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Rivers/Major cities of India situated on the banks of Rivers in hindi

नदियों के किनारे बसे भारत के प्रमुख शहर

नदियों के किनारे बसे भारत के प्रमुख शहर...

भारतीय नदियां और उनके किनारे बसे शहर: भारत में बहुत नदियां है और इसके किनारे पर अनेक शहर और जिले बसे है। नदियों के किनारे बसे भारत के प्रमुख शहर से सम्बंधित प्रश्न अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है।
अगर आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: IAS , Teacher , UPSC , PCS , SSC , Bank , MBA एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको नदियों के किनारे बसे भारत के प्रमुख शहर के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए। यहां नदियों के किनारे बसे भारत के प्रमुख शहर की सूची दी गई हैं।
नदियों के किनारे बसे शहर
शहरनदीराज्य
श्रीनगरझेलमजम्मू और कश्मीर
बद्रीनाथगंगाउत्तराखंड
हरिद्वारगंगाउत्तराखंड
(प्रयागराज) इलाहाबादगंगाउत्तर प्रदेश
वाराणसीगंगाउत्तर प्रदेश
कानपुरगंगाउत्तर प्रदेश
कन्नौजगंगाउत्तर प्रदेश
चकेरीगंगाउत्तर प्रदेश
फतेहगढ़गंगाउत्तर प्रदेश
फर्रुखाबादगंगाउत्तर प्रदेश
शुक्लागंजगंगाउत्तर प्रदेश
मथुरायमुनाउत्तर प्रदेश
आगरायमुनाउत्तर प्रदेश
इटावायमुनाउत्तर प्रदेश
औरैयायमुनाउत्तर प्रदेश
गोरखपुरराप्तीउत्तर प्रदेश
अयोध्या सरयूउत्तर प्रदेश
लखनऊगोमतीउत्तर प्रदेश
जौनपुरगोमतीउत्तर प्रदेश
नई दिल्लीयमुनादिल्ली
पटनागंगाबिहार
हाजीपुरगंगाबिहार
नांदेड़गोदावरीमहाराष्ट्र
नासिकगोदावरीमहाराष्ट्र
कराडकृष्णामहाराष्ट्र
सांगलीकृष्णामहाराष्ट्र
कर्जतउल्हासमहाराष्ट्र
पुणेमुथामहाराष्ट्र
महाडसावित्रीमहाराष्ट्र
मालेगांवगिर्ना नदीमहाराष्ट्र
ग्वालियरचंबलमध्य प्रदेश
जबलपुरनर्मदामध्य प्रदेश
डिब्रूगढ़ब्रह्मपुत्रअसम
गुवाहाटीब्रह्मपुत्रअसम
इरोडकावेरीतमिलनाडु
तिरुचिरापल्लीकावेरीतमिलनाडु
चेन्नईअड्यारतमिलनाडु
तिरुनेलवेलीथमीरबारानीतमिलनाडु
कोयंबटूरनोय्यालतमिलनाडु
मदुरैवैगईतमिलनाडु
निजामाबादगोदावरीआंध्र प्रदेश
नेल्लोरपेन्नारआंध्र प्रदेश
राजमुंदरीगोदावरीआंध्र-प्रदेश
विजयवाडाकृष्णाआंध्र प्रदेश
बंगलौरवृषभावतीकर्नाटक
बागलकोटघटप्रभाकर्नाटक
भद्रावतीभद्राकर्नाटक
होन्नावरश्रावतीकर्नाटक
होसपेटतुंगभद्राकर्नाटक
शिमोगातुंगा नदीकर्नाटक
मंगलौरनेत्रवतीकर्नाटक
कारवारकालीकर्नाटक
अहमदाबादसाबरमतीगुजरात
भरूचनर्मदागुजरात
वडोदराविश्वमित्रीगुजरात
सूरतताप्तीगुजरात
राउरकेलाब्राह्मणीओडिशा
कटकमहानदीओडिशा
संबलपुरमहानदीओडिशा
फिरोजपुरसतलजपंजाब
कोटाचंबलराजस्थान
कोलकाताहुगलीपश्चिम बंगाल
दमनदमन गंगा नदीदमन
हैदराबादमूसीतेलंगाना
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  8. विश्व के प्रमुख भौगोलिक उपनाम की सूची
  9. विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र की सूचि
  10. प्रमुख व्यक्तियों के लोकप्रिय उपनाम की सूचि
  11. भारत के प्रमुख शहरों के भौगोलिक उपनाम
  12. भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान (National Parks) की सूची
  13. भारत की नदियाँ और उनकी सहायक नदियाँ
  14. भारत की प्राचीन नदियों के नाम
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श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

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भगवान शिव की आरती | BHAKTI GYAN भगवान शिव की आरती... ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: भगवान शिव की पूजा के समय मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव की आरती से हम भगवान भोलेनाथ के चरणों में अपने स्तुति रूपी श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका कृपा प्रसाद पा सकते हैं। ॥ झांकी ॥ झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ। नैनो के पात्र में सुधा, भर भर के मैं पिया करूँ॥ वाराणसी का वास हो, और न कोई पास हो। गिरजापति के नाम का, सुमिरण भजन किया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जयति जय महेश हे, जयति जय नन्द केश हे। जयति जय उमेश हे, प्रेम से मै जपा करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... अम्बा कही श्रमित न हो, सेवा का भार मुझको दो। जी भर के तुम पिया करो, घोट के मैं दिया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जी मै तुम्हारी है लगन, खीचते है उधर व्यसन। हरदम चलायमान हे मन, इसका उपाय क्या करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... भिक्षा में नाथ दीजिए, सेवा में मै रहा करूँ। बेकल हु नाथ रात दिन चैन

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श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! भगवान शिव शंकर जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि भक्त श्रद्धा पूर्वक एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। 'श्री शिव रुद्राष्टकम' अपने आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था। ॥ श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र ॥ नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भज

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श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग

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