मां दुर्गा की आरती- जय अम्बे गौरी मैया...
माँ दुर्गा की आरती को विधि-विधान से करना चाहिए। मां दुर्गा की आरती जो कोई भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से गाता है उससे मां दुर्गा प्रसन्न रहती हैं। इस आरती को गाने से व्यक्ति में शक्ति संचार होता है। उन्हें मां दुर्गा अपना आर्शीवाद प्रदान करती हैं।
॥ आरती ॥
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति मैया जय आनन्द करणी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
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