माँ वैष्णो देवी चालीसा...
माँ वैष्णो देवी समस्त संसार की पालनकर्ता और धर्म-संरक्षिका देवी हैं। वे शक्ति, श्रद्धा और विश्वास की प्रतीक हैं। उनकी कृपा से ही जीवन में साहस, समृद्धि, सौभाग्य और संतोष का वास होता है। भक्त जब पूर्ण भक्ति और आस्था से माँ वैष्णो देवी चालीसा का पाठ करता है, तब माँ उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं और जीवन के समस्त दुःख, भय और दरिद्रता का नाश करती हैं।
माँ वैष्णो देवी चालीसा के बारे में:
माँ वैष्णो चालीसा एक पवित्र भक्ति ग्रंथ है जिसमें चालीस चौपाइयों के माध्यम से माँ वैष्णो देवी के अवतार, महिमा, लीला और कृपा का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह चालीसा न केवल भक्ति और श्रद्धा को दृढ़ करती है, बल्कि साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, सुख और संतोष प्रदान करती है।
माँ वैष्णो देवी की महिमा:
- त्रिकुटा पर्वत की अधिष्ठात्री: माँ वैष्णो देवी का निवास स्थल जम्मू के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है, जहाँ उनकी अखंड ज्योति सदा प्रज्वलित रहती है।
- शक्ति त्रय स्वरूपा: वे माँ काली, लक्ष्मी और सरस्वती – इन तीनों शक्तियों का संयुक्त रूप हैं।
- धर्म की रक्षिका: जब-जब कलियुग में अधर्म बढ़ता है, माँ वैष्णो देवी धर्म की स्थापना हेतु अवतरित होती हैं।
- भक्तवत्सला: माँ अपने भक्तों की पुकार तुरंत सुनती हैं और संकट के समय उन्हें संरक्षण देती हैं।
माँ वैष्णो देवी चालीसा का महत्व:
- भक्ति और विश्वास की वृद्धि: चालीसा पाठ करने से मन में भक्ति, श्रद्धा और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- संकट से मुक्ति: माँ वैष्णो देवी की कृपा से जीवन के संकट, भय और बाधाएँ समाप्त होती हैं।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति: श्रद्धापूर्वक पाठ करने से घर, परिवार और व्यवसाय में समृद्धि का वास होता है।
- मानसिक शांति: यह पाठ मन के विकारों को दूर कर, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
॥ माँ वैष्णो देवी चालीसा ॥
॥ दोहा ॥
गरुड़ वाहिनी वैष्णवी, त्रिकुटा पर्वत धाम।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम॥
॥ चौपाई ॥
नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,
कलि काल में शुभ कल्याणी।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,
पिंडी रूप में हो अवतारी॥
देवी देवता अंश दियो है,
रत्नाकर घर जन्म लियो है।
करी तपस्या राम को पाऊं,
त्रेता की शक्ति कहलाऊं॥
कहा राम मणि पर्वत जाओ,
कलियुग की देवी कहलाओ।
विष्णु रूप से कल्कि बनकर,
लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥
तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ,
गुफा अंधेरी जाकर पाओ।
काली-लक्ष्मी-सरस्वती मां,
करेंगी पोषण पार्वती मां॥
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे,
हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे।
रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें,
कलियुग-वासी पूजत आवें॥
पान सुपारी ध्वजा नारीयल,
चरणामृत चरणों का निर्मल।
दिया फलित वर मां मुस्काई,
करन तपस्या पर्वत आई॥
कलि काल की भड़की ज्वाला,
इक दिन अपना रूप निकाला।
कन्या बन नगरोटा आई,
योगी भैरों दिया दिखाई॥
रूप देख सुंदर ललचाया,
पीछे-पीछे भागा आया।
कन्याओं के साथ मिली मां,
कोल-कंदौली तभी चली मां॥
देवा माई दर्शन दीना,
पवन रूप हो गई प्रवीणा।
नवरात्रों में लीला रचाई,
भक्त श्रीधर के घर आई॥
योगिन को भण्डारा दीनी,
सबने रूचिकर भोजन कीना।
मांस, मदिरा भैरों मांगी,
रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥
बाण मारकर गंगा निकली,
पर्वत भागी हो मतवाली।
चरण रखे आ एक शीला जब,
चरण-पादुका नाम पड़ा तब॥
पीछे भैरों था बलकारी,
चोटी गुफा में जाय पधारी।
नौ मह तक किया निवासा,
चली फोड़कर किया प्रकाशा॥
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी,
कहलायी माँ आद कुंवारी।
गुफा द्वार पहुँची मुस्काई,
लांगूर वीर ने आज्ञा पाई॥
भागा-भागा भैंरो आया,
रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।
पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर,
किया क्षमा जा दिया उसे वर॥
अपने संग में पुजवाऊंगी,
भैंरो घाटी बनवाऊंगी।
पहले मेरा दर्शन होगा,
पीछे तेरा सुमिरन होगा॥
बैठ गई मां पिंडी होकर,
चरणों में बहता जल झर-झर।
चौंसठ योगिनी-भैंरो बर्वत,
सप्तऋषि आ करते सुमरन॥
घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे,
गुफा निराली सुंदर लागे।
भक्त श्रीधर पूजन कीन,
भक्ति सेवा का वर लीन॥
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याना,
ध्वजा व चोला आन चढ़ाना।
सिंह सदा दर पहरा देता,
पंजा शेर का दु:ख हर लेता॥
जम्बू द्वीप महाराज मनाया,
सर सोने का छत्र चढ़ाया।
हीरे की मूरत संग प्यारी,
जगे अखण्ड इक जोत तुम्हारी॥
आश्विन चैत्र नवरात्रे आऊं,
पिण्डी रानी दर्शन पाऊं।
सेवक 'कमल' शरण तिहारी,
हरो वैष्णो विपत हमारी॥
॥ दोहा ॥
कलियुग में महिमा तुम्हारी, है मां अपरंपार।
धर्म ह्रास जब हो प्रबल, करो शीघ्र अवतार॥
॥ इति मां वैष्णो देवी चालीसा सम्पूर्णम् ॥
माँ वैष्णो देवी चालीसा पाठ करने की विधि:
माँ वैष्णो देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए माँ वैष्णो देवी चालीसा का पाठ अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। यदि इसे श्रद्धा, भक्ति और सही विधि से किया जाए, तो माँ वैष्णो देवी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को धन, सौभाग्य, शांति और बल का आशीर्वाद देती हैं।
पाठ करने की विधि:
- प्रातः या संध्या काल में स्नान: सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजन स्थान की तैयारी: घर के पूजा स्थान या पवित्र स्थान पर माँ वैष्णो देवी का चित्र या पिंडी रूप स्थापित करें।
- दीपक और धूप जलाएँ: घी या तिल के तेल का दीपक जलाएँ तथा धूप और अगरबत्ती अर्पित करें।
- आवश्यक पूजन सामग्री: पुष्प, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य और जल रखें।
- माँ वैष्णो देवी मंत्र जप: पाठ से पूर्व “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥” या “जय माँ वैष्णो देवी” का 11 बार जप करें।
- माँ वैष्णो देवी चालीसा का पाठ: अब ध्यानपूर्वक और श्रद्धा-भाव से माँ वैष्णो देवी चालीसा का पाठ करें।
- आरती और प्रसाद: पाठ के बाद “जय माता दी” आरती करें और माँ को फल, मिठाई या नारियल का प्रसाद अर्पित करें।
- विशेष दिन: नवरात्र, मंगलवार और शुक्रवार को चालीसा पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी होता है।
विशेष सुझाव:
- पाठ के समय मन को शांत, स्थिर और एकाग्र रखें।
- भक्ति, विनम्रता और आभार की भावना से माँ वैष्णो देवी का ध्यान करें।
- चालीसा पाठ के बाद कुछ देर “जय माता दी” का नाम जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
माँ वैष्णो देवी चालीसा पाठ से लाभ:
माँ वैष्णो देवी चालीसा का पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से जीवन में सुख, समृद्धि, आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है। माँ वैष्णो देवी अपने भक्तों के जीवन से भय, रोग, दरिद्रता और संकट का नाश करती हैं तथा उन्हें साहस और सफलता का वरदान देती हैं।
मुख्य लाभ:
- धन-समृद्धि और सौभाग्य: माँ वैष्णो देवी की कृपा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- संकट से मुक्ति: जो भक्त नित्य या मंगलवार को चालीसा पाठ करता है, उसके जीवन के संकट दूर होते हैं।
- गृह-शांति और प्रेम: माँ वैष्णो देवी की आराधना से घर में शांति, एकता और प्रेम का वातावरण बना रहता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: नियमित पाठ से दरिद्रता, भय और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
- भक्ति और आत्मबल की वृद्धि: माँ वैष्णो देवी की कृपा से मनोबल, भक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
जो भी भक्त माँ वैष्णो देवी चालीसा का नित्य श्रद्धापूर्वक पाठ करता है, उसके जीवन में सदैव सुख, सौभाग्य, सफलता और उन्नति का वास होता है। माँ वैष्णो देवी अपने भक्तों पर सदा कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं।
माँ वैष्णो देवी चालीसा का पाठ विशेष रूप से शुक्रवार तथा दीपावली के पावन अवसर पर करने से माँ वैष्णो देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं। वे अपने भक्तों पर धन, सौभाग्य, समृद्धि और शांति का वरदान बरसाती हैं तथा जीवन के सभी कष्टों का निवारण करती हैं।

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