श्री हनुमान बीसा...
श्री हनुमान साठिका का नियमित पाठ करने से भय, रोग इत्यादि संकटों से मुक्त होते है। हनुमान जी प्रसन्न होकर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमद् बंदी मोचन अत्यंत शक्तिशाली और सिद्ध श्लोक है। श्रद्धा भक्ति के साथ हनुमान जी को प्रणाम करते हुए बोलिए सियावर राम चन्द्र की जय, पवनसुत हनुमान की जय।
॥ श्री हनुमान साठिका ॥
॥ चौपाइयां ॥
जय जय जय हनुमान अडंगी ।
महावीर विक्रम बजरंगी ॥
जय कपीश जय पवन कुमारा ।
जय जगबन्दन सील अगारा ॥
जय आदित्य अमर अबिकारी ।
अरि मरदन जय-जय गिरधारी ॥
अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा ।
जय-जयकार देवतन कीन्हा ॥
बाजे दुन्दुभि गगन गम्भीरा ।
सुर मन हर्ष असुर मन पीरा ॥
कपि के डर गढ़ लंक सकानी ।
छूटे बंध देवतन जानी ॥
ऋषि समूह निकट चलि आये ।
पवन तनय के पद सिर नाये॥
बार-बार अस्तुति करि नाना ।
निर्मल नाम धरा हनुमाना ॥
सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना ।
दीन्ह बताय लाल फल खाना ॥
सुनत बचन कपि मन हर्षाना ।
रवि रथ उदय लाल फल जाना ॥
रथ समेत कपि कीन्ह अहारा ।
सूर्य बिना भए अति अंधियारा ॥
विनय तुम्हार करै अकुलाना ।
तब कपीस की अस्तुति ठाना ॥
सकल लोक वृतान्त सुनावा ।
चतुरानन तब रवि उगिलावा ॥
कहा बहोरि सुनहु बलसीला ।
रामचन्द्र करिहैं बहु लीला ॥
तब तुम उन्हकर करेहू सहाई ।
अबहिं बसहु कानन में जाई ॥
असकहि विधि निजलोक सिधारा ।
मिले सखा संग पवन कुमारा ॥
खेलैं खेल महा तरु तोरैं ।
ढेर करैं बहु पर्वत फोरैं ॥
जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई ।
गिरि समेत पातालहिं जाई ॥
कपि सुग्रीव बालि की त्रासा ।
निरखति रहे राम मगु आसा ॥
मिले राम तहं पवन कुमारा ।
अति आनन्द सप्रेम दुलारा ॥
मनि मुंदरी रघुपति सों पाई ।
सीता खोज चले सिरु नाई ॥
सतयोजन जलनिधि विस्तारा ।
अगम अपार देवतन हारा ॥
जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा ।
लांघि गये कपि कहि जगदीशा ॥
सीता चरण सीस तिन्ह नाये ।
अजर अमर के आसिस पाये ॥
रहे दनुज उपवन रखवारी ।
एक से एक महाभट भारी ॥
तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा ।
दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा ॥
सिया बोध दै पुनि फिर आये ।
रामचन्द्र के पद सिर नाये ॥
मेरु उपारि आप छिन माहीं ।
बांधे सेतु निमिष इक मांहीं ॥
लछमन शक्ति लागी उर जबहीं ।
राम बुलाय कहा पुनि तबहीं ॥
भवन समेत सुषेन लै आये ।
तुरत सजीवन को पुनि धाये ॥
मग महं कालनेमि कहं मारा ।
अमित सुभट निसिचर संहारा ॥
आनि संजीवन गिरि समेता ।
धरि दीन्हों जहं कृपा निकेता ॥
फनपति केर सोक हरि लीन्हा ।
वर्षि सुमन सुर जय जय कीन्हा ॥
अहिरावण हरि अनुज समेता ।
लै गयो तहां पाताल निकेता ॥
जहां रहे देवि अस्थाना ।
दीन चहै बलि काढ़ि कृपाना ॥
पवनतनय प्रभु कीन गुहारी ।
कटक समेत निसाचर मारी ॥
रीछ कीसपति सबै बहोरी ।
राम लषन कीने यक ठोरी ॥
सब देवतन की बन्दि छुड़ाये ।
सो कीरति मुनि नारद गाये ॥
अछयकुमार दनुज बलवाना ।
कालकेतु कहं सब जग जाना ॥
कुम्भकरण रावण का भाई ।
ताहि निपात कीन्ह कपिराई ॥
मेघनाद पर शक्ति मारा ।
पवन तनय तब सो बरियारा ॥
रहा तनय नारान्तक जाना ।
पल में हते ताहि हनुमाना ॥
जहं लगि भान दनुज कर पावा ।
पवन तनय सब मारि नसावा ॥
जय मारुत सुत जय अनुकूला ।
नाम कृसानु सोक सम तूला ॥
जहं जीवन के संकट होई ।
रवि तम सम सो संकट खोई ॥
बन्दि परै सुमिरै हनुमाना ।
संकट कटै धरै जो ध्याना ॥
जाको बांध बामपद दीन्हा ।
मारुत सुत व्याकुल बहु कीन्हा ॥
सो भुजबल का कीन कृपाला ।
अच्छत तुम्हें मोर यह हाला ॥
आरत हरन नाम हनुमाना ।
सादर सुरपति कीन बखाना ॥
संकट रहै न एक रती को ।
ध्यान धरै हनुमान जती को ॥
धावहु देखि दीनता मोरी ।
कहौं पवनसुत जुगकर जोरी ॥
कपिपति बेगि अनुग्रह करहु ।
आतुर आइ दुसइ दुख हरहु ॥
राम सपथ मैं तुमहिं सुनाया ।
जवन गुहार लाग सिय जाया ॥
यश तुम्हार सकल जग जाना ।
भव बन्धन भंजन हनुमाना ॥
यह बन्धन कर केतिक बाता ।
नाम तुम्हार जगत सुखदाता ॥
करौ कृपा जय जय जग स्वामी ।
बार अनेक नमामि नमामी ॥
भौमवार कर होम विधाना ।
धूप दीप नैवेद्य सुजाना ॥
मंगल दायक को लौ लावे ।
सुन नर मुनि वांछित फल पावे ॥
जयति जयति जय जय जग स्वामी ।
समरथ पुरुष सुअन्तरजामी ॥
अंजनि तनय नाम हनुमाना ।
सो तुलसी के प्राण समाना ॥
॥ दोहा ॥
जय कपीस सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान॥
राम लषन सीता सहित, सदा करो कल्याण॥
बन्दौं हनुमत नाम यह, भौमवार परमान॥
ध्यान धरै नर निश्चय, पावै पद कल्याण॥
जो नित पढ़ै यह साठिका, तुलसी कहैं बिचारि।
रहै न संकट ताहि को, साक्षी हैं त्रिपुरारि॥
॥ सवैया ॥
आरत बन पुकारत हौं कपिनाथ सुनो विनती मम भारी ।
अंगद औ नल-नील महाबलि देव सदा बल की बलिहारी ॥
जाम्बवन्त् सुग्रीव पवन-सुत दिबिद मयंद महा भटभारी ।
दुःख दोष हरो तुलसी जन-को श्री द्वादश बीरन की बलिहारी ॥
Hanuman Sathika
॥ Chaupai ॥
Jai Jai Jai Hanuman Adangi ।
Mahavir Vikram Bajrangi ॥
Jai Kapish Jai Pavan Kumara ।
Jai Jagbandan Sil Agara ॥
Jai Adity Amar Abikari ।
Ari Mardan Jai-jai Girdhari ॥
Anjani Udar Janm Tum Linha ।
Jai-jayakar Devtan Kinha ॥
Baje Dundubhi Gagan Gambhira ।
Sur Man Harsh Asur Man Pira ॥
Kapi Ke Dar Gadh Lank Sakani ।
Chhoote Bandh Devtan Jani ॥
Rshi Samooh Nikat Chali Aye ।
Pavan Tanay Ke Pad Sir Naye ॥
Bar-bar Astuti Kari Nana ।
Nirmal Nam Dhara Hanumana ॥
Sakal Rshin Mili as Mat Thana ।
Dinh Batay Lal Phal Khana ॥
Sunat Bachan Kapi Man Harshna ।
Ravi Rath Uday Lal Phal Jana ॥
Rath Samet Kapi Kinh Ahara ।
Soory Bina Bhe Ati Andhiyara ॥
Vinay Tumhar Karai Akulana ।
Tab Kapis Ki Astuti Thana ॥
Sakal Lok Vrtant Sunava ।
Chaturanan Tab Ravi Ugilava ॥
Kaha Bahori Sunahu Balasila ।
Ramachandr Karihain Bahu Lila ॥
Tab Tum Unhakar Karehoo Sahai ।
Abahin Basahu Kanan Mein Jai ॥
Asakahi Vidhi Nijalok Sidhara ।
Mile Sakha Sang Pavan Kumara ॥
Khelain Khel Maha Taru Torain ।
Dher Karain Bahu Parvat Phorain ॥
Jehi Giri Charan Dehi Kapi Dhai ।
Giri Samet Patalahin Jai ॥
Kapi Sugriv Bali Ki Trasa ।
Nirkhati Rahe Ram Magu Asa ॥
Mile Ram Tahan Pavan Kumara ।
Ati Anand Saprem Dulara ॥
Mani Mundari Raghupati Son Pai ।
Sita Khoj Chale Siru Nai ॥
Satayojan Jalanidhi Vistara ।
Agam Apar Devatan Hara ॥
Jimi Sar Gokhur Saris Kapisa ।
Langhi Gaye Kapi Kahi Jagadisha ॥
Sita Charan Sis Tinh Naye ।
Ajar Amar Ke Asis Paye ॥
Rahe Danuj Upavan Rakhavari ।
Ek Se Ek Mahabhat Bhari ॥
Tinhain Mari Puni Kaheu Kapisa ।
Daheu Lank Kopyo Bhuj Bisa ॥
Siya Bodh Dai Puni Phir Aye ।
Ramachandr Ke Pad Sir Naye ॥
Meru Upari Ap Chhin Mahin ।
Bandhe Setu Nimish Ik Manhin ॥
Lachhaman Shakti Lagi Ur Jabahin ।
Ram Bulay Kaha Puni Tabahin ॥
Bhavan Samet Sushen Lai Aye ।
Turat Sajivan Ko Puni Dhaye ॥
Mag Mahan Kalanemi Kahan Mara ।
Amit Subhat Nisichar Sanhara ॥
Ani Sanjivan Giri Sameta ।
Dhari Dinhon Jahan Krpa Niketa ॥
Phanapati Ker Sok Hari Linha ।
Varshi Suman Sur Jai Jai Kinha ॥
Ahiravan Hari Anuj Sameta ।
Lai Gayo Tahan Patal Niketa ॥
Jahan Rahe Devi Asthana ।
Din Chahai Bali Kadhi Krpana ॥
Pavanatanay Prabhu Kin Guhari ।
Katak Samet Nisachar Mari ॥
Richh Kisapati Sabai Bahori ।
Ram Lashan Kine Yak Thori ॥
Sab Devatan Ki Bandi Chhudaye ।
So Kirati Muni Narad Gaye ॥
Achhayakumar Danuj Balavana ।
Kalaketu Kahan Sab Jag Jana ॥
Kumbhakaran Ravan Ka Bhai ।
Tahi Nipat Kinh Kapirai ॥
Meghanad Par Shakti Mara ।
Pavan Tanay Tab So Bariyara ॥
Raha Tanay Narantak Jana ।
Pal Mein Hate Tahi Hanumana ॥
Jahan Lagi Bhan Danuj Kar Pava ।
Pavan Tanay Sab Mari Nasava ॥
Jai Marut Sut Jai Anukoola ।
Nam Krsanu Sok Sam Toola ॥
Jahan Jivan Ke Sankat Hoi ।
Ravi Tam Sam So Sankat Khoi ॥
Bandi Parai Sumirai Hanumana ।
Sankat Katai Dharai Jo Dhyana ॥
Jako Bandh Bamapad Dinha ।
Marut Sut Vyakul Bahu Kinha ॥
So Bhujabal Ka Kin Krpala ।
Achchhat Tumhen Mor Yah Hala ॥
Arat Haran Nam Hanumana ।
Sadar Surapati Kin Bakhana ॥
Sankat Rahai Na Ek Rati Ko ।
Dhyan Dharai Hanuman Jati Ko ॥
Dhavahu Dekhi Dinata Mori ।
Kahaun Pavanasut Jugakar Jori ॥
Kapipati Begi Anugrah Karahu ।
Atur Ai Dusi Dukh Harahu ॥
Ram Sapath Main Tumahin Sunaya ।
Javan Guhar Lag Siy Jaya ॥
Yash Tumhar Sakal Jag Jana ।
Bhav Bandhan Bhanjan Hanumana ॥
Yah Bandhan Kar Ketik Bata ।
Nam Tumhar Jagat Sukhadata ॥
Karau Krpa Jai Jai Jag Svami ।
Bar Anek Namami Namami ॥
Bhaumavar Kar Hom Vidhana ।
Dhoop Dip Naivedy Sujana ॥
Mangal Dayak Ko Lau Lave ।
Sun Nar Muni Vanchhit Phal Pave ॥
Jayati Jayati Jai Jai Jag Svami ।
Samarath Purush Suantarajami ॥
Anjani Tanay Nam Hanumana ।
So Tulasi Ke Pran Samana ॥
॥ Doha ॥
Jai Kapis Sugriv Tum, Jai Angad Hanuman ।
Ram Lashan Sita Sahit, Sada Karo Kalyan ॥
Bandaun Hanumat Nam Yah, Bhaumavar Paraman ।
Dhyan Dharai Nar Nishchay, Pavai Pad Kalyan ॥
Jo Nit Padhai Yah Sathika, Tulasi Kahain Bichari ।
Rahai Na Sankat Tahi Ko, Sakshi Hain Tripurari ॥
॥ Savaiya ॥
Arat Ban Pukarat Haun Kapinath Suno Vinati Mam Bhari ।
Angad Au Nal-nil Mahabali Dev Sada Bal Ki Balihari ॥
Jambavant Sugriv Pavan-sut Dibid Mayand Maha Bhatabhari ।
Duhkh Dosh Haro Tulasi Jan-ko Shri Dvadash Biran Ki Balihari ॥
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