श्री आंजनेय दंडकम्...
श्री हनुमान दण्डकम राम भक्त, अंजनी पुत्र, पवन सुत हनुमान की स्तुति में काव्य पाठ का संकलन है। यह मूल लिपि तेलुगु में है। निरपवाद रूप से इसे अधिकांश तेलुगु हिंदू घरों में दैनिक प्रार्थनाओं में से एक है।
इस स्तोत्रम का पाठ आमतौर पर जब भी और जहां भी भय या अकेलापन या घबराहट होती है, इस दृढ़ अडिग विश्वास के लिए पढ़ा जाता है कि भगवान हनुमान सभी चिंताओं को दूर करेंगे और सुरक्षा प्रदान करेंगे।
|| आंजनेय दंडकम् ||
श्री आञ्जनेयं प्रसन्नाञ्जनेयं
प्रभादिव्यकायं प्रकीर्ति प्रदायं
भजे वायुपुत्रं भजे वालगात्रं भजेहं पवित्रं
भजे सूर्यमित्रं भजे रुद्ररूपं
भजे ब्रह्मतेजं बटञ्चुन् प्रभातम्बु
सायन्त्रमुन् नीनामसङ्कीर्तनल् जेसि
नी रूपु वर्णिञ्चि नीमीद ने दण्डकं बोक्कटिन् जेय
नी मूर्तिगाविञ्चि नीसुन्दरं बेञ्चि नी दासदासुण्डवै
रामभक्तुण्डनै निन्नु नेगोल्चेदन्
नी कटाक्षम्बुनन् जूचिते वेडुकल् चेसिते
ना मोरालिञ्चिते नन्नु रक्षिञ्चिते
अञ्जनादेवि गर्भान्वया देव
निन्नेञ्च नेनेन्तवाडन्
दयाशालिवै जूचियुन् दातवै ब्रोचियुन्
दग्गरन् निल्चियुन् दोल्लि सुग्रीवुकुन्-मन्त्रिवै
स्वामि कार्यार्थमै येगि
श्रीराम सौमित्रुलं जूचि वारिन्विचारिञ्चि
सर्वेशु बूजिञ्चि यब्भानुजुं बण्टु गाविञ्चि
वालिनिन् जम्पिञ्चि काकुत्थ्स तिलकुन् कृपादृष्टि वीक्षिञ्चि
किष्किन्धकेतेञ्चि श्रीराम कार्यार्थमै लङ्क केतेञ्चियुन्
लङ्किणिन् जम्पियुन् लङ्कनुन् गाल्चियुन्
यभ्भूमिजं जूचि यानन्दमुप्पोङ्गि यायुङ्गरम्बिच्चि
यारत्नमुन् देच्चि श्रीरामुनकुन्निच्चि सन्तोषमुन्जेसि
सुग्रीवुनिन् यङ्गदुन् जाम्बवन्तु न्नलुन्नीलुलन् गूडि
यासेतुवुन् दाटि वानरुल्मूकलै पेन्मूकलै
यादैत्युलन् द्रुञ्चगा रावणुण्डन्त कालाग्नि रुद्रुण्डुगा वच्चि
ब्रह्माण्डमैनट्टि या शक्तिनिन्वैचि यालक्षणुन् मूर्छनोन्दिम्पगानप्पुडे नीवु
सञ्जीविनिन्देच्चि सौमित्रिकिन्निच्चि प्राणम्बु रक्षिम्पगा
कुम्भकर्णादुल न्वीरुलं बोर श्रीराम बाणाग्नि
वारन्दरिन् रावणुन् जम्पगा नन्त लोकम्बु लानन्दमै युण्ड
नव्वेलनु न्विभीषुणुन् वेडुकन् दोडुकन् वच्चि पट्टाभिषेकम्बु चेयिञ्चि,
सीतामहादेविनिन् देच्चि श्रीरामुकुन्निच्चि,
यन्तन्नयोध्यापुरिन्जोच्चि पट्टाभिषेकम्बु संरम्भमैयुन्न
नीकन्न नाकेव्वरुन् गूर्मि लेरञ्चु मन्निञ्चि श्रीरामभक्त प्रशस्तम्बुगा
निन्नु सेविञ्चि नी कीर्तनल् चेसिनन् पापमुल्ल्बायुने भयमुलुन्
दीरुने भाग्यमुल् गल्गुने साम्राज्यमुल् गल्गु सम्पत्तुलुन् कल्गुनो
वानराकार योभक्त मन्दार योपुण्य सञ्चार योधीर योवीर
नीवे समस्तम्बुगा नोप्पि यातारक ब्रह्म मन्त्रम्बु पठियिञ्चुचुन् स्थिरम्मुगन्
वज्रदेहम्बुनुन् दाल्चि श्रीराम श्रीरामयञ्चुन् मनःपूतमैन एप्पुडुन् तप्पकन्
तलतुना जिह्वयन्दुण्डि नी दीर्घदेहम्मु त्रैलोक्य सञ्चारिवै राम
नामाङ्कितध्यानिवै ब्रह्मतेजम्बुनन् रौद्रनीज्वाल
कल्लोल हावीर हनुमन्त ॐकार शब्दम्बुलन् भूत प्रेतम्बुलन् बेन्
पिशाचम्बुलन् शाकिनी ढाकिनीत्यादुलन् गालिदय्यम्बुलन्
नीदु वालम्बुनन् जुट्टि नेलम्बडं गोट्टि नीमुष्टि घातम्बुलन्
बाहुदण्डम्बुलन् रोमखण्डम्बुलन् द्रुञ्चि कालाग्नि
रुद्रुण्डवै नीवु ब्रह्मप्रभाभासितम्बैन नीदिव्य तेजम्बुनुन् जूचि
रारोरि नामुद्दु नरसिंह यन्चुन् दयादृष्टि
वीक्षिञ्चि नन्नेलु नास्वामियो याञ्जनेया
नमस्ते सदा ब्रह्मचारी
नमस्ते नमोवायुपुत्रा नमस्ते नमः
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