श्री खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहा जाता है। खाटू श्याम जी को सबसे बड़ा दाता कहा गया है क्योंकि उन्होंने अपने शीश का दान दिया था। महाभारत कथा के अनुसार जब कौरव और पांडव में युद्ध हो रहा था, तब श्री कृष्ण जी ने ब्राह्मण का रूप लेकर खाटूश्यामजी से अपने शीश का दान मांगा था। ऐसा माना जाता है, खाटूश्याम जी जिनका नाम बर्बरीक था, बहुत ही वीर योद्धा थे, उनको दुर्गा माता से विजय होने का वरदान प्राप्त था। बर्बरीक हमेशा हारने वाले का साथ देंगे, जब श्री कृष्ण जी को पता चली तब उन्होंने उनसे ब्राह्मण का रूप लेकर उनके शीश का दान मांग लिया। बर्बरीक अपनी बात पर अडिग रहें और उन्होंने अपने शीश का दान श्री कृष्ण जी को कर दिया। इससे प्रसन्न होकर श्री कृष्ण जी ने उन्हें वरदान दिया कि वह कलयुग में उनके श्याम नाम से प्रसिद्ध होंगे।
कलयुग में जो भी इनका नाम लेगा उसके सभी संकट दूर हो जाएंगे। इनको हारे का सहारा, शीश का दानी, खाटू श्याम जी आदि नाम से जाना जाता है। इनका शीश सीकर जिले के खाटू नामक कस्बे में दफनाया गया था, इसीलिए इनको खाटूश्यामजी कहा जाता है। फाल्गुन माह में खाटू श्याम जी का बहुत बड़ा मेला लगता है। जो व्यक्ति श्याम जी की पूजा करता हैं बाबा श्याम उसके सभी कष्ट दूर करते हैं। श्री खाटू श्याम जी की आरती करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
।। श्री खाटू श्याम जी की आरती ।।
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ओम जय श्री श्याम हरे...॥
रतन जड़ित सिंहासन,
सिर पर चंवर ढुरै,
तन केसरिया बागो,
कुण्डल श्रवण पड़े ॥
ओम जय श्री श्याम हरे...॥
गल पुष्पों की माला,
सिर पार मुकुट धरै,
खेवत धूप अग्नि पर,
दीपक ज्योति जले ॥
ओम जय श्री श्याम हरे...॥
मोदक खीर चूरमा,
सुवरण थाल भरै,
सेवक भोग लगावत,
सेवा नित्य करै,
ओम जय श्री श्याम हरे...॥
झांझ कटोरा और घडियावल,
शंख मृदंग घुरै,
भक्त आरती गावे,
जय-जयकार करै,
ओम जय श्री श्याम हरे...॥
जो ध्यावे फल पावै,
सब दुःख से उबरै,
सेवक जन निज मुख से,
श्री श्याम श्याम उचरै,
ओम जय श्री श्याम हरे...॥
श्री श्याम बिहारी जी की आरती,
जो कोई नर गावै,
कहत भक्त जन,
मनवांछित फल पावै,
ओम जय श्री श्याम हरे...॥
जय श्री श्याम हरे,
बाबा जी श्री श्याम हरे ।
निज भक्तों के तुमने,
पूरण काज करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो
भगवान शिव की आरती | BHAKTI GYAN भगवान शिव की आरती... ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: भगवान शिव की पूजा के समय मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव की आरती से हम भगवान भोलेनाथ के चरणों में अपने स्तुति रूपी श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका कृपा प्रसाद पा सकते हैं। ॥ झांकी ॥ झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ। नैनो के पात्र में सुधा, भर भर के मैं पिया करूँ॥ वाराणसी का वास हो, और न कोई पास हो। गिरजापति के नाम का, सुमिरण भजन किया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जयति जय महेश हे, जयति जय नन्द केश हे। जयति जय उमेश हे, प्रेम से मै जपा करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... अम्बा कही श्रमित न हो, सेवा का भार मुझको दो। जी भर के तुम पिया करो, घोट के मैं दिया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जी मै तुम्हारी है लगन, खीचते है उधर व्यसन। हरदम चलायमान हे मन, इसका उपाय क्या करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... भिक्षा में नाथ दीजिए, सेवा में मै रहा करूँ। बेकल हु नाथ रात दिन चैन
श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! भगवान शिव शंकर जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि भक्त श्रद्धा पूर्वक एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। 'श्री शिव रुद्राष्टकम' अपने आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था। ॥ श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र ॥ नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भज
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। द्वादश ज्योतिर्लिंग... हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्॥१॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्। सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥२॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥३॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥४॥ Related Pages: श्रीहनुमदष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् चिन्तामणि षट्पदी स्तोत्र गणपतितालम् श्री कालभैरव अष्टकम् अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी देवी भजन- इंद्राक्षी स्तोत्रम् श्री शिव प्रातः स्मरणस्तोत्रम् 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग राम रक्षा स्तोत्र संकटमोचन हनुमानाष्टक संस्कृत में मारुति स्तो
चामुण्डा देवी की चालीसा | BHAKTI GYAN चामुण्डा देवी की चालीसा... हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति स्वरूपा माना गया है। भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है, जिनमे से एक चामुण्डा देवी मंदिर शक्ति पीठ भी है। चामुण्डा देवी का मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है, जो कि शक्ति और संहार की देवी है। पुराणों के अनुसार धरती पर जब कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवो का संहार किया है। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुण्डा पड़ा। श्री चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील में पालमपुर शहर से 19 K.M दूर स्थित है। जो माता दुर्गा के एक रूप श्री चामुंडा देवी को समर्पित है। || चालीसा || ।। दोहा ।। नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड, दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ । मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत, मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।। ।। चौपाई ।। नमस्कार चामुंडा माता, तीनो लोक मई मई विख्याता । हिमाल्या मई पवितरा धाम है, महाशक्ति तुमको प्रडम है ।।1।।
श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग
भारत के प्रमुख मंदिरो की सूची भारत के प्रमुख मंदिरो की सूची... भारतीय सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है एवं सनातन काल से यहां मंदिरो की विशेष मान्यताये है। भारत के हर राज्य में कई प्रसिद्ध मंदिर है। ऐसे मंदिर भी है जिनमे की वर्ष भर आने वाले श्रद्धालुओ का तांता ही लगा रहता है, जो आमतौर पर अपने विस्तृत वास्त़ुकला और समृद्ध इतिहास के लिए जाने जाते हैं। भारत के कुछ प्रमुख मंदिरो के नाम यहां हमने सूचीबद्ध किये है। भारत के प्रमुख मंदिर सूची क्र. संख्या प्रसिद्द मंदिर स्थान 1 बद्रीनाथ मंदिर बद्रीनाथ, उत्तराखंड 2 केदारनाथ मंदिर केदारनाथ, उत्तराखंड 3 यमुनोत्री मंदिर उत्तरकाशी, उत्तराखंड 4 गंगोत्री मंदिर गंगोत्री, उत्तराखंड 5 हिडिम्बा देवी मंदिर मनाली, हिमाचल प्रदेश 6 अमरनाथ मंदिर पहलगाम, जम्मू कश्मीर 7 माता वैष्णो देवी मंदिर कटरा, जम्मू कश्मीर 8 मार्तण्ड सूर्य मंदिर अनंतनाग, कश्मीर 9 काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश 10 प्रेम मंदिर मथुरा, उत्तरप्रदेश
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