शिव शंकर स्तुति...
भक्ति-भाव से परिपूर्ण भोलेनाथ शिव शंकर जी की स्तुति, जिसे आप ध्यान, पूजन और जप के समय श्रद्धापूर्वक गा या पढ़ सकते हैं।
॥ शिव शंकर स्तुति ॥
(ध्यान, पूजन और आत्म-शुद्धि हेतु)
ॐ नमः शिवाय।
शिवाय शर्वाय नमः शिवाय,
शान्ताय शीघ्रं वरदाय नित्यं।
शम्भो महेशान शिव त्रिनेत्र,
करुणासिन्धो मम दीनबन्धो॥
गौरीपते गंगाधर त्रिनेत्र,
भूताधिप नन्दी गणनायक।
वृषवाहन करुणामय रूद्र,
प्रलयंकर दीनानाथ शंभो॥
शूलधारी डमरूवाले,
त्रिपुण्डधारी नागफन वाले।
चन्द्रमौले जटाधारी,
कालविनाशक भयहारी॥
महाकाल हो दया के सागर,
नमन करूँ मैं बारम्बार।
भवभय हरन कृपालु शिव,
दया करो मुझ पर अपार॥
जप करूँ 'ॐ नमः शिवाय',
मन में तेरा ध्यान लाऊँ।
हर ले पाप दुख सब मेरे,
तेरी शरण सदा मैं आऊँ॥
शिव मंत्र जप:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
(महामृत्युंजय मंत्र – जीवन, स्वास्थ्य व मोक्ष हेतु)
भावार्थ:
भक्त का निवेदन है कि_
— हे शिव! मेरा मन सदा आपके पंचाक्षरी मंत्र का जप करता रहे।
ॐ नमः शिवाय
(पंचाक्षरी मंत्र – शिव का सर्वोच्च नाम)
— मेरे अपराध क्षमा हो जाएँ।
— मुझे आपके चरणों की भक्ति प्राप्त हो।
— शिवरात्रि, सोमवार, श्रावण मास, या नित्य शिव पूजन में, ध्यान एवं जाप से पहले आरती या ध्यान के उपरांत इस स्तुति का पाठ अत्यंत फलदायी होता है।
"प्यार बाँटिए — हमें फॉलो करें और इस पोस्ट को अपने अपनों के साथ शेयर करें!"
Comments
Post a Comment