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Geographical surnames of major cities of India - in hindi

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भारत के प्रमुख शहरों के भौगोलिक उपनाम...

भारत के प्रमुख शहरों भौगोलिक उपनाम: शहरों भौगोलिक उपनाम से सम्बंधित प्रश्न अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते है। प्रमुख शहरों के भौगोलिक उपनाम, भारत के प्रमुख नगरों के उपनाम, स्मारकों की नगरी, साल्ट सिटी किसे कहा जाता हैं, भारत के बगीचा किसे कहा जाता हैं, जैसे महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जा सकते हैं। सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा के उम्मीदवारों से इस विषय संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
भारत के प्रमुख शहर एव उपनाम
शहरउपनाम
भारत का निवास स्थानप्रयाग
रैलियों का नगरनई दिल्ली
सात टापुओं का नगरमुंबई
सूती वस्त्रों की राजधानीमुंबई
भारत का हॉलीवुडमुंबई
भारत का प्रवेश द्वारमुंबई
पांच नदियों की भूमिपंजाब
इलेक्ट्रॉनिक नगरबेंगलुरू
अंतरिक्ष का शहरबेंगलुरू
भारत का उद्यानबेंगलुरू
महलों का शहरकोलकाता
डायमंड हार्बरकोलकाता
स्वर्ण मंदिर का शहरअमृतसर
गोल्डन सिटीअमृतसर
नवाबों का शहरलखनऊ
बुनकरों का शहरपानीपत
त्योहारों का नगरमदुरै
इस्पात नगरीजमशेदपुर
भारत का पिट्सबर्गजमशेदपुर
पर्वतों की रानीमसूरी
भारत का स्विट्जरलैंडकश्मीर
उत्तर भारत का मैनचेस्टरकानपुर
भारत का मैनचेस्टरअहमदाबाद
भारत का बोस्टनअहमदाबाद
मसालों का बगीचाकेरल
गुलाबी नगरजयपुर
भारत का पेरिसजयपुर
पूर्व का पेरिसजयपुर
पूर्व का वेनिसकोच्चि
अरब सागर की रानीकोच्चि
पूर्व का स्कॉटलैंडमेघालय
क्वीन ऑफ डेकनपुणे
झीलों का नगरश्रीनगर
फाउंटेन और माउंटेन शहरउदयपुर⁠⁠⁠⁠
फलोद्यानों का स्वर्गसिक्किम
पहाड़ी की मल्लिकानेतरहाट
भारत का डेट्राइटपीथमपुर
सॉल्ट सिटीगुजरात
सोया प्रदेशमध्य प्रदेश
मलय का देशकर्नाटक
दक्षिण भारत की गंगाकावेरी
काली नदीशारदा
ब्लू माउंटेननीलगिरी पहाड़ियां
एशिया के अंडों की टोकरीआंध्र प्रदेश
राजस्थान का हृदयअजमेर
सुरमा नगरीबरेली
खुशबुओं का शहरकन्नौज
काशी की बहनगाजीपुर
लीची नगरदेहरादून
राजस्थान का शिमलामाउंट आबू
कर्नाटक का रत्नमैसूर
मंदिरों और घाटों का नगरवाराणसी
धान का डलियाछत्तीसगढ़
मेघों का घरमेघालय
बगीचों का शहरकपूरथला
पृथ्वी का स्वर्गश्रीनगर
पहाड़ों की नगरीडुंगरपुर
पवित्र नदीगंगा
बिहार का शोककोसी
वृद्ध गंगागोदावरी
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श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

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भगवान शिव की आरती | BHAKTI GYAN भगवान शिव की आरती... ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: भगवान शिव की पूजा के समय मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव की आरती से हम भगवान भोलेनाथ के चरणों में अपने स्तुति रूपी श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका कृपा प्रसाद पा सकते हैं। ॥ झांकी ॥ झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ। नैनो के पात्र में सुधा, भर भर के मैं पिया करूँ॥ वाराणसी का वास हो, और न कोई पास हो। गिरजापति के नाम का, सुमिरण भजन किया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जयति जय महेश हे, जयति जय नन्द केश हे। जयति जय उमेश हे, प्रेम से मै जपा करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... अम्बा कही श्रमित न हो, सेवा का भार मुझको दो। जी भर के तुम पिया करो, घोट के मैं दिया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जी मै तुम्हारी है लगन, खीचते है उधर व्यसन। हरदम चलायमान हे मन, इसका उपाय क्या करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... भिक्षा में नाथ दीजिए, सेवा में मै रहा करूँ। बेकल हु नाथ रात दिन चैन

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श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! भगवान शिव शंकर जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि भक्त श्रद्धा पूर्वक एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। 'श्री शिव रुद्राष्टकम' अपने आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था। ॥ श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र ॥ नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भज

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श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग

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