श्री दत्तात्रेय चालीसा...
दत्तात्रेय चालीसा — त्रिमूर्ति स्वरूप दत्तगुरु को समर्पित पवित्र पाठ, जो भक्ति, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति हेतु विधिपूर्वक पढ़ा जाता है।
परिचय
श्री दत्तात्रेय चालीसा भगवान दत्तात्रेय (ब्रह्मा, विष्णु, महेश का एकात्म रूप) की स्तुति का दीपक है। यह पाठ श्रद्धा और नियमित अभ्यास से आंतरिक शांति, आत्मिक शक्ति और जीवन की अनेक समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
॥ श्री दत्तात्रेय चालीसा पाठ ॥
ज्ञान, भक्ति, वैराग्य और मोक्ष के प्रदाता — त्रिदेव स्वरूप श्री दत्तगुरु को समर्पित दिव्य चालीसा
|| श्रीगणेशाय नमः ||
श्रीदत्तगुरु के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।
रक्षा करो हे दत्त प्रभु, रख लो अपनी शरण॥
॥ श्री दत्तगुरु स्तुति ॥
जयति जयति दत्तात्रेय, स्वामी दिगम्बर जय।
आदि ब्रह्मा, मध्यम विष्णु, देवा महेश्वर जय॥
जयति जयति त्रिमूर्ति रूप, भव बाधा हरते जय।
सहज प्राप्ति हर हर जय, शुभ फल सुख देते जय॥
जयति जयति अनसूया नन्दन, परम गम्भीर प्रभु जय।
हर कृपा कर सरसिज पद, भक्तों को सुख देते जय॥
श्रीगणेश, श्रीशारदा, लक्ष्मी सहित शिव जय।
सतगुरु चरण कमल सेवा, भव निधि से त्राण कर जय॥
सिर झुकाये, हाथ जोड़े, करें भक्ति प्राण जय।
त्रिभुवन में प्रकट प्रभु दत्त, ब्रह्मानन्द स्वरूप जय॥
॥ दत्त कृपा विनती ॥
गुरु गम्भीर कृपा सागर, कर जोड़ों चरणारविन्द।
शरणागत रक्षण कर्ता, राखो हमारी लाज प्रभु॥
श्रीदत्तात्रेय कृपाकर, सदा सहाय रहो प्रभु।
भक्तिवान दुःख से त्राण, सदा सबन का करो कल्याण॥
कर भरोसा मन में आस, स्वामी सुखदाता जय।
मति हमारी शुद्ध कर प्रभु, दोष-दुष्कृत मिटा प्रभु॥
ध्यान लगायें चित्त मनायें, श्रीदत्त कृपा से प्रभु।
भक्त गण करें सुमिरन, सदा सहाय हो प्रभु॥
॥ दत्त ज्ञान स्तोत्र ॥
जयति जयति दत्तगुरु, ब्रह्मानन्द दाता जय।
अघनाशक त्रिविक्रम देव, ज्ञान भक्ति दो प्रभु॥
सुमिरन से भव बन्धन से, सदा मुक्त रहें प्रभु।
त्रिविध ताप मिट जायें प्रभु, अन्तःकरण सुधीर हो प्रभु॥
॥ मोक्ष प्राप्ति वंदना ॥
श्रीदत्त शरणं मोक्ष सुलभ, भव सागर से त्राण हो।
भव भय हारक सतगुरु, कष्ट निवारक हो प्रभु॥
शरणागत मोक्ष प्रदायक, सुलभ सरल करते प्रभु।
करुणामय सन्तत हर्षायें, भव से मुक्ति हो प्रभु॥
॥ श्री दत्त शरणं ॥
श्रीदत्तात्रेय शरणं, भव बाधा हरण प्रभु।
श्रीदत्तात्रेय शरणं, पाप-ताप त्रय हरण प्रभु॥
श्रीदत्तात्रेय शरणं, मन में आस लगायें प्रभु।
भक्तजन करें स्मरण, सदा सहाय हो प्रभु॥
॥ समापन वंदना ॥
जयति जयति दत्तगुरु, सर्व रोग हरते प्रभु।
जयति जयति दत्तगुरु, पाप-ताप निवारक प्रभु॥
जयति जयति दत्तगुरु, करुणा कृपा निधान प्रभु।
जयति जयति दत्तगुरु, जगत तारन प्रभु॥
॥ नमो दत्तात्रेय ॥
सर्व सिद्धि प्रदायक, गुरु दत्त की जय!
दत्तात्रेय चालीसा की विधि एवं पाठ नियम
दत्तात्रेय चालीसा भगवान दत्तात्रेय की आराधना के लिए की जाने वाली एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है। भगवान दत्तात्रेय, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश — तीनों के संयुक्त अवतार माने जाते हैं, उनके प्रति भक्ति से जीवन में शांति, ज्ञान, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस चालीसा का नियमित 41 दिन पाठ करने से व्यक्ति को आत्मिक बल, मानसिक शांति और जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
दत्तात्रेय चालीसा पाठ की विधि:
- स्थान चयन: शांत और पवित्र स्थान चुनें जहाँ मन एकाग्र हो सके।
- स्वच्छता: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पवित्र मन से पूजा आरंभ करें।
- दत्तात्रेय प्रतिमा: भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएं।
- नैवेद्य: फल, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें।
- मंत्र जप: “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः” मंत्र का जप करें और तत्पश्चात चालीसा का पाठ करें।
शुभ दिन और मुहूर्त:
- शुभ दिन: गुरुवार को चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है।
- समय: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्याकाल श्रेष्ठ माना जाता है।
- अवधि: प्रतिदिन अथवा 41 दिनों तक नियमित रूप से पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
पाठ के नियम:
- संकल्प: मन में निष्ठा और श्रद्धा के साथ पाठ करने का संकल्प लें।
- शुद्धता: मन, वाणी और शरीर की पवित्रता बनाए रखें।
- नियमितता: संकल्पित दिनों तक पाठ अवश्य करें।
- ध्यान: भगवान दत्तात्रेय के स्वरूप का ध्यान करते हुए चालीसा पढ़ें।
- सात्विकता: सात्विक आहार लें और मांसाहार या तामसिक भोजन से बचें।
- प्रसाद: पाठ के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
सावधानियाँ:
- पाठ के दौरान बीच में विराम न लें।
- अपवित्र या शोरगुल वाले स्थान पर पाठ न करें।
- थकान या आलस्य के समय पाठ न करें।
- अशुद्ध वस्त्रों में या अस्वच्छ मन से पाठ न करें।
- ध्यान विचलित न होने दें — मन को भगवान पर केंद्रित रखें।
दत्तात्रेय चालीसा से संबंधित प्रश्न:
प्रश्न: दत्तात्रेय चालीसा क्या है?
उत्तर: यह भगवान दत्तात्रेय की स्तुति में रचित 40 चौपाइयों का एक पवित्र ग्रंथ है।
प्रश्न: पाठ कब और कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: गुरुवार को ब्रह्ममुहूर्त में पाठ श्रेष्ठ है; 40 या 41 दिनों तक निरंतर करने से विशेष लाभ होता है।
प्रश्न: क्या महिलाएं चालीसा का पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, महिलाएं भी श्रद्धापूर्वक पाठ कर सकती हैं; केवल मासिक धर्म के समय पाठ से बचें।
प्रश्न: क्या चालीसा का पाठ सभी कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, कोई भी व्यक्ति — चाहे वह किसी भी जाति, लिंग या उम्र का हो — यह पाठ कर सकता है।
प्रश्न: पाठ से क्या लाभ होता है?
उत्तर: इससे मानसिक शांति, आत्मबल, ज्ञान और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नमो दत्तात्रेय
| संबंधित पृष्ठ: |

Comments
Post a Comment