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India/Bhaarat/raashtrapati/List of all Presidents of India

भारत के के सभी राष्‍ट्रपतियों के नाम/कार्यकाल

भारत के सभी राष्‍ट्रपतियों की सूची और उनका कार्यकाल...

भभारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति देश का मुखिया और भारत का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति के पास भारतीय सशस्त्र सेना की भी सर्वोच्च कमान होती है। भारत का राष्ट्रपति लोक सभा, राज्यसभा और विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है। भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।
भारत की स्वतंत्रता से लेकर अब तक 15 राष्ट्रपति निर्वाचित किये जा चुके हैं। भारत के राष्ट्रपति पद की स्थापना भारतीय संविधान के द्वारा की गयी है। इन 15 राष्ट्रपतियों के अलावा 3 कार्यवाहक राष्ट्रपति भी हुए है जो पदस्थ राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद बनाये गए है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद थे, और वर्तमान राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मू कार्यरत है।
भारत के राष्ट्रपति की क्रमबद्ध सूची
क्रमांकराष्ट्रपति के नामकार्यकाल
1ऱाजेन्द्र प्रसाद1950 से 1962
2सर्वपल्ली राधाकृष्णन1962 से 1967
3जाकिर हुसैन1967 से 1969
वी.वी. गिरि (कार्यवाहक अध्यक्ष)1969 से 1969
मोहम्मद हिदायतुल्ला (कार्यवाहक अध्यक्ष)1969 से 1969
4वी.वी. गिरि1969 से 1974
5फखरुद्दीन अली अहमद1974 से 1977
बसप्पा दानप्पा जट्टी (कार्यवाहक अध्यक्ष)1977 से 1977
6नीलम संजीव रेड्डी1977 से 1982
7ज्ञानी जेल सिंह1982 से 1987
8आर.वेंकटरमन1987 से 1992
9शंकर दयाल शर्मा1992 से 1997
10के.आर. नारायणन1997 से 2002
11एपीजे अब्दुल कलाम2002 से 2007
12प्रतिभा पाटिल2007 से 2012
13प्रणव मुखर्जी2012 से 2017
14राम नाथ कोविंद2017 से 2022
15.द्रौपदी मुर्मू2022 से अब तक
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श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

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