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List of major industrial areas of the world in Hindi - GK

विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र की सूची

विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र की सूची...

विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र के बारे में: आज हम उन खास नगरों की बात करेंगे जो अपने उद्योग धंधों के लिए दुनिया में अपना खास स्थान रखते हैं। विभिन्न परीक्षाओं में उम्मीदवारों को विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र के बारे में ध्यान से पढ़ना चाहिए क्योंकि सामान्य जागरूकता इनमें से अधिकांश परीक्षाओं के पाठ्यक्रम का एक हिस्सा है।
विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण विषय से प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र
उद्योग-धंधेऔद्योगिक नगर
इंजीनियरिंग उद्योगकीव
मांस उद्योगकंशास
फिल्म उद्योगहॉलीवुड
जहाज निर्माणग्लास्गो
ऑटोमोबाइल निर्माणडेट्राइट
लोहा एवं इस्पात निर्माणचेलियाबिंस्क
सूती वस्त्र उद्योगओसाका
लेंस निर्माण उद्योगम्युनिख जर्मनी
मिट्टी के बर्तन निर्माणमुल्तान
जहाज निर्माणब्लादिवोस्टक
लोहा एवं इस्पात निर्माण पिट्सबर्ग
लोकोमोटिव निर्माणफिलाडेल्फिया
जहाज निर्माणनागोया
सूती वस्त्र निर्माणनागोया
कालीन उद्योग ढाका
डेयरी उद्योगवेलिंगटन
कांच उद्योगवेनिस
कैंची/ छुरी निर्माण उद्योगशेफील्ड (ब्रिटेन)
जहाज निर्माणप्ले माउथ
सिल्क वस्त्र उद्योगमिलान
सिल्क उद्योगलियोन (फ्रांस)
लोहा इस्पात उद्योगकोबे
जहाज निर्माण उद्योगबेलफास्ट
लोहा एवं इस्पात उद्योगऎसेन (जर्मनी)
पेट्रोलियम उद्योगलॉस एंजिल्स
फिल्म उद्योगलॉस एंजिल्स
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श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

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भगवान शिव की आरती | BHAKTI GYAN भगवान शिव की आरती... ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: भगवान शिव की पूजा के समय मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव की आरती से हम भगवान भोलेनाथ के चरणों में अपने स्तुति रूपी श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका कृपा प्रसाद पा सकते हैं। ॥ झांकी ॥ झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ। नैनो के पात्र में सुधा, भर भर के मैं पिया करूँ॥ वाराणसी का वास हो, और न कोई पास हो। गिरजापति के नाम का, सुमिरण भजन किया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जयति जय महेश हे, जयति जय नन्द केश हे। जयति जय उमेश हे, प्रेम से मै जपा करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... अम्बा कही श्रमित न हो, सेवा का भार मुझको दो। जी भर के तुम पिया करो, घोट के मैं दिया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जी मै तुम्हारी है लगन, खीचते है उधर व्यसन। हरदम चलायमान हे मन, इसका उपाय क्या करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... भिक्षा में नाथ दीजिए, सेवा में मै रहा करूँ। बेकल हु नाथ रात दिन चैन

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Lingashtakam\Shiv\lingashtakam stotram-लिङ्गाष्टकम्

श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग

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