श्रीचामुण्डेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्...
प्रातः जो व्यक्ति देवी श्रीमचमुण्डिका के एक सौ अठारह नामों का पाठ करता है और भक्तिपूर्वक उनकी पूजा करता है। माँ प्रसन्न होकर अपने भक्तजनों के संकट दूर करती है, रक्षा करती है साथ ही उनके सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं। प्रातः माँ श्रीमचमुण्डिका स्मरण सम्पूर्ण भक्तिभाव से करें...
|| श्रीचामुण्डेश्वरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् ||
श्री चामुण्डा माहामाया श्रीमत्सिंहासनेश्वरी
श्रीविद्या वेद्यमहिमा श्रीचक्रपुरवासिनी ॥ १॥
श्रीकण्ठदयित गौरी गिरिजा भुवनेश्वरी
महाकाळी महाल्क्ष्मीः माहावाणी मनोन्मणी ॥ २॥
सहस्रशीर्षसंयुक्ता सहस्रकरमण्डिता
कौसुम्भवसनोपेता रत्नकञ्चुकधारिणी ॥ ३॥
गणेशस्कन्दजननी जपाकुसुम भासुरा
उमा कात्यायनी दुर्गा मन्त्रिणी दण्डिनी जया ॥ ४॥
कराङ्गुळिनखोत्पन्न नारायण दशाकृतिः
सचामररमावाणीसव्यदक्षिणसेविता ॥ ५॥
इन्द्राक्षी बगळा बाला चक्रेशी विजयाऽम्बिका
पञ्चप्रेतासनारूढा हरिद्राकुङ्कुमप्रिया ॥ ६॥
महाबलाऽद्रिनिलया महिषासुरमर्दिनी
मधुकैटभसंहर्त्री मधुरापुरनायिका ॥ ७॥
कामेश्वरी योगनिद्रा भवानी चण्डिका सती
चक्रराजरथारूढा सृष्टिस्थित्यन्तकारिणी ॥ ८॥
अन्नपूर्णा ज्वलःजिह्वा काळरात्रिस्वरूपिणी
निषुम्भ शुम्भदमनी रक्तबीजनिषूदिनी ॥
ब्राह्म्यादिमातृकारूपा शुभा षट्चक्रदेवता
मूलप्रकृतिरूपाऽऽर्या पार्वती परमेश्वरी ॥ १०॥
बिन्दुपीठकृतावासा चन्द्रमण्डलमध्यका
चिदग्निकुण्डसम्भूता विन्ध्याचलनिवासिनी ॥ ११॥
हयग्रीवागस्त्य पूज्या सूर्यचन्द्राग्निलोचना
जालन्धरसुपीठस्था शिवा दाक्षायणीश्वरी ॥ १२॥
नवावरणसम्पूज्या नवाक्षरमनुस्तुता
नवलावण्यरूपाड्या ज्वलद्द्वात्रिंशतायुधा ॥ १३॥
कामेशबद्धमाङ्गल्या चन्द्ररेखा विभूषिता
चरचरजगद्रूपा नित्यक्लिन्नाऽपराजिता ॥ १४॥
ओड्यान्नपीठनिलया ललिता विष्णुसोदरी
दंष्ट्राकराळवदना वज्रेशी वह्निवासिनी ॥ १५॥
सर्वमङ्गळरूपाड्या सच्चिदानन्द विग्रहा
अष्टादशसुपीठस्था भेरुण्डा भैरवी परा ॥ १६॥
रुण्डमालालसत्कण्ठा भण्डासुरविमर्धिनी
पुण्ड्रेक्षुकाण्ड कोदण्ड पुष्पबाण लसत्करा ॥ १७॥
शिवदूती वेदमाता शाङ्करी सिंहवाहना ।
चतुःषष्ट्यूपचाराड्या योगिनीगणसेविता ॥ १८॥
नवदुर्गा भद्रकाळी कदम्बवनवासिनी
चण्डमुण्ड शिरःछेत्री महाराज्ञी सुधामयी ॥ १९॥
श्रीचक्रवरताटङ्का श्रीशैलभ्रमराम्बिका
श्रीराजराज वरदा श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ॥ २०॥
शाकम्बरी शान्तिदात्री शतहन्त्री शिवप्रदा
राकेन्दुवदना रम्या रमणीयवराकृतिः ॥ २१॥
श्रीमत्चामुण्डिकादेव्या नाम्नामष्टोत्तरं शतं
पठन् भक्त्याऽर्चयन् देवीं सर्वान् कामानवाप्नुयात् ॥
॥ इति श्री चामुण्डेश्वरी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रं ॥
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