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Awards In India/National Awards in India List/G K- भारत में राष्ट्रीय पुरस्कार

भारत में राष्ट्रीय पुरस्कारों की सूची

भारत में राष्ट्रीय पुरस्कारों की सूची...

भारत में राष्ट्रीय पुरस्कार: भारत में पुरस्कार लोग को अलग-अलग क्षेत्रों में महान उपलब्धियाँ के लिए दिए जाते हैं। भारत में राष्ट्रीय पुरस्कार उल्लेखनीय उपलब्धियों वाले लोगों को दिए जाने वाले सम्मान और सम्मान का प्रतीक हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए अनेक प्रकार के पुरस्कार/ सम्मान हैं जो अलग-अलग भिन्न कारणों व परिस्थितियों के अनुसार दिए जाते हैं। भारत रत्न, परम वीर चक्र, पद्म सम्‍मान, शौर्य चक्र, अशोक चक्र इनमें से प्रमुख हैं। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष दिए जाते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों की उपलब्धियों के लिए भारत में पुरस्कारों के बारे में है। विभिन परीक्षाओं, यूपीएससी और अन्य सरकारी परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है।
भारत में राष्ट्रीय पुरस्कार
क्र.राष्ट्रीय पुरस्कारक्षेत्र
1.भारत रत्नकला, जनसेवा, साहित्य, खेल, विज्ञान एवं जनसेवा के लिए
2.दादा साहेब फाल्के पुरस्कारफिल्म क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए
3.ज्ञान पीठ पुरस्कारसाहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए
4.सरस्वती सम्मानसाहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए
5.शंकर पुरस्कारभारतीय दर्शन, संस्कृति तथा कला के क्षेत्र में योगदान के लिए
6.व्यास सम्मानसाहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए
7.वाचस्पति पुरस्कारसंस्कृत साहित्य में विशेष योगदान के लिए
8.कबीर पुरस्कारसामाजिक सद्भाव के क्षेत्र में
9.द्रोणाचार्य पुरस्कारखेल प्रशिक्षण के क्षेत्र में
10.अर्जुन पुरस्कारखेल के क्षेत्र में
11.राजीव गाँधी खेल रत्नखेलो में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए
12.शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कारविज्ञान के क्षेत्र में
13.बोरलाग पुरस्कारकृषि की पैदावार में उल्लेखनीय योगदान के लिए
14.चमेली देवी पुरस्कारपत्रकारिता के क्षेत्र में
15.गोविन्द वल्लभ पन्त पुरस्कारसर्वश्रेष्ठ सांसद के लिए
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  7. नदियों के किनारे स्थित विश्व के प्रमुख शहर
  8. भारत के प्रमुख लोक नृत्य सूची
  9. नदियों के किनारे बसे भारत के प्रमुख शहर
  10. विश्व के प्रमुख देशों के समाचार पत्रों के नाम
  11. विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची
  12. महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवस और अन्तर्राष्ट्रीय दिवस
  13. विश्व के प्रमुख भौगोलिक उपनाम की सूची
  14. विश्व के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र की सूचि
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श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

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श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग

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चामुण्डा देवी की चालीसा | BHAKTI GYAN चामुण्डा देवी की चालीसा... हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति स्वरूपा माना गया है। भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है, जिनमे से एक चामुण्‍डा देवी मंदिर शक्ति पीठ भी है। चामुण्डा देवी का मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है, जो कि शक्ति और संहार की देवी है। पुराणों के अनुसार धरती पर जब कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवो का संहार किया है। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुण्डा पड़ा। श्री चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील में पालमपुर शहर से 19 K.M दूर स्थित है। जो माता दुर्गा के एक रूप श्री चामुंडा देवी को समर्पित है। || चालीसा || ।। दोहा ।। नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड, दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ । मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत, मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।। ।। चौपाई ।। नमस्कार चामुंडा माता, तीनो लोक मई मई विख्याता । हिमाल्या मई पवितरा धाम है, महाशक्ति तुमको प्रडम है ।।1।।

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