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Visit in Rajasthan\Tourist Places in Rajasthan in Hindi

राजस्थान में शीर्ष पर्यटन स्थल

राजस्थान में शीर्ष पर्यटन स्थल...

राजस्थान में घूमने की जगहें: जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, पुष्कर, अजमेर, माउंट आबू, बीकानेर, भरतपुर, चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, पाली और भी बहुत कुछ।
राजस्थान के इतिहास और इसके भव्य किलों और महलों सहित इसके शीर्ष पर्यटक आकर्षणों का अन्वेषण करते हैं, तो राजस्थान की शानदार विरासत की याद आती है। हिल स्टेशनों से लेकर रेगिस्तान तक और हेरिटेज शहरों से लेकर छोटे विचित्र गाँवों तक, यहाँ शहर की सीमा के भीतर हर तरह के परिवेश का आनंद लिया जा सकता है। जो राजस्थान में घूमने के लिए शानदार जगहों में से एक है।
राजस्थान पर्यटन स्थल
पर्यटन स्थलस्थान
हवामहलजयपुर
जंतर मंतरजयपुर
गलता जीजयपुर
बिड़ला तारामंडलजयपुर
शीश महल या 'हॉल ऑफ मिरर्स'जयपुर
आमेर किलाआमेर, जयपुर
नाहरगढ़ दुर्गजयपुर
रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यानसवाई माधोपुर
जसवंत थड़ाजोधपुर
उम्मेद भवनजोधपुर
मंडोरजोधपुर
सच्चिया माता मंदिरओसियां जोधपुर
मेहरानगढ़ किलाजोधपुर
पटवों की हवेलीजैसलमेर
सजैसलमेर किलाजैसलमेर
सालिम सिंह की हवेलीजैसलमेर
रामगढ़ की हवेलियांजैसलमेर
नथमल की हवेलीजैसलमेर
बाबा रामदेव मंदिरपोकरण के पास रामदेवरा, जैसलमेर
नीमराना किलाअलवर
जालौर दुर्गजालौर
लोहागढ़ दुर्गभरतपुर
नागौर दुर्गखिंवसर, नागौर
तारागढ़ दुर्गगंगापुर
चौरासी खंभों की छतरीबूँदी
रानी जी की बावड़ीबूँदी
क्षार बाग की छतरियाँबूँदी
स्वर्ण या सुनहरी कोठीटौंक
विजय स्तम्भचित्तौड़
कीर्ति स्तम्भचित्तौड़
झालावाड़ का किलाझालावाड़
गागरोन दुर्गझालावाड़
झालरापाटनझालावाड़
कोलवी की गुफाएँझालावाड़
सूर्य मंदिरझालावाड़
ढाई दिन का झोंपड़ाअजमेर
सोनीजी की नसियाँअजमेर
अरथूना के प्राचीन मंदिरबाँसवाड़ा
करणी माता मन्दिरबीकानेर
भांडासर जैन मंदिरबीकानेर
जूनागढ़ दुर्गबीकानेर
गैप सागरडूंगरपुर
देव सोमनाथ मंदिरडूंगरपुर
भंड देवरा मंदिरकोटा
सज्जनगढ़उदयपुर
आहड़ संग्रहालयउदयपुर
सहेलियों की बाड़ीउदयपुर
जगत के प्राचीन मंदिरजगत गाँव उदयपुर
सास-बहू के प्राचीन मंदिर
( प्राचीन नागदा राज्य के मंदिर)
कैलाशपुरी, उदयपुर
जल महलजयपुर, डीग व उदयपुर
खाटू श्यामजीखाटू गाँव सीकर
हर्ष मंदिरसीकर
आभानेरी मंदिरदौसा
रानी पद्मनी महल
(चित्तौड़गढ़ दुर्ग)
चित्तौड़गढ़
द्वारकाधीश मंदिरकांकरोली राजसमंद
श्रीनाथजी मंदिरनाथद्वारा, राजसमंद
कुम्भलगढ़ दुर्गकेलवाड़ा राजसमंद
ब्रह्मा मंदिरपुष्कर
फखरुद्दीन की दरगाहगलियाकोट, डूंगरपुर
रणकपुर जैन मंदिरसादड़ी, पाली
सांवलिया जी मंदिरमंडफिया, चित्तौड़गढ़
मीरा बाई का मंदिरमेड़तासिटी, नागौर
नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिरबालोत्तरा के पास, जिला बाड़मेर
दिलवाड़ा जैन मंदिरमाउंट आबू
सालासर बालाजीसालासर, चुरू
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श्री शिव स्तुति भोले शिव शंकर जी की स्तुति... ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय भगवान शिव स्तुति : भगवान भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना से बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें 'आशुतोष' भी कहा जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन को भगवान शिव को समर्पित है। इसी कारण सोमवार को शिव का महाभिषेक के साथ साथ शिव की उपासना के लिए व्रत भी रखे जाते हैं। अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि पाना के लिए सोमवार के दिन शिव स्तुति का जाप करना आपके लिए लाभकारी होगा और स्तुति का सच्चे मन से करने पर भोले भंडारी खुश होकर आशीर्वाद देते है। ॥ शिव स्तुति ॥ ॥ दोहा ॥ श्री गिरिजापति बंदि कर चरण मध्य शिर नाय। कहत गीता राधे तुम मो पर हो सहाय॥ कविता नंदी की सवारी नाग अंगीकार धारी। नित संत सुखकारी नीलकण्ठ त्रिपुरारी हैं॥ गले मुण्डमाला भारी सर सोहै जटाधारी। बाम अंग में बिहारी गिरिजा सुतवारी हैं॥ दानी बड़े भारी शेष शारदा पुकारी। काशीपति मदनारी कर शूल च्रकधारी हैं॥ कला जाकी उजियारी लख देव सो निहारी। यश गावें वेदचारी सो

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भगवान शिव की आरती | BHAKTI GYAN भगवान शिव की आरती... ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: | ॐ नमः शिवाय: भगवान शिव की पूजा के समय मन के भावों को शब्दों में व्यक्त करके भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव की आरती से हम भगवान भोलेनाथ के चरणों में अपने स्तुति रूपी श्रद्धासुमन अर्पित कर उनका कृपा प्रसाद पा सकते हैं। ॥ झांकी ॥ झांकी उमा महेश की, आठों पहर किया करूँ। नैनो के पात्र में सुधा, भर भर के मैं पिया करूँ॥ वाराणसी का वास हो, और न कोई पास हो। गिरजापति के नाम का, सुमिरण भजन किया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जयति जय महेश हे, जयति जय नन्द केश हे। जयति जय उमेश हे, प्रेम से मै जपा करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... अम्बा कही श्रमित न हो, सेवा का भार मुझको दो। जी भर के तुम पिया करो, घोट के मैं दिया करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... जी मै तुम्हारी है लगन, खीचते है उधर व्यसन। हरदम चलायमान हे मन, इसका उपाय क्या करूँ॥ झांकी उमा महेश की....... भिक्षा में नाथ दीजिए, सेवा में मै रहा करूँ। बेकल हु नाथ रात दिन चैन

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श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! भगवान शिव शंकर जी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यदि भक्त श्रद्धा पूर्वक एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। 'श्री शिव रुद्राष्टकम' अपने आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से भगवान शिव बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था। ॥ श्री शिव रुद्राष्टक स्तोत्र ॥ नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भज

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श्री लिंगाष्टकम स्तोत्र श्री शिव लिंगाष्टकम स्तोत्र... !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! लिंगाष्टकम में शिवलिंग की स्तुति बहुत अद्बुध एवं सूंदर ढंग से की गयी है। सुगंध से सुशोभित, शिव लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है। चंदन और कुमकुम के लेप से ढका होता है और मालाओं से सुशोभित होता है। इसमें उपासकों के पिछले कर्मों को नष्ट करने की शक्ति है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और साधक के जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुख को भी नष्ट कर देता है। ॥ लिंगाष्टकम स्तोत्र ॥ ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् । रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥ कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् । दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्ग

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चामुण्डा देवी की चालीसा | BHAKTI GYAN चामुण्डा देवी की चालीसा... हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति स्वरूपा माना गया है। भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है, जिनमे से एक चामुण्‍डा देवी मंदिर शक्ति पीठ भी है। चामुण्डा देवी का मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है, जो कि शक्ति और संहार की देवी है। पुराणों के अनुसार धरती पर जब कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवो का संहार किया है। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुण्डा पड़ा। श्री चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील में पालमपुर शहर से 19 K.M दूर स्थित है। जो माता दुर्गा के एक रूप श्री चामुंडा देवी को समर्पित है। || चालीसा || ।। दोहा ।। नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड, दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ । मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत, मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।। ।। चौपाई ।। नमस्कार चामुंडा माता, तीनो लोक मई मई विख्याता । हिमाल्या मई पवितरा धाम है, महाशक्ति तुमको प्रडम है ।।1।।

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