्वच्छ और व्यवस्थित स्थान चुनें।
  • यदि संभव हो तो यमराज या मृत्यु के प्रतीक (दीपक, कालचक्र या गदा) की स्थापना करें।

2. पूर्व तैयारी

  • स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
  • सफेद या हल्के रंग के वस्त्र सर्वोत्तम माने जाते हैं।
  • अग्नि या दीपक लगाकर वातावरण को पवित्र करें।

3. सामग्री

  • एक दीपक और अगरबत्ती
  • सिंदूर, फूल और अक्षत (चावल)
  • संतुलित मन और श्रद्धा

4. मंत्र और प्रार्थना

पाठ से पहले यमराज के लिए संक्षिप्त मंत्र उच्चारित करें:

ॐ यमदेवाय नमः

यह मंत्र ध्यान लगाने और भक्ति भाव बनाने में मदद करता है।

5. पाठ विधि

  1. सबसे पहले दोहा पढ़ें: "जय यम धरनीधर महाबल, जय धर्मराज महान..."
  2. फिर चौपाई क्रम से पढ़ें।
  3. प्रत्येक चौपाई के बाद यमराज का ध्यान करें और उनकी भक्ति भाव से स्मरण करें।
  4. पाठ करते समय मन पूरी तरह भक्ति और श्रद्धा में लीन हो।
  5. पाठ कम से कम 11 या 21 बार करने की परंपरा है। यदि संभव हो तो 40 या 108 बार भी किया जा सकता है।

6. पाठ के बाद

  • पाठ समाप्ति पर दीपक यमराज की ओर समर्पित करें।
  • फूल और अक्षत अर्पित करें।
  • मानसिक रूप से यमराज से सुरक्षा, मृत्यु भय निवारण और धर्म पालन की कृपा की प्रार्थना करें।
  • भोजन या अन्य किसी सामग्री का दान करना शुभ माना जाता है।

संक्षिप्त भक्ति स्तुति:

ॐ यमाय नमः।
धर्माधीशाय विद्महे मृत्युलोकनाथाय धीमहि।
तन्नो यमः प्रचोदयात्।
    

लाभ:

  • जीवन में धर्म और न्याय की समझ बढ़ती है।
  • पाप और गलत कर्मों से मुक्ति मिलती है।
  • मृत्यु के भय से मुक्ति और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
  • पितृ प्रसन्नता और कुल की सुरक्षा होती है।

निष्कर्ष:

श्री यमराज की भक्ति मन, कर्म और आत्मा को संतुलित करती है। उनके चरणों में श्रद्धा और भक्ति रखकर हम जीवन में धर्म और न्याय का पालन कर सकते हैं तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।

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