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India Tourist Places/Bhaarat ke Paryatak Places-भारत के प्रमुख पर्यटक स्थल

भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल

भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल...

भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में जानेंगे।
भारत के प्रमुख पर्यटक स्थल
राष्ट्रपति भवन दिल्ली
जंतर मंतर दिल्ली
इंडिया गेट दिल्ली
कुतुब मीनार दिल्ली
हुमायूं का मकबरा दिल्ली
जामा मस्जिद दिल्ली
लोटस मंदिर दिल्ली
लाल किला दिल्ली
राज घाट दिल्ली
बुलंद दरवाजा उत्तर प्रदेश
पंच महल उत्तर प्रदेश
ताज महल आगरा
एलोरा गुफाएं महाराष्ट्र
मौन के टॉवर महाराष्ट्र
अजंता गुफाएं महाराष्ट्र
अमरनाथ गुफा कश्मीर
वैष्णो देवी जम्मू और कश्मीर
फोर्ट विलियम कोलकाता
गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई
जल महल जयपुर
स्वर्ण मंदिर अमृतसर
गोल गुंबज कर्नाटक
मिनाक्षी मंदिर तमिलनाडु
चार मीनार हैदराबाद
बिरला मंदिर हैदराबाद
वेंकटेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल
गोलकंदा हैदराबाद
मरीना बीच तमिलनाडु
लाल बाग गार्डन कर्नाटक
ग्वालियर किला मध्य प्रदेश
मेहरानगढ़ किले जोधपुर
पुष्कर झील अजमेर
जूनागढ़ किला बीकानेर
द्वीप महल उदयपुर
बिरला मंदिर जयपुर
हवा महल जयपुर
चिल्का झील ओडिशा
विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता
दल झील श्रीनगर
अकबर का मकबरा आगरा
एलिफेंटा गुफा महाराष्ट्र
शालीमार बाग जम्मू और कश्मीर
हवडा पुल कोलकाता
जगन्नाथ मंदिर ओडिशा
हैंगिंग गार्डन मुंबई
शाही चश्मा जम्मू और कश्मीर
बिड़ला तारामंडल कोलकाता
सेंट पॉल कैथेड्रल कोलकाता
सूर्य मंदिर कोनर्क
अंबर पैलेस जयपुर
सिटी पैलेस जयपुर
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय जयपुर
मानसून महल राजस्थान
अजमेर का किला जयपुर
पिचोला लेक उदयपुर
बनारस घाट उत्तर प्रदेश
गोमतेश्वर की प्रतिमा कर्नाटक
जैन मंदिर गुजरात
वेम्बनाड झील केरल
मैसूर महल कर्नाटक
संगमरमर चट्टा मध्य प्रदेश
अजमेर शरीफ दरगाह अजमेर
जोधपुर दुर्ग जोधपुर, राजस्थान
फतह सागर उदयपुर, राजस्थान
बूँदी का किला बूँदी
ब्रांडेबन गार्डन कर्नाटक
बृहदेशेश्वर मंदिर तमिलनाडु
कच्छ के महान रण गुजरात
खिड़की मस्जिद दिल्ली
रंगजी का मंदिर वृन्दावन, उत्तर परदेश
हरमंदिर बिहार
विष्णु मंदिर बिहार
शेरसाही मस्जिद बिहार
पत्थर की मस्जिद बिहार
शेरशाह का मकबरा बिहार
गोलघर बिहार
पादरी की हवेली बिहार
चौसठ योगनी मंदिर सहरसा, बिहार
दिलवाड़ा मंदिर राजस्थान
विजय का टॉवर राजस्थान
डीग महल राजस्थान
आना सागर अजमेर, राजस्थान
जैसलमेर का किला राजस्थान
टावर ऑफ फ़ेम राजस्थान
गागरुन का किला राजस्थान
छत्र महल राजस्थान
ककरिया झील राजस्थान
जंतर मंतर राजस्थान
जय समंद राजस्थान
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  14. भारत के प्रमुख शहरों के भौगोलिक उपनाम
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श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

jhaankee - झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ।

भगवान शिव की आरती | BHAKTI GYAN भगवान शिव की आरती... ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: भगवान शिव की पूजा के समय मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव की आरती से हम भगवान भोलेनाथ के चरणों में अपने स्तुति रूपी श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका कृपा प्रसाद पा सकते हैं। ॥ झांकी ॥ झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ। नैनो के पात्र में सुधा, भर भर के मैं पिया करूँ॥ वाराणसी का वास हो, और न कोई पास हो। गिरजापति के नाम का, सुमिरण भजन किया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जयति जय महेश हे, जयति जय नन्द केश हे। जयति जय उमेश हे, प्रेम से मै जपा करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... अम्बा कही श्रमित न हो, सेवा का भार मुझको दो। जी भर के तुम पिया करो, घोट के मैं दिया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जी मै तुम्हारी है लगन, खीचते है उधर व्यसन। हरदम चलायमान हे मन, इसका उपाय क्या करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... भिक्षा में नाथ दीजिए, सेवा में मै रहा करूँ। बेकल हु नाथ रात दिन चैन

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श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! भगवान शिव शंकर जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि भक्त श्रद्धा पूर्वक एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। 'श्री शिव रुद्राष्टकम' अपने आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था। ॥ श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र ॥ नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भज

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श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग

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चामुण्डा देवी की चालीसा | BHAKTI GYAN चामुण्डा देवी की चालीसा... हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति स्वरूपा माना गया है। भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है, जिनमे से एक चामुण्‍डा देवी मंदिर शक्ति पीठ भी है। चामुण्डा देवी का मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है, जो कि शक्ति और संहार की देवी है। पुराणों के अनुसार धरती पर जब कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवो का संहार किया है। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुण्डा पड़ा। श्री चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील में पालमपुर शहर से 19 K.M दूर स्थित है। जो माता दुर्गा के एक रूप श्री चामुंडा देवी को समर्पित है। || चालीसा || ।। दोहा ।। नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड, दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ । मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत, मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।। ।। चौपाई ।। नमस्कार चामुंडा माता, तीनो लोक मई मई विख्याता । हिमाल्या मई पवितरा धाम है, महाशक्ति तुमको प्रडम है ।।1।।

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